बंगाल में भाजपा नहीं छोड़ रही कोई कसर

Category : मेरी बात - ओमप्रकाश गौड़ | Sub Category : सभी Posted on 2021-03-24 06:02:11


बंगाल में भाजपा नहीं छोड़ रही कोई कसर

बंगाल में भाजपा नहीं छोड़ रही कोई कसर
बंगाल में एबीपी न्यूज के सर्वे ने त्रिशंकु विधानसभा की आशंका जता कर ममता के लिये चिंता पैदा कर दी तो भाजपा समर्थकों का जीत के प्रति विश्वास दृढ कर दिया. मेरा यकीन है कि भाजपा बंगाल में सरकार बनाएगी और उसे 148 से 153 के बीच सीटें मिलेंगी. दो मुसलमान आधारित पार्टियां ओबेसी और अब्दुल्ला सिद्दीकी की आईएसएफ अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं फिर भी वे दोनों मिलकर 10 सीटें निकाल लेंगे. कांग्रेस और वामपंथी मिलकर दस सीटें भी निकाल लें तो बड़ी बात है. ममता दीदी का सितारा आज बुलंद भले ही नहीं लग रहा हो पर वे कमजोर भी नहीं हैं. उनकी सीटें 125 के आसपास घूमती दिख रही है. हो सकता है. मेरे हिसाब से वे दूसरी बड़ी पार्टी होगी. पर उनकी किस्मत ने जोर मारा और भाजपा की किस्मत ने कसर रखी और 148 के जादुई आंकड़े से दूर रही तो सबसे बड़ी पार्टी होकर भी सत्ता से दूर रहेगी और सत्ता का ताज ममता दीदी के सिर पर नजर आयेगा.
अब बात करें एबीपी न्यूज के सर्वे की जिसमें कहा गया है कि टीएमसी 40 फीसदी वोट लेकर 138 से 146 तक सीटें जीत सकती है. भाजपा को वोट का प्रतिशत 38 रह सकता है जिससे उसे 130 से 140 सीटें मिल सकती है. काग्रेस, वामदल और आईएसएफ गठबंधन को 16 प्रतिशत वोट मिलने की आशा है इससे इन्हें 14 से 18 सीटें मिल सकती हैं. अन्य के खाते में  प्रतिशत वोट के साथ 1 से 3 सीटें मिल सकती हैं.
इसमें सबसे पहले यह याद रख लें  कि सर्वेक्षण के दौरान ओबेसी ने मैदान छोड़ दिया था ऐसी चर्चा थी पर बाद में वे मैदान में आए और सिर्फ मुर्सिदाबाद में 13 उम्मीदवार उताने की बात कह कर उन्होंने सबको सकते में डाल दिया. मुस्लिम बहुल ऐसे इलाकों में जहां मुसलमान मतदाता 40 फीसदी से ज्यादा हों वहां से ही ओबेसी चुनाव लड़कर शानदार स्ट्राइक रेट के साथ सबको चैंकाते रहे हैं. वही वे यहां भी करने वाले हैं. इसलिये सबके आंकड़ों पर असर नजर आएगा और उल्लेखनीय बदलाव भी.
लोकसभा चुनाव में टीएमसी का वोट प्रतिशत 43 था जो अब 40 दिख रहा है. भाजपा का वोट प्रतिशत भी 40 से 38 हो गया है. भाजपा का एक प्रतिशत वोट बढ़ा तो वह टीएमसी से बराबरी पर होगी और दो प्रतिशत बढ़ा और टीएमसी का और घटकर 38 या उससे कम हुआ तो भाजपा को सत्ता मिलना तय दिख रहा है.   
यह भी जान लें कि भाजपा लंबे समय से बंगाल में जमीन पर काम कर अपनी जड़े जमा रही थी. लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने अपने काम में तेजी लाई वह भी ऐसी की जो नजर आए. दूसरे दलों खासकर टीएमसी में तोड़फोड़. फिर प्रत्याशी चयन में सावधानी बरती, पुराने कार्यकर्ताओं का मोह छोड़ सिर्फ जीत को पैमाना बनाया और चरणबद्ध तरीके से प्रत्याशी उतारे. इनमें आधे तो वे हैं जो टीएमसी छोड़ कर भाजपा में आए. दूसरे दलों से आए लोगों को भी जगह दी. अंत में सांसदों सहित ऐसे प्रत्याशी उतारे जिससे लगा की पार्टी सरकार बनाने के बाद की तैयारी कर रही है. एक तरह से मंत्रियों को चुन रही है. इससे भाजपा में आत्मविश्वास बढ़ा. सातवें वेतन आयोग को देने जैसी घोषणा तो तुरुप का पत्ता तो है ही, अन्य लोकलुभावन घोषणाओं ने भी मतदाताओं को लुभाया है. बंगाल के सांस्कृतिक परिदृश्य को बदलने वाली घोषणाओं ने भी भाजपा को पैर जमाने में मदद की. इन सबसे  भाजपा की ऐसी हवा बनी है जो चुनाव खत्म होने तक बनी रहेगी.

.   यह भी देख लें कि भाजपा का वोटर धीरे धीरे ही सही बोलने लगा है. मोदी की रैलियां असर बता रही हैं. इसलिये ग्रेटर कोलकता इलाके में भी भाजपा का असर ओपीनियन पोल में बदलता दिख रहा है. 35 सीट वाले ग्रेटर कोलकाता में भले ही टीएमसी 18 से 24 सीटें लेकर पहले स्थान पर दिख रही हो पर उसका आंकड़ा कम हुआ हे और भाजपा 11 से 17 सीटें लेकर उल्लेखनीय प्रोग्रेस बता रही है.
इसी प्रकार 84 सीट वाले दक्षिण पूर्व बंगाल में मुसलमान मतदाता निर्णायक स्थिति में होने  के कारण भाजपा तो पिटी पिटी सी दिख ही रही है उसे 15 से 19 सीटें मिलना ही बताई जा रही है. जबकि कांग्रेस, वामदल और आईएसफ गठबंधन को 8 से 12 सीटें दिख रही हैं. टीएमसी पहले स्थान पर है और उसकी 55 से 59 सीटे बताई जा रही हैं. लेकिन ओबेसी की एंट्री से टीएमसी और गठबंधन को तगड़ी चोट मिलना तय है. इन दोनों की सीटें घटेंगी उसी में तो ओबेसी की पार्टी एडजस्ट होगी.
56 सीटों वाले उत्तर बंगाल में भाजपा को 38 से 40 सीटें और टीएमसी को 11 से 15 सीटें बताई जा रही है. कांग्रेस, वामपंथी और आईएसफ गठबंधन को 2 से 4 और अन्य को 1 से 3 सीटें बता रहे हैं. लेकिन यहां भाजपा और बढ़ेगी. नतीजन टीएमसी की सीटें काफी कम होंगी और बाकी की सीटों में भी कमी होगी.
119 सीटों वाले दक्षिण पश्चिम बंगाल की बात करें तो 64 से 68 सीटें भाजपा को मिलने की उम्मीद है. टीएमसी 48 से 52 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर दिखती है. कांग्रेस, वामदल और आईएसएफ को 2 से 4 सीटें बताई जा रही है. यहां भी भाजपा को उल्लेखनीय बढ़त और और टीएमसी को खासी क्षति की बात की जा सकती है. बाकी  का तो शायद सफाया ही हो जाए.

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