दीपावली पर 499 वर्ष बना महासंयोग
- 17 वर्ष बाद सर्वार्थसिद्धि योग में होगी पूजा
भोपाल. भोपाल मां चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे एवं ज्योतिषाचार्य श्री विनोद रावत ने बताया कि ज्योतिषानुसार पांच दिवसीय दीपावली पर्व का शुभारंभ धनतेरस, रूप नरक चतुदर्शी, दीपावली लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट, भाईदूज पर पर्व का समापन माना गया है.
धनतेरस को बाजारों में रौनक के साथ होगी धनवर्षा, करोड़ों का होगा कारोबार -
कार्तिक मासे कृष्ण पक्ष 13 प्रदोष व्रत के साथ धन्वतरि जयंती के साथ धनतेरस गुरुवार 12 नव बर को मनाई जावेगी. धन्वतरि इस दिन आयुर्वेद के देवता समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है. बर्तन, चांदी के सिक्के, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन, वस्त्र, पूजा-पाठ की सामग्री, सजावट का सामान, धातु से संबंधित सामान खरीदने की प्रथा है. धनतेरस पूजा एवं क्रय का शुभ समय गोधूलि रात्रि 6.00 से 7.30 अमृत, रात्रि 7.30 से 9.00 चर रहेगा. चुनाव परिणाम के कारण मिठाई, बम पटाखे, रोशनी, सजावट विशेष रूप से देखने को मिलेगी.
रूप नरक चतुर्दशी -
कार्तिक कृष्ण पक्ष 14 रूप (नरक) चतुर्दशी शुक्रवार 13 नवंबर जो लोग नरक चतुर्दशी यानी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी का व्रत रखना चाह रहे हैं उन्हें 13 नवंबर दिन शुक्रवार को ही धनतेरस के दिन व्रत करना चाहिए यह शास्त्र स मत होगा. इसकी वजह यह है कि चतुर्दशी तिथि मासिक शिवरात्रि है. इसमें नियम यह है कि जिस दिन मध्यरात्रि में यानी निशीथ काल में चतुर्दशी तिथि हो उसी दिन व्रत रखना चाहिए. रात्रि 9.00 से 10.30 लाभ में चैमुख दीपक जलाकर द्वार पर रखें. यमलोक के दर्शन नहीं होते और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है. लेकिन जो लोग चतुर्दशी तिथि का व्रत रखते हैं उनके लिए व्रत का खास नियम है. चतुर्दशी तिथि हो उसी दिन व्रत रखना चाहिए. महिलाएं 16 श्रृंगार करके अपने घरों में पूजा करती है.
दीपावली लक्ष्मी पूजन -
कार्तिक कृष्ण पक्ष 30 शनिवार 14 नवंबर को स्वाति नक्षत्र में सिद्धि योगा में दीपावली लक्ष्मी पूजा सर्वार्थसिद्धि योग में होगी. महासंयोग 17 वर्षों बाद आया है. 2003 के बाद 2020 में यह योग बना है. गुरु स्वराशि धनु में शनि स्वराशि मकर में, शुक्र मित्र राशि कन्या में रहेगे. पूर्व में यह संयोग दीपावली पूजा 9 नवंबर 1521 में बना था. वर्तमान में दीपावली पूजा पर 14 नवंबर 2020 को बन रहा है. यह संयोग 499 वर्ष बाद बना है. दीपावली का त्यौहार हर घर में मनाया जाता है. रामायण के अनुसार अयोध्या के राजकुमार राम को अपने पिता राजा दशरथ द्वारा अपने देश से चैदह वर्ष तक जाने और जंगलों में रहने के लिए आदेश मिला था. तो, इसलिए प्रभु श्री राम 14 साल तक अपनी पत्नी सीता और विश्वासपात्र भाई लक्ष्मण के साथ निर्वासन में चले गए. जब दानव राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया, तो प्रभु श्री राम ने उसके साथ युद्ध किया और रावण का वध कर दिया. ऐसा कहा जाता है कि प्रभु श्री राम ने सीता को बचाया और चैदह वर्षों के बाद अयोध्या लौट आये. अयोध्या के लोग राम, सीता और लक्ष्मण का स्वागत करते हुए बेहद खुश थे। अयोध्या में राम की वापसी का उत्सव मनाने के लिए, घरों में दिए (छोटे मिट्टी के दीपक) जलाये गए, पटाखे छोड़े गए, आतिशबाजी की गयी और पूरे शहर अयोध्या को अच्छे से सजाया गया. ऐसा माना जाता है कि यह दिन दिवाली परंपरा की शुरुआत है. हर साल, भगवान राम की घर वापसी को दीवाली पर रोशनी, पटाखे, आतिशबाजी और काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है. दिवाली के त्यौहार से