सोमवती अमावस्या 14 दिसंबर को, 57 साल बाद पंचग्रही युति योग में

Category : कला, संस्कृति, साफ्ट स्किल, स्वास्थ्य, आध्यात्म, ज्योतिष, जाॅब | Sub Category : सभी Posted on 2020-12-09 21:39:04


सोमवती अमावस्या 14 दिसंबर को, 57 साल बाद पंचग्रही युति योग में

- सोमवती अमावस्या पर बन रहा संयोग,
- श्रद्धालु पवित्र नदियों में लगाएंगे डुबकी
भोपाल। अगहन मास में 14 दिसंबर को 57 साल बाद पंचग्रही युति योग में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है. इस दिन राजधानी भोपाल के शीतलदास की बागिया, होशागांबाद, बुधनी घाट सहित अन्य नदियों में श्रृध्दालु आस्था का स्नान होगा. साथ ही महादेव के दर्शन व पूजा पाठ के साथ स्नान दान का विशेष महत्व है। इसके चलते राजधानी सभी शिव मंदिरों में भक्त उमड़ेंगे. मां चामुंडा दरबार के पुजारी गुरूजी पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि पंचग्रही युति में अमावस्या पर स्नान व दान, पुण्य का विशेष फल प्राप्त होता है. मार्गशीर्ष मास की अमावस्या सोमवार के दिन पांच ग्रहों के युति योग में आ रही है. इस प्रकार का संयोग कभी कभार सालों में बनता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान ग्रह गोचर में शनि गुरु मकर राशि में गोचरस्थ हैं. मकर वर्ष गणना से देखें तो यह स्थित 57 साल बाद बन रही है. सन 1963 में पंचांग के 5 अंग जैसे थे वैसे ही 2020 में अमावस्या तिथि, जेष्ठा नक्षत्र, शूल योग, चतुष्पद करण, वृश्चिक राशि का चंद्रमा, यह अपने आप में विशिष्ट माने जाते हैं. पंचाग के पांच अंगों के साथ पंचग्रही योग विशेष प्रबलता लिए हुए हैं.
यह है पंचग्रही योग
ज्योतिषाचार्य विनोद रावत ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में अलग-अगल गणना के अनुसार ग्रहों की विभिन्न युतियां बनती है. इनमें 2 ग्रहों से लेकर 7 ग्रहों की युतियां बनती रहती है. विशेष पर्व काल में अगर युति योग बनता है, तो यह दान, पुण्य, अनुष्ठान आदि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या पर पंचग्रही युति बन रही है. इनमें वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र, केतु की युति रहेगी. इसी युति का वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल से नवम पंचम दृष्टि संबंध बनेगा. इसका असर कूटनीतिक क्षेत्र में सफलता को दशार्ता है। इस दृष्टि से देखें तो भारतीय विदेश नीति आने वाले तीन सालों में बेहतर परिणाम देने वाली रहेगी। विश्व में भारत का वर्चस्व बढ़ेगा.
सोमवती अमावस्या का महत्व -
पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण द्वारा राजा युधिष्ठिर को सोमवती अमावस्या का महत्व और प्रतिष्ठा के बारे में बताया गया था. कहा जाता है कि जो लोग सोमवती अमावस्या का व्रत करते हैं उन्हें दीघार्यु का आशीर्वाद मिलता है. वहीं, जो लोग इस दिन पवित्र नदी में स्नान करते हैं या डुबकी लगाते हैं उन्हें अपने सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है. पीपल के पेड़ पर देवताओं का निवास माना जाता है. ऐसे में अगर सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाए तो व्यक्ति को सौभाग्या की प्राप्ति होती है. की पूजा-प्रार्थना करते हैं तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पति की लंबी उम्र के लिए भी यह व्रत किया जाता है. कुंवारी कन्याएं अगर यह व्रत करें उन्हें अच्छा जीवनसाथी मिलता है.
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए करें पूजा-पाठ
इस दिन मृत पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए भी पूजा की जाती है. पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी सोमवती अमावस्या का व्रत किया जा सकता है. इस दिन अगर व्यक्ति होमा, यज्ञ, दान, दान और पूजा अनुष्ठान करे तो उसकी सभी दुख समाप्त हो जाते हैं.
विदेशों में सूर्यग्रहण, भारत में मान्य नहीं
सोमवती अमावस्या पर विदेशों में सूर्यग्रहण रहेगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देने से मान्य नहीं है. 14 दिसंबर का सूर्यग्रहण विदेशों में नजर आएगा. भारत में यह दिखाई नहीं देगा, जो ग्रहण दृश्य नहीं होता है, उसकी मान्यता नहीं रहती है।
सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ - 14 दिसंबर, सोमवार रात 12 बजकर 46 मिनट से.
अमावस्या तिथि समाप्त - 14 दिसंबर, सोमवार रात 9 बजकर 48 मिनट तक.

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