नई दिल्ली, 20 दिसंबर. आखिर वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से जुड़वाने का कानूनी रास्ता खुल गया है. इस बारे में लोकसभा में इससे संबंधित विधयेक पारित हो गया. राज्यसभा में पारित होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा. जानकारों की नजर में यह मात्र औपचारिकता बची है.
वैसे अभी भी वोटर आडी कार्डो को आधार कार्ड से जोड़ा जा रहा था लेकिन इसके लिये आईडी कार्ड धारक को पहल करनी होती थी. अब कानून बनने के बाद चुनाव आयोग भी पहल कर सकेगा वर यह वैकल्पिक रहेगा. क्योंकि निजता के कानून के तहत किसी से आधार की मांग उन्हीं मामलों में की जा सकती है जिनके बारे में संबंधित कानून में प्रावधान है. इयके अलावा आधार मांगा जाए और दबाव डाला जाए तो सख्त सजा का प्रावधान है.
पर अब कानून बन जाने चुनाव आयोग आधार मांग सकेगा लेकिन अभी भी वह इसके लिये दबाव नहीं डाल सकता है. वोटिंग के समय वैकल्पिक पहचान दस्तावेज भी प्रभावी रहेंगे.
एक अधिक पहचान पत्र और वोटर आईडी कार्ड के कारण फर्जी मतदान और फर्जी वोटर आईडी कार्ड रोकने में परेशानी हो रही थी इसलिये इस प्रकार के कानून की मांग की जा रही थी. इस आशय की मांग को लेकर चुनाव आयोग ने केन्द्रीय विधि मंत्रालय को एक पत्र भी भेजा था. जो एक तरह का सुझाव था जिसके आधार पर केन्द्र सरकार ने यह कानून बनाया है. वैसे लोकसभा में इसका काफी विरोध रहा. उसके बाद भी किसी ने वोटिंग नहीं मांगी और यह ध्वनिमत से पारित हो गया.