संबंधित एक प्रसिद्ध कथा हिंदू महाकाव्य, महाभारत में सुनाई गई है. यह हिंदू महाकाव्य हमें बताता है कि कैसे पांच राजकुमार भाई, पांडवों को जुए के खेल में अपने भाई कौरवों के खिलाफ हार गए । नियमों के अनुसार, पांडवों को निर्वासन में 13 साल की सेवा करने के लिए कहा गया था. निर्वासन में तेरह साल पूरा करने के बाद, वे कार्तिक अमावस्या पर अपने जन्मस्थान हस्तीनापुर में लौट आए (इसे कार्तिक महीने के नए चंद्रमा दिवस के रूप में जाना जाता है). हस्तीनापुर लौटने के इस खुशी के अवसर का उत्सव मनाने के लिए लोगों के द्वारा दिए जला कर पूरे राज्य को प्रकाशमान किया गया. जैसा कि कई लोगों द्वारा माना जाता है कि यह परंपरा दिवाली के माध्यम से जीवित रही है, और इसे पांडवों के घर वापसी के रूप में याद किया जाता है. दिन 1.30 से 3.00 लाभ, व्यापार केंद्रों ने पूजा का समय दिन 3.00 से 4.30 अमृत, गोधूलि शाम 6.00 से 7.30 लाभ सर्वश्रेष्ठ, रात्रि 9.00 से 10.30 शुभ, रात्रि 10.30 से 12.00 अमृत, मंगल मीन में वक्री से मार्गी होंगे. समय मंगलकारी रहेगा. सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त पूजा का गोधूलि शाम 5.40 से रात्रि 8.15 तक. लक्ष्मीजी, गणेश सरस्वती माता लाभ, सुख-शांति के साथ समृद्धि प्रदान करेगी.
गोवर्धन पूजा -
अन्नकूट रू कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रतिपदा रविवार 15 नवबर को दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा की जावेगी. श्री कृष्ण ने किया था. इस दिन प्रकृति के आधार, पर्वत के रूप में गोवर्धन की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. यह पूजा ब्रज से आरंभ हुई थी और धीरे धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हुई.
कैसे होती है अन्नकूट की पूजा?
वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि की पूजा की जाती है. साथ में गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है और उन्हें फल मिठाइयां खिलाई जाती हैं . गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाई जाती है. इसके बाद उसकी पुष्प, धूप, दीप से उपासना की जाती है. इस दिन एक ही रसोई से घर के हर सदस्य का भोजन बनता है. भोजन में विविध प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं.
गोवर्धन पूजा सायं काल मुहूर्त - दोपहर बाद 3.17 बजे से सायं 5.24 बजे तक.
भाईदूज पूजा -
भाईदूज पूजा सर्वार्थसिद्धि योग में होगी. कार्तिक शुक्ल द्वितीया सोमवार 16 नव बर सर्वार्थसिद्धि योग में भाईदूज पर्व मनाया जावेगा. पूर्व काल में यमुना ने यमदेव को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था. जिससे उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और वे तृप्त हुए. पाप मुक्त होकर वे सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए. उन सब ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था. इसी वजह से यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई. जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, यदि उस तिथि को भाई अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन ग्रहण करता है तो उसे उत्तम भोजन के साथ धन की प्राप्ति होती है. पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक की यातनायें नहीं भोगता अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. बहन को भाई द्वारा उपहार वस्त्र, दक्षिणा देकर चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए.
भाई दूज तिलक मुहर्त
1.10 से 3.17 बजे तक.
धनतेरस, रूप नरक चतुर्दशी, दीपावली पूजन, गोवर्धन पूजा अन्नकूट एवं भाईदूज के साथ दीपावली के पांच दिवसीय त्यौहार का समापन होगा.