सदी के अंत तक खत्म हो जाएंगी 50 प्रतिशत से अधिक भाषाएं
- विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2020 में तीसरे दिन उभरी चिंता
- कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूएई, नीदरलैंड, यूके, यूएसए, कजाखिस्तान, स्वीडन और श्रीलंका में आयोजित हुए विभिन्न कार्यक्रम
भोपाल. टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव के दूसरे संस्करण के तहत रविवार को कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूएई, नीदरलैंड, यूके, यूएसए, कजाखिस्तान, स्वीडन और श्रीलंका में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए. विश्वरंग कनाडा के पहले दिन की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना के साथ हुई. कार्यक्रम के दौरान अपूर्वा श्रीवास्तव ने कहा ‘50 प्रतिशत से अधिक भाषाएं इस सदी के अंत तक खत्म हो जाएंगी. इस वजह से सभी भाषाओं को आगे बढ़ाना बहुत जरूरी है. हिंदी ने भारत को एकता के सूत्र में पिरोया है. भारत की सांस्कृतिक विविधता और सुंदरता को बनाए रखने के लिए भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है.’
विश्वरंग कनाडा में आगे कनाडा के ऊपर एक शॉर्ट फिल्म भी देखने को मिली, जिसमें कनाडा की प्राकृतिक और सांस्कृतिक सुंदरता और विविधता भी देखने को मिली. कार्यक्रम में आगे विज्ञान और उसके महत्व पर भी चर्चा हुई. इस दौरान पानी बचाने के महत्व पर जोर दिया गया. विश्वरंग के माध्यम से लोगों को यह बताने की कोशिश की गई कि बिना पानी के कोई जीवन संभव नहीं हो पाएगा. भारतीय मूल के कनाडा साहित्यकारों ने भी कार्यक्रम की खूबसूरती में चार चांद लगाए. इनमें पंजाबी, अंग्रेजी और गुजराती के लेखकों ने सभी को संबोधित किया. कनाडा में भारत के पंजाब से अधिकतर लोग आते हैं. इस वजह से यहां पंजाबी साहित्य और संस्कृति का मेल देखने को मिलता है. पंजाब और कनाडा के साहित्य का अनूठा मेल सभी को आकर्षक लगा. विश्वरंग कनाडा में आगे कनाडा में हिंदी के विकास पर चर्चा की गई. आचार्य श्रीनाथ द्विवेदी, दीप्ति कुमार, डॉ. भारतेंदु श्रीवास्तव और आशा वर्मन इस कार्यक्रम में शामिल हुए. इन सभी वरिष्ठ साहित्यकार ने कनाडा में हिंदी की विकास यात्रा को जिया है. इस सत्र का संचालन आशा वर्मन ने किया. कार्यक्रम का समापन दो छोटे नाटकों के साथ हुआ. पहले नाटक ‘अश्वत्थामा’ में नैमिष नानावटी ने अपने शानदार अभिनय से सभी का मन मोह लिया. अगले नाटक ‘चीफ की दावत’ में भी सभी कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय कर सभी का मनोरंजन किया.
ऑस्ट्रेलिया में विश्वरंग का तीसरा दिन सितार और तबला वादन के साथ शुरू हुआ. इसमें विश्वरंग, पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर स्टीव वॉ ने सुनाए क्रिकेट से जुड़े मजेदार किस्से.
विश्वरंग ऑस्ट्रेलिया महोत्सव के तीसरे दिन की शुरुआत सितार और तबला वादन के साथ हुई. तबला वादक अमन पाल और सितार वादक डॉ. रसपाल सिंह की जोड़ी ने कार्यक्रम की शुरुआत में ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कला प्रदर्शनी में अनुदीपा कार्दशियन, हिरने पटेल, प्रीती शुक्ला, अभिजीत सरकार, फ्रेची हेवूड, संजीव मेनन और मिट्ठू गोपालन की रचनाओं का प्रदर्शन किया गया. पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर स्टीव वॉ ने पवन लूथरा के साथ हुए साक्षात्कार में क्रिकेट जगत के कई रोचक किस्से साझा किए. उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों के साथ अपनी यादें भी सभी के साथ साझा की.
