किसानों को गुजरात माॅडल पर ले जाना चाहते हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के कच्छ में किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष पर तीखे प्रहार किये. उन्होंने तीनों कानूनों का पूरी ताकत से बचाव किया और कच्छ में लाकर बसाए गये पंजाब के किसानों की विकास गाथा को आधार बनाया. मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद कच्छ के किसानों की किस्मत बदलनी शुरू हुई थी. आज वे कच्छ के सिख किसानों के फल सब्जी आदि के निर्यात और उससे होने वाली भारी आय को दिखाते हुए कहते देखे गये कि समय के साथ बदलाव से यह संभव हो पाया है. देखने की बात तो यह है कि पंजाब में किसानों की सफलता से प्रेरित होकर गुजरात के कच्छ में वहां के किसानों की किस्मत बदलने का लाया गया था. किसानों ने पहले धान गेंहूं आदि को अपनाया पर मंडियां न होने से वे ज्यादा सफल नहीं हो पाए. यूट्यूब पर वहां गये और असफल होकर वापस पंजाब लौटे एक किसान परिवार की व्यथा उन्होंने सुनाई थी. उसका सार यही था कि वहां गये और लूट गये और नुकसान खाकर वापस लोटे. धान गेंहू को पांच किलो ले जाकर इन किसानों ने पास के शहर में बेचा और टिकने की कोशिश की पर ज्यादा सफल नहीं हो पाए. लेकिन मोदी ने वहां मुख्यमंत्री बनते ही फसल का पैटर्न बदलने को प्रेरित किया और परिदृश्य बदल गया. देखा जाए तो मोदी पूरे देश मे में इसी को अपनाना चाह रहे हैं. उन्होंने कहा कि वहां देश के किसान जीडीपी में जो योगदान है उसमें 25 फीसदी योगदान पशुपालन आदि का है. इसके अलावा फल और सब्जी का योगदान भी है. इस कारण खेती का योगदान काफी कम हो जाता है. उन्होंने कहा कि यहां दूध देने वाले कितने किसानों की जमीनें दूध खरीदने वालों ने छीनी. फल सब्जी की जो फसल वहां के किसान कांट्रेक्ट फार्मिग के माध्यम से तैयार करते हैं उनमें से किसी भी किसान की जमीन नहीं छीनी गई. उन्होंने पूछा कि जब वहां जमीनें नहीं छीनी गई तो बाकी देश में कांट्रेक्ट फार्मिंग में छीन ली जाएंगी. विपक्ष काल्पनिक भय दिखाकर किसानों को भ्रमित कर रहा है.