गोपाष्टमी 22 नवंबर को, पूजा से होगी सुख-शांति, समृद्धि की प्राप्ति

Category : कला, संस्कृति, साफ्ट स्किल, स्वास्थ्य, आध्यात्म, ज्योतिष, जाॅब | Sub Category : सभी Posted on 2020-11-20 06:07:50


गोपाष्टमी 22 नवंबर को, पूजा से होगी सुख-शांति, समृद्धि की प्राप्ति

गोपाष्टमी 22 नवंबर को, पूजा से होगी सुख-शांति, समृद्धि की प्राप्ति
भोपाल. भोपाल मां चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे एवं ज्योतिषाचार्य श्री विनोद रावत ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष गोपअष्टमी रविवार 22 नवंबर को शहर, प्रदेश, देश में धूमधाम से मनाई जावेगी. वेद-शास्त्रानुसार गाय में समस्त देवताओं का वास बताया गया है.
गोपाष्टमी का महत्व क्या है -
गायों को हिंदू धर्म और संस्कृति की आत्मा माना जाता है. उन्हें शुद्ध माना जाता है और हिंदू देवताओं की तरह उनकी पूजा भी की जाती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि कई देवियां और देवता एक गाय के अंदर निवास करते हैं और इसलिए गाय हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती हैं. गाय को आध्यात्मिक और दिव्य गुणों का स्वामी माना जाता है और यह देवी पृथ्वी का एक और रूप है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर गाय की पूजा करने वाले व्यक्तियों को एक खुशहाल जीवन और अच्छे भाग्य का आशीर्वाद मिलता है. यह भक्तों को उनकी इच्छाओं को पूरा करने में भी मदद करता है. गाय को माता का रूप माना गया है.
गोपाष्टमी की कहानी -
गोपाष्टमी के उत्सव से जुड़े कई कहानियां हैं. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, गायों को भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, गोपाष्टमी वह विशिष्ट दिन था जब नंद महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण और भगवान बलराम को गायों को चराने के लिए पहली बार भेजा, जब वे दोनों 6-10 साल की आयु में प्रवेश कर रहे थे और इस प्रकार, इस विशेष दिन से, वे दोनों गायों को चराने के लिए जाते थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि भगवान इंद्र अपने अहंकार के कारण वृंदावन के सभी लोगों को अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहते थे.इसलिए, उन्होंने बृज के पूरे क्षेत्र में बाढ़़ लाने का फैसला किया ताकि लोग उनके सामने झुक जाएं और इसलिए वहां सात दिन तक बारिश हुई. भगवान श्रीकृष्ण को एहसास हुआ कि क्षेत्र और लोग खतरे में हैं, इसलिये उन्हें बचाने के लिए उन्होंने सभी प्राणियों को आश्रय देने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया. आठवें दिन, भगवान इंद्र को उनकी गलती का एहसास हुआ और बारिश बंद हो गई. उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी. भगवान इंद्र और भगवान श्रीकृष्ण पर सुरभी गाय ने दूध की वर्षा की और भगवान श्रीकृष्ण को गोविंदा घोषित किया जिसका मतलब है गायों का भगवान. यह आठवां दिन था जिसे अष्टमी कहा जाता है, वह विशेष दिन गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है.
गोपाष्टमी के अनुष्ठान और उत्सव-
गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और गायों को साफ करते हैं और स्नान करते हैं. यह हिंदू अनुष्ठान इस दिन बछड़े और गायों की एक साथ पूजा व प्रार्थना करने का दिन है. पानी, चावल, कपड़े, इत्र, गुड़, रंगोली, फूल, मिठाई, और अगरबत्ती के साथ गायों की पूजा की जाती है. विभिन्न स्थानों पर, पुजारीयों द्वारा गोपाष्टमी के लिए विशिष्ट पूजा भी की जाती है. गाय पूजा एवं गौ दान से स्वर्ग की प्राप्ति होती है. परिवार में भोजन बनाते समय महिला पहली रोटी गौ ग्रास के रूप में निकालती है. गोपष्टमी के दिन पूजा करने से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि, वैभव लक्ष्मी का आगमन होता है.

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