फिर जला हरियाणा का मिनी पाकिस्तान कहा जाने वाला मेवात 2 अगस्त. हरियाणा के मेवात क्षेत्र नूह में शिवमंदिर पर जल चढ़ाने जा रहे कावड़ियों पर हुए हमलों और हिंसा ने दिल दहला दिया. इसने एक बार फिर साबित कर दिया कि मेवात को मिनी पाकिस्तान यूं ही नहीं कहा जाता है. हिंसा को देख कहा जा सकता है कि इनकी तैयारी लंबे समय से चल रही थी. कावड़ियों पर पहाड़ियों के पीछे से गोलियां चलाई गई. सीसीटीवी कैमरों की शिनाख्त दंगाइयों ने पहले से कर रखी थी. इसलिये उन्हें क्षति पहुंचाई गई ताकि शिनाख्त न हो सके. बाजार में न वाहनों और दुकानों में आग तो लगाई ही कई को लूटा भी जो बताता है कि दंगाइयों को पता था कि कहां आग लगानी है और कहां लूटना है. दो पहिया वाहनों के शोरूम से वाहन लूट लिये गये.
हिंसा के लिये स्थानीय प्रशासन की लापरवाही तो दोषी है ही जो लंबी तैयारियों के बाद भी कार्रवाई न कर सोता रहा. उससे ज्यादा मुख्यमंत्री खट्टर जिम्मेदार हैं जो योगी मॉडल अपनाने में नाकाम रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी एक समय इसी प्रकार की समस्या थी पर योगी मॉडल में उसका नाम निशान मिट गया. जब उत्तर प्रदेश में ऐसा हो सका तो मेवात पर से मिनी पाकिस्तान का कलंक क्यों नहीं हटाया जा सकता है?
यह हिंसा हरियाणा के अन्य शहरों में भी देखी गई है. इससे साफ है कि पढ़ा लिखा कर युवाओं को देश के दूर शहरों से लेकर विदेश भेजने वाले हरियाणा में सीनियर सिटीजंस की सुरक्षा भी खतरे में है. इसके लिये राज्य सरकार के साथ साथ देश के हिंदू युवा संगठनों को जागना होगा. क्योंकि इसका शिकार ज्यादातर हिंदू सीनियर सिटीजन ही होने वाले हैं. गुरूग्राम के आसपास ही देखें तो ढेरों मल्टीस्टोरिज इन सीनियर सीटिजन के हवाले हैं जिनमें उनके बेटों की कमाई लगी है