गये थे वेक्सीन लगवाने, जेब कटा बैठे
- राकेश दुबे, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल
देश में एक बार फिर कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. वेक्सीन भी लग रही है और इस आड़ में निजी अस्पतालों में व्याप्त बाजारवाद पूरी तरह सक्रिय है और कोरोना पीड़ितों की जेब हल्की करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. सरकारी सदाशयता का लाभ पूरी निर्ममता से निजी अस्पतालों में उठाया जा रहा है.
देश की स्थिति गंभीर है और इसमें निजी क्षेत्र चिकित्सा को सेवा के बदले में व्यापार की भांति चला लाभ का कोई अवसर नहीं छोड़ रहा है. पिछले 24 घंटे में 25,154 नये मरीज मिले हैं, जो 84 दिन में संक्रमितों की सर्वाधिक संख्या है. इससे पहले 20 दिसंबर को संक्रमण के 24,622 नये मामले सामने आये थे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में 2,10,544 लोग उपचाराधीन हैं, जो कुल संक्रमितों का 1.85 प्रतिशत है. देश में लोगों के स्वस्थ होने की दर शनिवार को 96.82 प्रतिशत थी, जो रविवार को गिर कर 96.75 प्रतिशत हो गयी. मंत्रालय के मुताबिक, देश में कोविड-19 के कारण रविवार को 161 लोगों की मौत हो गयी, जो 44 दिन में सर्वाधिक है.
अब तक देश में 1,58,607 लोगों की इस संक्रमण से मौत हो चुकी है. मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं. यहां कोरोना से 88 लोगों की जान गयी है. इसके बाद पंजाब में 22, केरल में 12 लोगों की मौत हुई है. मंत्रालय ने बताया कि 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 24 घंटे में कोविड-19 से मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है. महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में रोजाना कोरोना के नये केस बढ़ रहे हैं. एक दिन में देशभर में कोरोना के 87.73 प्रतिशत नये केस इन्हीं राज्यों से सामने आये हैं.
वैसे दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या 12 करोड़ के पार पहुंच गयी है. बीते 24 घंटे में कोरोना के 4 लाख 41 हजार 891 नये मामले सामने आये हैं और 8,071 लोगों की मौत हुई है. इस तरह दुनिया में अब तक 12 करोड़ 40 हजार से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. 26 लाख 59 हजार 102 लोगों की मौत भी हुई है.
हमारा देश भारत कोरोना से प्रभावित देशों की सूची में तीसरे नंबर पर है. अमेरिका में तीन करोड़, ब्राजील में 1.14 करोड़ और भारत में 1.13 करोड़ लोग संक्रमित हैं. इधर, ब्राजील में कोरोना का एक और स्ट्रेन मिलने की खबर आ रही है. लगभग सभी देशॉ में कोरोना के मामलों के बढ़ने की वजह कोरोना का यह नया स्ट्रेन है.
भारत और देश विदेश का यह चित्र इस दुष्काल की भयावहता को दर्शा रहा है. सरकार की दृष्टि से कुछ बाते ओझल हैं. सरकार ने भारत की जनसंख्या को ध्यान में रखकर निजी क्षेत्र के अस्पतालों को 250 रूपये की निश्चित राशी पर वेक्सीन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की.
निजी चिकित्सा क्षेत्र ने इस आपदा को लाभ के अवसर में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. जिन वरिष्ठ नागरिको और गंभीर बीमारों को यह वेक्सीन प्राथमिकता के आधार पर लगनी थी उन्हें वेक्सीन लगाने के पहले रक्तचाप बढ़े होने, मधुमेह सम्बन्धी मानक गडबड होने के नाम पर टेस्ट जैसे बाजार से गुजरने को मजबूर किया जा रहा है. भयावह दिखाकर तुरंत रिपोर्ट के नाम पर मनमानी वसूली हो रही है. देश की राजधानी दिल्ली, जयपुर, इदौर और भोपाल की ऐसी रिपोर्टें मीडिया में आई हैं. इनमें तो कुछ लोगों को तो एक दिन के लिए अस्पताल में भरती भी रखा गया जिससे उनका बिल वेक्सीन की निर्धारित राशि से 10 गुना तक बना दिया गया.
इसमें खास बात यह है जिन गंभीर रोगों का वेक्सीन लेने वाले पहले से इलाज ले रहे है, उनके समस्त परीक्षण करने का दबाव भी डाला जाता है, भले ही रिपोर्ट एक सप्ताह पूर्व की क्यों न हो. इस बारे में एक नई मार्गदर्शिका की फौरन जरूरत है.