8जनवरी. आखिर भाजपा की झौली में चंडीगढ़ का मेयर पद आ गया. भाजपा की सरबजीत कौर चुनाव जीत गई. यहां नगर निगम सदस्यों की कार्यावधि भले ही पांच साल हो पर मेयर सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के कार्यावधि एक एक साल होती है. इसलिये हर साल इनका चुनाव करवाना पड़ता है. साल भर इनके लिये राजनीतिक जोड़तोड़ चलती ही रहती है.
8 जनवरी को हुए मेयर के चुनाव में भाजपा को 14 वोट और आप को 13 वोट मिले. कांग्रेस जिसके सात और अकाली दल जिसका एक वोट था वो अनुपस्ति रहे.
वैसे मिले तो आप को भी 14 वोट ही थे पर उसका एक वोट फटा पाया गया जिससे उसके 13 वोट हो गये और बाजी भाजपा के हाथ लग गई. अगर वोट अवैध नहीं होता तो फैसला सिक्का उछाल कर होता. वहां पता नहीं भाजपा की किस्मत काम करती या नहीं.
चुनाव परिणाम आने के बाद आप के सदस्यों ने जम कर हंगामा किया पर काम नही आया. हालात को काबू में रखने के लिये पुलिस बुलानी पड़ी.
याद रहे कि चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में आप को 14, भाजपा को 12, कांग्रेस को 8 और अकाली दल को 1 स्थान पर जीत मिली थी. इसे भाजपा के लिये झटका कहा गया था और कांग्रेस के लिये लाभ की स्थिति. वैसे भी सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत कांग्रेस का ही था. लाटरी तो आप के नाम खुली थी जो पहली बार लड़ी और सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी.
लेकिन कांग्रेस का एक पार्षद दल बदल कर कांग्रेस में आ गया. वहीं चंडीगढ का सांसद भाजपा का होने के कारण एक वोट भाजपा को मिला. इस प्रकार भाजपा 14 की संख्या पाकर बराबरी पर आ गई थी. यह बात और है कि जीत भाजपा को मिली.