इस दौरान बॉलीवुड फिल्म ‘द बॉम्बे टॉकीज’ के ऑस्ट्रेलिया कनेक्शन के बारे में भी कार्यक्रम में बताया गया. डॉ. विक्रांत किशोर ने पीटर डीटेज के साथ इस विषय पर चर्चा की. ज्योत्सना ज्योति के नाटक ‘नाट्यशास्त्र का ऑस्ट्रेलियाई मंच’ ने भी दर्शकों को खासा रोमांचित किया. विपुल व्यास और शब जैदी अबी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने. इसके बाद डॉ. सुभाष शर्मा और डॉ. एडरियन मैक्निल ने एक साक्षात्कार में कई मजेदार बातें दर्शकों को बताई. विश्वरंग ऑस्ट्रेलिया महोत्सव के तीसरे दिन के अंत में मुशायरे का सत्र रखा गया. इस कार्यक्रम को सभी ने खासा पसंद किया और कई बेहतरीन मुशायरे दर्शकों को सुनने को मिले. इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशरफ शाद ने किया. रेखा राजवंशी, डॉ. याश्मीन हुसैनी, महेश जानिब, डॉ. याश्मीन शाद, शैयद फरोघ जैदी, फरहत इकबाल और डॉ. बकार रजा इस मुशायरे में शामिल हुए.
विश्वरंग सिंगापुर में तीसरे दिन मंटो नाटक के जरिए सामाजिक संदेश
विश्वरंग सिंगापुर का तीसरा दिन मंटों नाटक की शानदार प्रस्तुति के साथ शुरू हुआ. बालासुब्रमण्यम के इस नाटक ने सभी दर्शकों को झकझोर कर रख दिया. इस नाटक में सामाजिक बुराईयों और दोहरे चरित्र वाले नेताओं पर करारी चोट की गई. इसके बाद कार्यक्रम में प्रवासी लोगों की कविताओं ने सभी को आकर्षित किया. बिकास नाथ की कविताओं को इस सत्र में सभी ने दिल खोलकर सराहा. कल्पवृक्ष फाइन आर्ट्स की टीम ने अपने बेहतरीन ग्रुप डांस से सभी का मन मोह लिया. इसके बाद लेखिका कनगलथा के और सना सिंह ने राजीव पटके के साथ अपनी रचनाओं और रचना यात्रा पर बात की.
विश्वरंग सिंगापुर में कविताओं पर नृत्य के ऊपर भी एक कार्यक्रम रखा गया. इस अनूठे कार्यक्रम ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा. सिंगापुर में संस्कृत और संस्कृति के ऊपर भी इस कार्यक्रम में चर्चा हुई. इस दौरान लोगों को कई रोचक बातें जानने को मिली. सिंगापुर में कला, संस्कृति और भाषा के ऊपर भी एक सत्र रखा गया. जिसमें सिंगापुर और भारत के संबंधों के अलावा सिंगापुर में भारतीय संस्कृति और हिंदी के प्रभाव पर भी चर्चा की गई. गांधी और बोंगोबंधु शेख मुजीब उर रहमान के विचार और विभिन्न विषयों पर दोनों महापुरुषों का क्या मत था, यह कितना सामान और कहां पर अलग था. इन सभी विषयों पर भी विश्वरंग सिंगापुर में बात की गई. दोनों नेताओं की समानताएं ही दोनों देशों को जोड़ने का काम करती हैं. कार्यक्रम के अंत में चित्रकला प्रदर्शनी रखी गई. लगभग 50 मिनट के इस कार्यक्रम में दर्शकों को एक से बढ़कर एक कलाकृतियां देखने का मौका मिला.
