7 दिसंबर को कालभैरव के साथ होगी भोलेनाथ की पूजा

Category : कला, संस्कृति, साफ्ट स्किल, स्वास्थ्य, आध्यात्म, ज्योतिष, जाॅब | Sub Category : सभी Posted on 2020-12-06 22:57:52


7 दिसंबर को कालभैरव के साथ होगी भोलेनाथ की पूजा

7 दिसंबर को कालभैरव के साथ होगी भोलेनाथ की पूजा  
भोपाल. मां चामुंडा दरबार के गुरु पंडित राम जीवन दुबे एवं ज्योतिषाचार्य विनोद रावत ने बताया कि भगवान कालभैरव का प्राकट्यपर्व मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष अष्टमी 7 दिसंबर सोमवार को मनाई जाएगी. आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचण्ड दंडनायक श्रीकालभैरव को शिव का पंचम रुद्रावतार कहा गया है. शिवपुराण में कहा गया है कि, भैरव पूर्ण पोहि शंकरस्य परात्मन, मूढास्ते वै न जानन्ति मोहितारू शिवमायया. अर्थात- भैरव ही पूर्ण रूप से जगत कल्याण करने वाले शंकर हैं, किन्तु शिव माया के कारण मूढ़ लोग इस तत्व को नहीं जान पाते. ब्रह्मवैवर्तपुराण में महाभैरव, संहारभैरव, असितांगभैरव, रुद्रभैरव, कालभैरव, क्रोधभैरव, ताम्रचूड़भैरव तथा चंद्रचूड़भैरव इन्हीं आठ भैरवों की आराधना का विधान बताया गया है. इन सबके प्राकट्य की अलग-अलग कथाएं भी हैं किन्तु वर्तमान श्रीवैवस्वत मन्वंतर में श्रीबटुक एवं श्रीकालभैरव की पूजा-आराधना सर्वाधिक की जाती है.
बटुक भैरव को श्रीकालभैरव का ही सात्विक रूप माना जाता है ये अपने भक्तों को तत्काल कष्टों से मुक्ति देते हैं. इनकी पूजा आराधना से घर में नकारत्मक ऊर्जा, जादू-टोने तथा भूत-प्रेत, मारण, मोहन, विद्वेषण उच्चाटन आदि से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता. ऋषियों ने भी अंधकाररूपी अज्ञान के भय से मुक्त करके ज्ञानरूपी प्रकाश का मार्ग दिखाने वाले शिव को ही कालभैरव कहा है, जो स्वयं शिव के क्रोध से ही प्रकट हुए हैं. तभी इनका स्वभाव क्रोधपूर्ण एवं तामसपूर्ण भी है.
काल भैरव के प्रकट होने की कथा
काल भैरव के प्रकट होने की कई कथाएं हैं किन्तु वर्तमान प्रचलित कथाओं में ब्रह्मा जी के मानमर्दन की कथा सर्वाधिक लोकप्रिय है जो इस प्रकार है.
 एक बार देवताओं ने ब्रह्मा जी प्रश्न किया कि, हे परमपिता! इस चराचर जगत में अविनासी तत्व कौन हैं? जिनका आदि-अंत किसी को भी पता न हो ऐसे देव के बारे में हमें बताने की कृपा करें. ब्रह्मा जी ने कहा कि चराचर जगत में अविनासी तत्व तो केवल मै ही हूँ क्योंकि, ये श्रृष्टि मेरे द्वारा ही सृजित हुई है, मेरे वगैर सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती. देवताओं ने यही प्रश्न श्रीविष्णु जी से किया तो उन्होंने कहा कि, मैं इस चराचर जगत का भरण-पोषण करता हूँ इसलिये अविनासी तत्व तो मैं ही हूँ. इस सत्य तह तक पहुंचने के लिए चारो वेदों को बुलाया गया.वेदों ने एक ही स्वर में कहा कि, जिनके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है, जिनका कोई आदि-अंत नहीं है, जो अजन्मा हैं, जो जीवन-मरण, सुख-दुख से परे हैं, देवता-दानव जिनका समान रूप से पूजन करते हैं वे अविनासी कोई और नहीं भगवान शिव ही हैं.
वेदों के द्वारा शिव के विषय में इस तरह की वाणी सुनकर ब्रह्मा जी के पांचवें मुख ने शिव के विषय में कुछ अपमानजनक बातें कहीं, जिन्हें सुनकर चारो वेद अति दुखी हुए. उसी समय एक दिव्य ज्योति के रूप में भगवान रूद्र प्रकट हुए, उन्हें देखकर ब्रह्मा जी कहा कि हे चंद्रशंक ! तुम मेरे ही शिर से पैदा हुए हो, अधिक रुदन करने के कारण मैंने ही तुम्हारा नाम रूद्र रखा है. इसलिये तुम मेरी सेवा में आ जाओ. तभी शिव को भयानक क्रोध आया और उन्होंने भैरव नामक दिव्यपुरुष को उत्पन्न किया और कहा कि, तुम ब्रह्मा पर शासन करो. उन दिव्य शक्ति संपन्न भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखून से ब्रह्मा के उस पांचवें मुख को ही काट दिया, जिसने शिव के विषय में अपमानजनक बातें कहीं थीं.
ब्रह्मा का सिर काटने के कारण इन्हें ब्रह्म हत्या जैसा पाप भी लगा. शिव के कहने पर ये काशी प्रस्थान किये और ब्रह्म हत्या से मुक्त हुए. शिव ने उसी समय महाप्रलय में भी नष्ट न होने वाली अविमुक्त क्षेत्र काशी का कोतवाल नियुक्त किया.इनका दर्शन किये वगैर श्रीविश्वनाथ जी का दर्शन अधूरा रहता है. इनका दिव्य मंत्र? नमो भगवते कालभैरवाय का 108 बार प्रतिदिन जप करने से प्राणी कष्ट से मुक्त रहता है. आज शहर, प्रदेश एवं देश में यह पर्व धूम-धाम से मनाया जावेगा और मंदिरों में भक्त लोगों की भीड़ रहेगी. सोमवार का दिन होने के कारण शिवजी और उनके पांचवे अवतार की पूजा साथ होगी.

Contact:
Editor
ओमप्रकाश गौड़ (वरिष्ठ पत्रकार)
Mobile: +91 9926453700
Whatsapp: +91 7999619895
Email:gaur.omprakash@gmail.com
प्रकाशन
Latest Videos
जम्मू कश्मीर में भाजपा की वापसी

बातचीत अभी बाकी है कांग्रेस और प्रशांत किशोर की, अभी इंटरवल है, फिल्म अभी बाकी है.

Search
Recent News
Leave a Comment: