शिवराज सरकार के बजट की दिशा और दशा, एकदम सही और सटीक
शिवराज सरकार ने अपने पहले पूर्ण बजट में दशा के अनुरूप दिशा पर जोर दिया है. इसके बाद भी यह सही है कि उससे कई बिंदु छूट भी गये हैं. प्रतीक के तौर पर ही सही उनका घ्यान रख उल्लेख किया जाना था ताकि सनद रहे कि हमारी भविष्य दृष्टि कहां टिकी हुई है. कृषि प्रधान प्रदेश में पहला बिंदु तो कृषि है उसका पूरा ख्याल रखा है लेकिन कुछ कमिया हैं. किसान आंदोलन में मध्यप्रदेश क ी भागीदारी ज्यादा नहीं है पर है. ऐसे में सरकार को तीनों कृषि कानूनों पर अपनी मजबूती बताने के लिये उल्लेखनीय कदम तो उठाने ही चाहिये थे उनका ऊची आवाज में उल्लेख भी होना चाहिये था. प्रदेश में फूड कारपोरेशन नगण्य सी खरीद धान और अनाज की खरीद करता है जबकि शिवराज सरकार उचित मूल्य पर खरीद करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है. इसके लिये भावान्तर योजना उल्लेखनीय है जिसमें मंडी में जो भाव मिलता है उसके और माॅडल मूल्य के अंतर को सरकार किसान को देती है. इसमें अन्य फसलों के साथ अनाज और धान को भी लाने की घोषणा होनी चाहिये थी. इससे एमएसपी न सही पर उसके करीब का भाव तो सरकार देती ही है. वहीं सरकार अपनी खरीद तो खैर एमएसपी पर करती ही है जिसके लिये पंजीयन किया जाता है. लेकिन इस बजट में मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना में एक भी रूपये का प्रावधान नहीं है. वैसे मुख्यमंत्री फसल उपार्जन सहायता योजना के 2000 करोड़ से शायद इसमें कुछ रकम मिल जाए. इस बजट में एग्रो स्टार्टअप के लिये विशेष प्रावधान किया जाता तो कृषि के निजी करण पर प्रधानमंत्री जो जोर दे रहे हैं उसके दर्शन भी हो जाते. भंडारण के लिये योजना है पर इसके लिये भी अलग उल्लेख होता तो बेहतर रहता. मंडियों की संख्या बढ़ाने और उनके सशक्तिकरण के प्रति भी इसी प्रकार का अपेक्षा थी. बलराम तालाब योजना के लिये एक रूपया भी नहीं जबकि प्रधानमंत्री वर्षाजल की एक एक बूंद सहेजने पर जोर दे रहे हैं. फूड प्रोसेंिसंग पर भी तो कुछ बोलना चाहिये था. मुख्यमंत्री की कृषि कल्याण योजन अन्य राज्यों के लिये प्रेरणा का कारण बन सकती है जिसमें वो प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि में साल के छह हजार रूपये में राज्य सरकार चार हजार रूपया सालाना का अतिरिक्त सहयोग देकर किसानों का दिल जीत रही है. उसके लिये जरूर 3200 करोड़ का प्रावधान है. कृषि के खाते में 23,000 करोड़ रुपया बढ़ा कर दिया है. बैट्री रिक्शा योजना, सोलर उर्जा को बढ़ावा, कांट्रेक्ट फार्मिग को बढ़ावा का माॅडल देकर भी शिवराज सरकार प्रगतिशील किसानों को रास्ता बता सकती थी. नई सीएम स्वरोजगार योजना अच्छी है लेकिन काम धंधे तो मंदे पड़े हैं इससे उम्मीद तो है पर ज्यादा नहीं इसके लिये ठोस रोडमेप अपेक्षित है.