विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2020 के दूसरे दिन दिखी भारतीय संस्कृति

Category : कला, संस्कृति, साफ्ट स्किल, स्वास्थ्य, आध्यात्म, ज्योतिष, जाॅब | Sub Category : सभी Posted on 2020-11-08 00:23:35


विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2020 के दूसरे दिन दिखी भारतीय संस्कृति

विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2020 के दूसरे दिन दिखी भारतीय संस्कृति
- सिंगापुर, यूएई, यूके, यूएसए और नीदरलैंड में आयोजित हुए विभिन्न कार्यक्रम
- देखने को मिला भारतीय संस्कृति का मिश्रण
भोपाल. टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव के दूसरे संस्करण के  दूसरे दिन, सिंगापुर, यूएई, यूके, यूएसए में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हुए. विभिन्न देशों की संस्कृति, कला और साहित्यिक विरासत को मनाने वाले विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2020 के विश्वरंग का दूसरा दिन डांस ड्रामा के साथ शुरू हुआ. यह डांस ड्रामा हिंदी कविता साकेत पर आधारित था। डांस ड्रामा का नाम था ‘उर्मिला द फॉरगॉटेन प्रिंसेस ऑफ मिथिला’. पोन्नमा देवाइया ने इस कार्यक्रम में अपनी कला से सभी का मन मोह लिया.
विश्वरंग सिंगापुर में युवाओं के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिबोनर जोगियान के विक्टरी सॉन्ग ने कोरोना महामारी से आई मायूसी के बीच सभी में उम्मीद और उत्साह का संचार किया. उन्होंने ‘अ रे ऑफ होप ड्यूरिंग पैंडेमिक’ गाने से सभी को अभिभूत कर दिया. कार्यक्रम में आगे गांधी और टैगोर के बीच संबंधों पर भी चर्चा हुई, जो कि उस समय के नेताओं से काफी अलग थे. एक शॉर्ट फिल्म के जरिए दोनों महापुरुषों के आपसी और वैचारिक संबंधों को समझने का प्रयास किया गया.
सिंगापुर में हिंदी कैसे आगे बढ़ी है और यहां की संस्कृति पर हिंदी का क्या प्रभाव रहा है. इस विषय पर भी कार्यक्रम में चर्चा की गई. रंगमंच से मंटो, चीफ की दावत और झमेला जैसी रचनाओं ने सभी का मनोरंजन किया और भारतीय संस्कृति के बदलते आयामों की समझ भी सभी दर्शकों में भरी. कार्यक्रम में आगे सिंगापुर की अनूठी कलाकृतियों का प्रदर्शन भी किया गया.
विश्वरंग महोत्सव के सिंगापुर मंच में हिंदी साहित्य पर भी चर्चा हुई. इस सत्र का संचालन आराधना झा श्रीवास्तव ने किया. सबसे पहले गौरव उपाध्याय की किताब ‘हॉफ फिल्टर कॉफी’ पर चर्चा हुई. यह किताब गौरव उपाध्याय की 30 मौलिक कविताओं का संग्रह है. अपनी इस किताब के जरिए उन्होंने युवा पाठकों के बीच काफी लोकप्रियता पाई है. इसके बाद शांति प्रकाश उपाध्याय के काव्य संकलन मेरी अनुभूतियां पर भी चर्चा हुई. शांति प्रकाश को लिखने की प्रेरणा उनके पिता से मिली और उनके पिता इस किताब के सह लेखक भी हैं. यह काव्य संग्रह पिता-पुत्र की रचनाओं का अनोखा संकलन है. उन्होंने इस किताब के लिए कोविड-19 को भी श्रेय दिया। लॉकडाउन में मिले समय के कारण ही वो इस पुस्तक को प्रकाशित कर पाने में सफल रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया में सरोद वादन से हुई शुरुआत, टैगोर की कविताओं पर भी चर्चा
विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2020 के ऑस्ट्रेलिया मंच के दूसरे दिन की शुरुआत सरोद वादन के साथ हुई. इस सत्र का संचालन भारत की कॉन्सुल जनरल दंतू चरणदासी ने किया. डॉ. एड्रिएन मैकनील के सरोद और बॉबी सिंह के तबला वादन ने कार्यक्रम की शुरुआत में ही समा बांध दिया. ‘हिंदी और भारत के साथ मेरे संबंध’ इस विषय पर ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. पीटर फ्रीडलैंडर ने अपने विचार रखे. प्रोफेसर राय कूकना ने प्रो. पीटर मेयर और प्रो. पूर्णेन्द्र जैन के साथ इस विषय पर सार्थक संवाद किया.