विश्वरंग नीदरलैंड में तीसरे दिन पुष्प संस्कृति पर हुई चर्चा
नारंगी नीदरलैंड उत्सव के दूसरे दिन की शुरुआत श्री रामा तक्षक के स्वागत भाषण से हुई। स्वागत भाषण के बाद नीदरलैंड के पूर्व डिप्टी मेयर रॉबिन बलदेव सिंह ने कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों को एक खास संदेश दिया. इसके बाद नीदरलैंड के उत्सव गीत का गायन हुआ. उत्सव गीते के बाद नीदरलैंड की दो विशेषताओं पुष्प संस्कृति और नहरों के जाल पर चर्चा हुई. शिव मोहन सिंह ने बताया कि कैसे पुष्प संस्कृति इस देश को और भी खूबसूरत बनाती है और इससे यहां की हवा और पर्यावरण भी स्वस्थ रहता है. यहां नहरें पूरे देश में इस तरह फैली हुई हैं जैसे मानव शरीर में धमनियों का जाल बिछा रहता है. नहरों के इसी जाल के कारण यहां की पुष्प संस्कृति अभी फल फूल रही है. इसके साथ ही कृषि से लेकर उद्योग तक पानी की हर जरूरत को ये नहरें पूरा करती हैं. यातायात के साधन के रूप में भी नहरों का इस्तेमाल होता है. नारंगी नीदरलैंड महोत्सव में आगे रंग बिरंगे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ. तिनष्का मजूकर के भजन और आरती ने सभी का दिल जीत लिया और इस ऑनलाइन कार्यक्रम से सभी दर्शकों के घर का माहौल भक्तिमय हो उठा. राजमोहन के सुरीनामी लोकसंगीत ने भी सभी दर्शकों का मनोरंजन किया. कार्यक्रम के अंत मे कलाकारों ने अपने कलाम सुनाकर दर्शकों का मनोरंजन किया.
विश्वरंग यूएई मेें तीसरे दिन कला की महत्ता रेखांकित
विश्वरंग यूएई का तीसरा दिन तीन हिस्सों में संपन्न हुआ. कार्यक्रम के पहले हिस्से में फिल्म समीक्षा की गई, जबकि दूसरे हिस्से में उद्योग वार्ता और तीसरे हिस्से में इतिहास पर चर्चा की गई. फिल्म समीक्षा में सुचेता फुले ने विकास के साथ अपनी दो फिल्मों पर चर्चा की. उनका मानना है कि आदिमानव से मानव बनने के लिए कला बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि उनकी पहली एक बच्चे के साथ हुए दुष्कर्म के बारे में है. यह एक औरत की कहानी है और वो कैसे बड़ी होती है यह फिल्म में दिखाया गया है. उनकी दूसरी फिल्म उस दबाव के बारे में है, जो माता-पिता अपने बच्चे पर प्रतियोगी परीक्षा निकालने के लिए डालते हैं. उन्होंने आगे बताया कि उन्हें सिर्फ मनोरंजन के लिए काम करना पसंद नहीं है. वो सार्थक सिनेमा बनाने पर यकीन रखती हैं. सुचेता फुले के बाद कपिल वर्मा ने भी अपनी फिल्मों के बारे में बताया. कपिल राजस्थान के जाने-माने फिल्म मेकर और मास्टर कॉपी प्रोडक्शन कंपनी के मालिक हैं. वो पिछले 15 सालों से दुबई में काम कर रहे हैं. उनकी कंपनी टीवी के विज्ञापन, कॉरपोरेट वीडियो और शॉर्ट फिल्म बनाती है. उन्होंने दिल्ली से लेकर दुबई तक के अपने सफर पर भी चर्चा की.
कार्यक्रम के दूसरे हिस्से में उद्योग वार्ता में कनक माद्रेचा ने अपने निजी जीवन से जुड़े अनुभव साझा किए. कनक दुबई में बड़े उद्योगपति हैं. उन्होंने बताया कि उनकी स्कूली शिक्षा हिंदी में हुई है. उन्होंने योगा बहुत की कम उम्र में सीख लिया था और आज भी योग करते हैं. विश्वरंग दुबई के आखिरी हिस्से में संस्कृति को लेकर चर्चा हुई. यूएई के पेंसिल मैन के रूप में पहचान रखने वाले वेंकटरमन कृष्णमूर्ति ने इस सत्र में अपनी बात कही. इस दौरान उनकी पत्नी भी उनके साथ रही. उन्होंने बताया कि शिक्षा के लिए काम करना ही उनका लक्ष्य है. वो बच्चों की शिक्षा काम कर रहे हैं और आगे भी करना चाहते हैं. उनकी पत्नी ने बताया कि वो वेंकटरमन को दूसरे लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित करती हैं, ताकि समाज के ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी मदद का लाभ ले सकें. उनके दादाजी भी बड़े साहित्यकार रहे हैं. उनके साहित्य पर भी कार्यक्रम के आखिरी पड़ाव पर चर्चा हुई. सना संजन, स्नेह देव और कुसुम दत्ता भी कार्यक्रम में शामिल हुई.
