‘‘आप जो बदलाव देखना चाहती थी, उसकी शुरुआत खुद से करें‘‘

Category : इंटरटेंनमेंट | Sub Category : सभी Posted on 2021-03-06 05:18:55


‘‘आप जो बदलाव देखना चाहती थी, उसकी शुरुआत खुद से करें‘‘

‘‘आप जो बदलाव देखना चाहती थी, उसकी शुरुआत खुद से करें‘‘
 ‘‘बाहर निकलें, बेड़ियों को तोड़ें, खुलकर जियें’’ - ग्रेसी सिंह
‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के मौके पर, एण्डटीवी के शो, ‘संतोषी मां सुनाएं  व्रत कथाएं’ की संतोषी मां यानी ग्रेसी सिंह ने खुलकर बातचीत की. उन्होंने उन सशक्त महिलाओं के बारे में बताया, जिन्हें वह पसंद करती हैं. साथ ही एक दमदार किरदार निभाने के बारे में भी बात की. यहां प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के कुछ प्रमुख अंशः
1. ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ का विषय ‘वीमन इन लीडरशिपरू अचीविंग एन इक्वल फ्यूचर इन ए कोविड-19 वल्र्ड‘ (‘नेतृत्व में महिलाएंः कोविड-19 की दुनिया में समान भविष्य हासिल करना‘) आपके लिये क्या मायने रखता है?
- महामारी की इस जंग में महिलाएं, हेल्थकेयर और सोशल सर्विस वर्कर्स, केयरगिवर के रूप में सामने डटकर खड़ी हैं. इसके साथ ही बेहद प्रभावी नेशनल लीडर के तौर पर भी अपना काम कर रही हैं, जो दूसरों के लिए एक मिसाल है.मुश्किल की इस घड़ी में महिलाओं का योगदान और जिम्मेदारियों का जो असमान भार वह अपने कंधों पर लेकर चलती हैं दोनों ही चीजें स्पष्ट नजर आयीं. महिला दिवस की यह थीम पूरी दुनिया में महिलाओं और लड़कियों के बेहतरीन प्रयासों को सलाम करती है कि वे समान भविष्य को आकार दे रही हैं और कोविड-19 महामारी से रिकवर हो रही हैं. यह महिलाओं के हक की बात रखता है कि जीवन के हर क्षेत्र में उन्हें निर्णय लेने का अधिकार हो, उन्हें समान वेतन मिले, सबकी देखभाल और घर के कामों का समान बंटवारा हो, जिनके लिये उन्हें कोई पैसे नहीं मिलते. साथ ही महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हर तरह का अत्याचार बंद हो और उनकी जरूरत के अनुसार उन्हंे स्वास्थ्य सेवाएं मिलें.
2. आपके लिये सबसे प्रेरणादायी महिला कौन हैं (किसी बड़े पद पर और मनोरंजन की दुनिया में) और क्यों?
- खुद पर भरोसा करने वाली और दयालु महिलाएं मुझे प्रेरित करती हैं. मुझे ऐसा लगता है कि एक महिला के लिये इन दोनों का काॅम्बिनेशन काफी दुर्लभ है. यदि मैं एक ऐसे इंसान को चुनूं जिनमें यह दोनों ही खूबियां एक साथ मौजूद हैं तो वह मेरी मां हैं. मेरे जीवन में उनका बहुत बड़ा प्रभाव है. आज मेरे अंदर जितने संस्कार और सीख हैं वह मेरी मां की वजह से हैं. दादी बीके गुलजार (ब्रम्हकुमारी से) का भी सबसे ज्यादा प्रभाव है, जोकि मेरे लिये जीवन में मार्गदर्शक के रूप में साथ खड़ी रहीं. किरण बेदी एक अन्य जानी-मानी हस्ती हैं, जिन्हें मैं बहुत ज्यादा पसंद करती हूं.
 3. पिछले साल से ही, हम देश में महामारी की स्थिति से लड़ रहे हैं. ऐसी स्थिति में आपने अपने काम को किस तरह संभाला, जब पूरी दुनिया पर छंटनी और आर्थिक मंदी के बादल मंडरा रहे थे?
