कर्मयोगी पं. माधवराव सप्रे की सार्द्ध शती पर राष्ट्रीय समारोह

Category : देश, विदेश, | Sub Category : सभी Posted on 2021-04-03 06:59:52


कर्मयोगी पं. माधवराव सप्रे की सार्द्ध शती पर राष्ट्रीय समारोह

कर्मयोगी पं. माधवराव सप्रे की सार्द्ध शती पर राष्ट्रीय समारोह
बीसवीं शताब्दी के शुरुआती दशकों में मध्यप्रदेश के सबसे बड़े बौद्धिक कृती-व्रती पं. माधवराव सप्रे की सार्द्ध शताब्दी राष्ट्रीय समारोह के रूप में मनाई जाएगी. सप्रे जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित स्मारक ग्रंथ का विमोचन होगा. पत्रकारिता और साहित्य पर केन्द्रित विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा. माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान दो मुख्य समारोहों का आयोजन करेगा. एक भोपाल में और दूसरा रायपुर में आयोजित किया जाएगा.
सप्रे संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि मध्यप्रदेश को अपनी जिन विभूतियों पर गर्व है, उनमें सप्रे जी अग्रगण्य हैं. पं. माधवराव सप्रे हिन्दी नवजागरण के पुरोधा थे. लोकमान्य तिलक की ओजस्वी विचारधारा को हिन्दी जगत में प्रवाहित करने का महत्वपूर्ण कार्य उन्होंने किया. सप्रे जी ने ‘भारत की एक राष्ट्रीयता’ का शंखनाद किया. हिन्दी में अर्थशास्त्र विषय पर मौलिक लेखन करने वाले वे पहले विद्वान थे. काशी नागरी प्रचारिणी सभा के ‘हिन्दी विज्ञान कोश’ (1904-05) में अर्थशास्त्र की शब्दावली सप्रे जी ने गढ़ी.
पं. माधवराव सप्रे ने हिन्दी पत्रकारिता को संस्कारित किया. ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ के माध्यम से इस पिछड़े हुए अंचल में नवजागरण की ज्योति प्रज्ज्वलित की. हिन्दी में पहले पहल शैक्षिक निबंध लिखने वाले सप्रे जी थे. उन्होंने हिन्दी का समालोचना शास्त्र विकसित करने का आधारभूत कार्य किया. हिन्दी की पहली मौलिक कहानी ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ सप्रे जी ने लिखी. हिन्दी साहित्य सम्मेलन के देहरादून अधिवेशन (1924) के वे अध्यक्ष चुने गए थे. उन्होंने मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा का सिद्धांत प्रतिपादित किया. सप्रे जी ने अनेक मराठी ग्रंथों का अनुवाद कर हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि की. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के ‘गीता रहस्य’ का उनका अनुवाद इतना प्रामाणिक और लोकप्रिय हुआ कि उसके अब तक 30 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं. समर्थ स्वामी रामदासकृत ‘दासबोध’ और चिंतामन वैद्य के ‘महाभारत मीमांसा’ का भी उत्कृष्ट अनुवाद सप्रे जी ने किया.
पं. माधवराव सप्रे का एक असाधारण अवदान होनहार युवा प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें राष्ट्रीय कार्यों में प्रवृत्त करना रहा. ‘एक भारतीय आत्मा’ माखनलाल चतुर्वेदी, पं. द्वारकाप्रसाद मिश्र, सेठ गोविंददास, पं. लक्ष्मीधर वाजपेयी, मावलीप्रसाद श्रीवास्तव आदि विलक्षण प्रतिभाओं का प्रोन्नयन और परिष्कार सप्रे जी ने किया. इस अवसर पर स्वनामधन्य पत्रकार डा. प्रकाश हिन्दुस्तानी को ‘माधवराव सप्रे राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार’ से अलंकृत किया जाएगा. भारत की ‘पैड वुमन’ के नाम से विख्यात सुश्री माया विश्वकर्मा को ‘महेश गुप्ता सृजन सम्मान’ प्रदान किया जाएगा. महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र को ‘महात्मा गांधी सम्मान’ से सम्मानित किया जाएगा. प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा को ‘हरिकृष्ण दत्त शिक्षा सम्मान’ प्रदान किया जाएगा.

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