देश के हर राज्य का अपना “सचिन वाझे” है
- राकेश दुबे, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल
मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली संदिग्ध कार और सचिन वाझे मामले में आये राजनीतिक मोड़ ने पूरे देश के वर्तमान परिदृश्य पर विचार करने को मजबूर कर दिया. जब ऊपर से नीचे तक विश्लेष्ण एक ही बात की पुष्टि करता है “ हर राज्य का अपना एक “सचिन वाझे” है जो राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम करता है और राज्यों के परम वीर या तो हिस्सा लेते हैं या चुपचाप समर्थन करते हैं.” वो प्रदेश कोई भी सेवा पुलिस, आबकारी, वन, या किसी भी सेवा में कार्यरत या निवृत हो उसका कोई भी नाम हो काम सिर्फ एक “धन उगाही“ होता है. जितने भी ज्ञात-अज्ञात तरीके है, उससे वह अपने आकाओं के लिए धन उपार्जन करता है. सब देखते है, सत्ता हो या प्रतिपक्ष. सरकार बदलती है, पार्टी बदलती है, ये कमाऊ पूत हर सरकार और हाल के पहली पसंद होते हैं.
कहने को आज महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए सनसनीखेज आरोपों से महाराष्ट्र सरकार के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है. अनिल देशमुख पर लगे आरोपों ने सबसे ज्यादा एन सी पी प्रमुख शरद पवार को मुश्किल ला दिया है. यूँ शरद पवार महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के ब्रह्मा है. शरद पवार ही थे, जिन्होंने तीन अलग-अलग पार्टियों (शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी) को एक बैनर तले लाने में बड़ी भूमिका निभाई. जिससे भारतीय जनता पार्टी को सत्ता की कुर्सी से अलग रही और अब तक सहज तरीके से सरकार चल रही है. पिछले 15 महीनों से शरद पवार न सिर्फ सरकार के कामकाज पर नजर रख रहे हैं, बल्कि जब-जब कोई पेच फंसा वे दखल देते हैं. वे उद्धव ठाकरे को सलाह भी देते है और संकट का समाधान भी निकालते हैं. एंटीलिया केस में भी शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के साथ पिछले सप्ताह बैठक की जिसके बाद परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटा दिया गया. सारे देश में राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़ ऐसे ही चलता है. सवाल उन अफसरों से भी है जो सब मालूम होने पर चुप रहते हैं और हटने पर कभी जाहिर तो कभी गुपचुप अभियान चलाते हैं. हर राज्य में ऐसे “ब्ल्यू आईड ब्याय” हैं.
इसी मामले को लें तो, कल तक सचिन वाझे को लेकर शिवसेना आलोचकों के निशाने पर थी, मगर परमबीर सिंह के लेटर बम के बाद अब चीजें बदल गई हैं और अब एन सी पी निशाने पर हैं. शरद पवार की पार्टी एन सी पी अब विश्वसनीयता के संकट का सामना कर रही है और अब ऐसा लग रहा है कि पवार को देशमुख को हटाने को लेकर फैसला किसी भी क्षण ले सकते हैं.
सुनने में आया है, शरद पवार, अनिल देशमुख को मुक्त करने की जगह गृह विभाग से बाहर स्थानांतरित करने की योजना बना पहले ही से बना रहे थे. पार्टी नेताओं के अनुसार, उन्होंने कुछ समय बाद देशमुख को गृह विभाग से बाहर करने की योजना बनाई ताकि कोई यह आरोप न लगाए कि सचिन वाझे मामले को लेकर यह फैसला लिया गया है.
यह लेटर बम शिवसेना, एन सी पी और कांग्रेस में टकराव की स्थिति उत्पन्न कर सकता है. इस बार शरद पवार की पार्टी कटघरे में है. ऐसे में भाजपा पूरी तरह से महाराष्ट्र सरकार पर हमलावर रहेगी. हालात ऐसे हैं कि सरकार पर कोई संकट न आए, इसके लिए शिवसेना और कांग्रेस दबाव बना सकती है.
अब फिर पूरे देश पर विचार, हर राज्य का प्रतिपक्ष हमेशा सत्ता पक्ष पर ऐसे ही आरोप लगाता हैं और सता बदलने के बाद “सचिन वाझे “ जैसी प्रतिभा को सबसे पहले प्रश्रय देते हैं. मध्यप्रदेश हो राजस्थान, उत्तर प्रदेश हो या कलकत्ता सब जगह इस नस्ल की प्रतिभाएं उपस्थित हैं. तभी तो राजनेताओं की सम्पत्ति हर साल हजारों गुना बढ़ जाती है.