- मैंने लाॅकडाउन के दौरान समय का उपयोग खुद से संवाद करने में किया और इस खाली समय को मैंने डांस, मेडिटेशन और योगा जैसे अपने शौक को पूरा करने में लगाया. इससे मुझे शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से काफी मदद मिली. मुझे अपने परिवार के साथ वक्त बिताने के लिये काफी समय मिला और घर के कामों के लिये भी. जुलाई में शूटिंग शुरू करने के बाद, शुरुआत में सुरक्षा को लेकर थोड़ा डर और चिंता थी. लेकिन हालिया शूटिंग और सुरक्षा के दिशानिर्देशों के साथ सारी चीजों का पूरा ध्यान रखा गया. सभी लोगों को अच्छी तरह सभी चीजों के बारे में समझा दिया गया था. शुरू-शुरू में भविष्य के बारे में सोचकर थोड़ी घबराहट महसूस हो रही थी, क्योंकि सारी चीजें एकदम से थम गयी थीं. लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे चीजों ने रफ्तार पकड़नी शुरू की और हमें उम्मीद की एक नई किरण नजर आयी.  
4. आपको क्या लगता है, आज के दौर की महिलाओं के सामने सबसे मुश्किल चुनौती कौन-सी है, खासकर कामकाजी महिलाओं को अपने काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने में कैसी मुश्किल आती है?
- महामारी की इस स्थिति ने दोनों ही महिलाओं की जिम्मेदारी बढ़ा दी है- चाहे कामकाजी महिलाएं हों या फिर गृहिणी. दोहरी जिम्मेदारी से तनाव और बढ़ जाता है, इसका प्रभाव शरीर और दिलोदिमाग पर पड़ता है. इससे ज्यादा थकान होती है और अपने ऊपर से ध्यान हट जाता है. इस महामारी की वजह से महिलाओं में असमानताएं और दबाव बढ़ा है. महिलाओं पर आर्थिक प्रभाव काफी ज्यादा पड़ा है, अपनी बढ़ी हुई जिम्मेदारियों की वजह से वह अपना काम नहीं कर पा रहीं.
5. आपका किरदार दर्शकों के दिलोदिमाग पर छाया हुआ है. आपके नजरिये से इस भूमिका (किरदार) की खासियत क्या है?
- मैं संतोषी मां का देवी का किरदार निभा रही हूं. वह अपनी भक्त स्वाति (तन्वी डोगरा) के जीवन में मार्गदर्शक के रूप में है. उसके रास्ते में आने वाली हर मुश्किल में संतोषी मां उसके लिये प्रकट हो जाती है. कई सारे अवतारों में उनका एक अवतार, सूत्रधार का भी है जो व्रतों से जुड़ी कहानियां सुनाती है और उसके महत्व के बारे में बताती है. यह स्वाति के लिये मुश्किलों से लड़ने में एक महत्वपूर्ण अस्त्र के रूप में काम करेगा. हो सकता है यह किरदार पिछले सीजन की तरह ही हो, लेकिन इस सीजन में देवी का आयाम अलग है और देवी के किरदार के रूप अलग हैं. मुझे ऐसा लगता है कि यही बात दर्शकों को पसंद आयी. संतोषी मां के प्रति मेरी असीम श्रद्धा की वजह से ही मैंने इस भूमिका को चुना. जब पहली बार मैंने परदे पर इस देवी किरदार को निभाया था, उससे मेरे जीवन में काफी सकारात्मकता आ गयी थी. मुझे इस बात का अहसास हुआ और ऐसा ही मेरे रिश्तेदारों ने भी मुझसे कहा. उन्होंने कहा कि मैं पहले से ज्यादा विनम्र और शांत हो गयी हूं.
 6. आपके हिसाब से महिला होना क्या है?
- महिला होने का मतलब है दूसरों के लिये पाॅजिटिव बदलाव लाने के लिये आवाज उठाना. किसी और महिला को उसके सपने पूरे करने में मदद करना, अपने सपनों को पूरा करने जितना ही महत्वपूर्ण है. हम एक-दूसरे को ही बेहतर तरीके से सपोर्ट कर सकते हैं. यदि हम बदलाव देखना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत खुद से करनी होगी. दूसरों की मदद करना शुरू कर दें.
7. आप सभी लड़कियों और महिलाओं से क्या कहना चाहेंगी?
- सबसे पहले तो सबको ‘महिला दिवस’ की शुभकामनाएं. मैं सभी महिलाओं और लड़कियों से बस यही कहना चाहूंगी कि बड़े सपने देखने से डरें नहीं. संभावनाओं को तलाशें और अपने सपनों की ख्ूाबसूरती को देखें. बाहर निकलें, बेड़ियों को तोड़ें, खुलकर जियें और आप जो बदलाव देखना चाहती हैं उसकी शुरुआत खुद से करें.

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ओमप्रकाश गौड़ (वरिष्ठ पत्रकार)
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