सिनेमा की विश्व विरासत को बचाने का अथक प्रयास है खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल

Category : देश, विदेश, | Sub Category : सभी Posted on 2020-12-12 03:47:05


सिनेमा की विश्व विरासत को बचाने का अथक प्रयास है खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल

खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल भारत के गाँवों और टपरे या तंबू में आयोजित होने वाला बेहद अनूठा फेस्टिवल है, जिसके ऑर्गेनाइजर बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा बुंदेला हैं, जिसका पीआर पार्टनर पीआर 24 बाई 7 है. मध्यप्रदेश के सबसे बड़े पर्यटन केंद्र खजुराहो में पिछले पांच सालों से खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (केआईएफएफ) का आयोजन किया जा रहा है. इस साल दिसंबर में इसके छठवें संस्करण का आयोजन है. इस बार केआईएफएफ का आयोजन वर्चुअल और पारंपरिक दोनों तरीकों से किया जाएगा, जिसे 2020 में इस दुनिया से विदा होने वाले बॉलीवुड कलाकारों को समर्पित किया गया है. 17 से 23 दिसंबर तक चलने वाले फिल्म जगत के इस अंतराष्ट्रीय कार्यक्रम में देश विदेश की कई नामचीन हस्तियां मौजूद रहेंगी.
प्रयास प्रोडक्शन के संचालक राजा बुंदेला बताते हैं कि खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन सिनेमा की विश्व विरासत को बचाने का एक सार्थक प्रयास है. इस फिल्म फेस्टिवल के अंतर्गत पांच टपरा टॉकीजों में कॉमेडी फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. इसके साथ ही वहाँ मौजूद हस्तियों के स्वागत-सत्कार हेतु अलंकरण का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. फेस्टिवल में संवाद सत्र का आयोजन करने के साथ ही सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का प्रदर्शन भी किया जाएगा. इन सब से अलग खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पशु मेला का भी आयोजन किया जा रहा है. खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन स्थानीय भाषा, संस्कृति, परिवेश और पर्यटन की खूबसूरती को दर्शाता है. फेस्टिवल के आयोजन का उद्देश्य बुंदेलखंड के प्रतिभाशाली फिल्म कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है. फेस्टिवल में बड़ी संख्या में स्थानीय भाषा की फिल्मों को भी प्रदर्शित किया जाता है.
खजुराहो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल देश का इकलौता ऐसा फिल्म फेस्टिवल है, जिसमें स्थानीय स्तर पर फेस्टिवल की फिल्मों को टपरा टॉकीज में दिखाया जाता है. यह टपरा टॉकीज बांस-बल्ली गाड़कर तिरपाल से बनाई जाती है. पहले जब सिनेमाघर नहीं हुआ करते थे, तब इन्हीं टपरा टॉकीजों में लोग फिल्मों का आंनद लिया करते थे. केआईएफएफ की फिल्मों को पहले के वर्षों में भी सिनेमाघरों की बजाय टपरा टॉकीज में दिखाया जाता रहा है.

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