28 दिसंबर.चंडीगढ़ हालांकि केन्द्रशासित है लेकिन वह पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है. यहां की नगर निगम के चुनाव के जो नतीजे 27 दिसंबर को आये हैं उसने भाजपा और कांग्रेस के होश उड़ा दिये हैं.
यहां 35 सीटों में से आप को 14 सीटें मिली हैं वहीं भाजपा को 12 और कांग्रेस को आठ सीटें. पहले भाजपा का भारी बहुमत था और 26 सीटें थीं. इनमें से 20 भाजपा के पास थी और एक शिरोमणी अकाली दल के पास. कांग्रेस चार सीटें थी. इसलिये कहा जा रहा है कि भाजपा को आठ सीटों का नुकसान हो गया है और कांग्रेस ने चार सीटें बढ़ा ली है. सारा नुकसान भाजपा के खते में है. उसे आठ सीटों का नुकसान बताया जा रहा है.
पंजाब में भाजपा पहली बार एक ताकत के तौर पर उभने की कोशिश कर रही है. पहले वह अकाली दल की छोटी सहयोगी पार्टी थी जिसके पास ज्यादा सीटें नहीं थी न वह ज्यादा पर ही लड़ती ही था. अकाली दल से नाता टूटने के बाद भाजपा को यह अवसर हाथ लगा है और अमरिंदर का साथ मिलने के कारण वह उत्साह से भरी हुई है. इसलिये चंडीगढ़ के परिणों को भाजपा के लिये बड़ी चेतावनी बताया जा रहा है. क्योंकि वहां अमरिंदर सिंह के साथ भाजपा नये दावपेंच अपना रही है. उनके साथ शिरोमणि अकाली दल के ढींढसा भी हैं. कहा यह जा रहा है कि भाजपा जहां शहरी क्षेत्रों में 50 से 60 सीटों पर ताकत आजमाएगी वहीं अमरिंदर 117 में से बची सीटों पर ढ़ीढ़सा के साथ ताकत बताएंगे. इनमें ज्यादातर ग्रामीण रहेंगी.