कांगे्रस के सामने अपनों के षडयंत्र से अपना घर बचाने की चुनौती
चंद लोगों के गुट ने लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को राफेल में उलझा
दिया। मोदीजी 303 सीट निकाल कर ले गये। अब कांग्रेस को नागरिकता संशोधन
कानून, जनसंख्या रजिस्टर में उलझा दिया है। काल्पनिक नागरिकता रजिस्ट्रेशन
का भ्रमजाल में तो कांग्रेस पहले से ही फंसी हुई है। इन तीनों मुद्दों से
मुस्लिम ध्रुवीकरण तेज होने के साथ कट्टर हो रहा है। इससे मुस्लिम वोटर
मुस्लिम प्रत्याशियों की झोली में जाने वाले हैं। इनमें भी कट्टर पार्टियों
को प्राथमिकता देगा मुस्लिम वोटर। इसमें कांग्रेस जैसे धर्मनिरपेक्ष
दल नुकसान में रहेंगे। कांग्रेस की स्थिति बताना है तो कहना पड़ेगा रहने को
घर नहीं है सारा जहां हमारा। कांग्रेस को इस चक्रव्यूह से निकलने का
रास्ता तलाशना चाहिए।
इस तारतम्य में एक दो बातें और भी ध्यान देने
योग्य है। पहली यह कि सारे भाजपा विरोधी आंदोलनों को सशक्त बनाने और
राष्ट्रव्यापी दिखाने में कांग्रेस की भूमिका सबसे ज्यादा है। कांग्रेस
नहीं होती तो यह राष्ट्रव्यापी नजर ही नहीं आता। यही नहीं कब का ही बिखर कर
खत्म भी हो जाता।
दूसरी बात है भाजपा का मजबूत बने रहना और यही नहीं
उसकी ताकत में इजाफा होना। इसका प्रमाण है भाजपा का वोट प्रतिशत का बने
रहना और कहीँ कहीं बढ़ना भी। ऐसे में झारखंड सरीखी हार का कारण वोटों का
बिखराव है। यह बिखराव रुकते ही भाजपा का विजय रथ फिर चलने लगेगा जिसकी
संभावना नजर आने लगी है।
अंत में यही कि कांग्रेस अपनी स्थिति पर
चिंतन करे और अपनी स्थिति को मजबूत बनाए। कांग्रेस की मजबूती और एकता में
ही देश की मजबूती और एकता है। इसके लिए उसे देरअबेर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण
को छोड़कर संतुलित और तर्कसंगत अल्पसंख्यक नीति अपनानी होगी। शुभस्य शीघ्रम्
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