विश्वरंग यूके में हिंदी कवियों ने बिखेरी रौनक, ऋचा जिंदल की कविताओं में दिखा आध्यात्म और शांति का पुट
संस्कृति, कला और साहित्यिक विरासत को मनाने वाले विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2020 के एक भाग विश्वरंग यूके में दूसरे दिन हिंदी कविताओं का जलवा रहा. प्रतिष्ठित कवयित्री ऋचा जिंदल ने अपनी कविताओं से सभी का मन मोह लिया. उन्होंने अपनी किताब से कई छोटी-छोटी रचनाएं सुनाई और श्रोताओं का मनोरंजन और चेतन किया. कार्यक्रम में आगे डॉ. अरुणा अजीतसरिया ने भी अपनी रचनाओं ने सभी को अभिभूत किया. शन्नो अग्रवाल, मनीश कुलश्रेष्ठ और मधु चैरसिया भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने. इसके बाद शाहिल अग्रवाल, पूनम देव, ऊषा वर्मा, हिना बक्शी, महेन्द्र देवसर, कृष्णकांत टंडन, जय वर्मा, सरिता सभरवाल, अरुण सभरवाल और डॉ. रश्मि खुराना ने भी अपनी कहानियों से सभी का मनोरंज किया.
विश्वरंग यूके में ललित मोहन जोशी ने अपनी डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया. यह डॉक्यूमेंट्री ‘ईस्ट मेट वेस्ट, इंडो ब्रिटिश सिनेमैटो एनकाउंटर’ विषय पर थी. कार्यक्रम के अंत में तरुण कुमार ने कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी मेहमानों और कलाकारों का आभार जताया. इस दौरान भारत और ब्रिटेन के साहित्यिक रिश्तों पर भी चर्चा हुई. ये कहानियां भारत और ब्रिट्रेन के राजनीतिक और आर्थिक संबंधों के अलावा सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्तों पर भी चर्चा हुई. कार्यक्रम के अंत में इंदू भरोत को भी सफल संचालन के लिए धन्यवाद दिया.
विश्वरंग यूएसए में संजीव रामभद्रन की गजलें सुन मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
विश्वरंग यूएसए 2020 का दूसरा दिन नृत्य पर चर्चा के साथ शुरू हुआ. गीत और गजल नाम के इस सत्र में संजीव रामभद्रन ने कुछ बेहतरीन गजलें सुनाई. कहीं और जा बसे... संजीव की इस गजल ने सभी को भावविभोर कर दिया. संजीव जी शुरुआत से ही अमेरिका में पले बढ़े. इसके बाद उन्हें श्री राम फाटक से शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत का ज्ञान मिला. संजीव अब तक कई बड़े मौकों पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं. संजीव टीवीएस सारेगामा के मुख्य सत्र के पहले विदेशी प्रतिभागी भी रहे हैं. संजीव ने अपनी प्रस्तुति में लगता नहीं है दिल मेरा, सड़कों पर आवारा फिरूं ऐ दिल का क्या करूं जैसी गजलों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसके बाद लय, ताल और नृत्य के साथ साथ ओडिसी नृत्य पर चर्चा हुई. संजुता सेन भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनी. विश्वरंग यूएसए में आगे सुषम बेदी की याद में, युवा प्रतिभा, दास्तानगोई और कुचीपुड़ी नृत्य देखकर दर्शक आनंदित हो उठे. कार्यक्रम में आगे टैगोर और इकबाल पर भी चर्चा हुई.