हिंदू सिर्फ हिंदुस्तान में ही रहेगा बशर्ते जाग जाएगा
हिंदुओं की सोच प्रगतिशील है. भविष्य पर नजर रखता है. भगवान पर यकीन करता है पर जरा कम. बस संकट में ही उसे याद करता है. अन्यथा हर उपलब्धि का श्रेय वह अपने पुरुधार्थ को देता है. जनसांख्यिकी के प्रोजेक्शनों को देखें तो शायद अगले पचास साल में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएगा. शायद करीब बीस एक साल में ही वह आधी आबादी यानि पचास प्रतिशत से दस फीसदी कम होगा. तब उसकी दशा पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसी होना शुरू हो जाएगी. अगले साठ साल में तो उसकी वही हालत हो जाएगी जैसी आज पाकिस्तान में है. ऐसा होना तभी रूक सकेगा जब हिंदू जाग जाएगा.
यह बात उस समाचार के संदर्भ में कही है जिसमें सेन्टर फार डेमोक्रेसी प्लूरिजम एण्ड ह्यूमन राइट्स (सीडीपीएचआर) की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि बांग्लादेश से हिंदुओं के पलायन के चलते 25 साल बाद वहां एक भी हिंदू नहीं बचेगा. इस संस्था ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, तिब्बत, इंडोनेशिया और मलेशिया में मानवाधिकारों की स्थिति के अध्ययन के आधार पर यह बात कही है. बांग्लादेश से हिंदू सहित 2 लाख 30 हजार लोग हर साल पलायन कर जाते हैं. यह सिलसिला चालीस साल से चल रहा हे. यानि बांग्लादेश की आजादी के दस साल बाद से ही यह सिलसिला शुरु हो गया था. पाकिस्तान मंे तो हिंदुओं सहित सभी गैर मुसलमानों के लिये वहां रहना प्रतिदिन जंग लड़ने जैसा है. वहां 70 साल में घटते घटते गैर मुसलमान आबादी बेहद कम हो गई है. हिंदू और सिख तो मात्र ढ़ाई प्रतिशत ही बचे हैं. वर्तमान में पाकिस्तान की आबादी 21 करोड़ है. धर्म आधारित जनसांख्यिकी के आधार पर वहां यह आबादी 70 साल में 3 करोड़ 50 लाख होनी चाहिये थी पर अभी है 50 से 60 लाख के बीच. इसका कारण धार्मिक उत्पीड़न और पलायन है. अफगानिस्तान में 1970 में 7 लाख हिंदू और सिख थे. अब वहां मात्र 200 परिवार बचे हैं. जनसंख्या की बात करें तो यह ज्यादा से ज्यादा 1 कही जा सकती है. अध्ययन में आए बाकी देशों में भी स्थिति कोई ज्यादा बेहतर नहीं है. हिंदू पलायन कर कहां जाता है? वह हिंदुस्तान में आता है पर क्या वह बीस साल बाद आ सकेगा इस पर गहन चिंतन की जरूरत है. पचास साल बाद तो वह आ ही नहीं सकेगा इसा कहना कदापि गलत नहीं है. इसे रोकना है तो हिंदुओं को आज से ही जागना होगा अन्यथा इतनी देर हो जाएगी कि फिर स्थिति संभाले भी नहीं संभलेगी.