चिरमता और शैकत दास ने रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं पर भी चर्चा की. इस दौरान टैगोर की कविताओं का लुत्फ भी दर्शकों को मिला. इसके बाद नृत्य निकेतन ग्रुप के कलाकारों ने भरतनाट्यम की शानदार प्रस्तुति कर सभी का मन जीत लिया. कार्यक्रम में आगे हिंदी के काल्पनिक साहित्य पर भी चर्चा हुई.
वहीँ, ‘कहानियों के पीछे की कहानी’ इस कार्यक्रम में संजय अग्निहोत्री, विजय कुमार, लक्ष्मी तिवारी, रीता कौशल और संतराम बजाज शामिल हुए. इन सभी साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं और उसके पीछे की कहानियों के बारे में सभी को बताया. इस दौरान संजय अग्निहोत्री ने कहा कि मेरे लिए कोई भी कहानी या रचना उसमें निहित सभी पात्रों को जीने के समान होती है.
विश्वरंग ऑस्ट्रेलिया में दूसरे दिन अंग्रेजी साहित्य पर भी चर्चा हुई. इस सत्र में क्रिश राजा और किरण भट्ट ने अपनी रचनाओं से सभी को अवगत कराया. कार्यक्रम में आगे भारतीय सिनेमा और भारतीय कलाकारों पर बात की गई. इस कार्यक्रम में एना तिवारी और नीरू सलूजा ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े अपने अनुभव साझा किए. पल्लवी शारदा बेशरम जैसी फिल्मों में काम कर चुकी हैं. ‘पहचान से परे सिनेमा’ इस विषय पर दोनों कलाकारों ने बात की. एना ने बताया कि उन्हें डॉक्यूमेंट्री पर काम करना काफी पसंद है, क्योंकि इसके जरिए हम उन कहानियों को सबके सामने लाते हैं, जिनका समाज के सामने आना बहुत जरूरी होता है.
कार्यक्रम के दूसरे दिन के अंत में कवि सम्मेलन रखा गया. इस कवि सम्मेलन में युवा कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मनमोहित कर लिया. विराट नेहरू ने कवि सम्मेलन का संचालन किया और मृणाल शर्मा, अभिषेक टोंगिया, सरबजीत सोही, रुपिंदर सोज, वृशाली जैन, पूजा वृत गुप्ता, संध्या नायर, मनीत भास्कर और पंकज उपाध्याय ने कार्यक्रम में अपनी रचनाओं  से सभी को आनंदित किया.
यूएई में विश्वरंग का दूसरा दिन हिंदी साहित्यकारों के नाम रहा
15 से अधिक देशों की संस्कृति, कला और साहित्यिक विरासत को मनाने वाले विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2020 के यूएई मंच का दूसरा दिन हिंदी साहित्यकारों के नाम रहा. डॉ. आरती गोयल ने कार्यक्रम का संचालन किया. विश्वरंग यूएई के दूसरे दिन सबसे पहले साहित्यिक वार्ता का आयोजन हुआ. साहित्यिक वार्ता में डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव मुख्य अतिथि रहे.
डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव ने हिंदी और पर्यटन पत्रकारिता पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा ‘हर इंसान को घूमना पसंद होता है पर सभी घूमने वाले लोग लिखते नहीं हैं. यह अच्छी बात नहीं है. हम अपनी आंखों से कई खूबसूरत चीजें देखते तो हैं पर आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ भी संजोते नहीं है. अपने अनुभवों को लिखना हमारी सांस्कृतिक विरासत के लिए बहुत ही जरूरी है’. अपने वक्तव्य में उन्होंने आगे भी पर्यटन पत्रकारिता पर जोर दिया और मुख्य अतिथि बनाए जाने के लिए आयोजकों का आभार जताया. कार्यक्रम में आगे मंजू सिंह, मीरा ठाकुर, नीतू सिंह और अनुश्री शर्मा जैसे साहित्यकार भी शामिल हुए और इस विषय पर अपने विचार रखे.
विश्वरंग यूएई के दूसरे सत्र में श्रोताओं को संगीत वार्ता का आनंद उठाने का मौका मिला. प्रसून राज और पयस्विनी सैका ने कार्यक्रम का संचालन किया. इसमें डॉ. कास्तुक कौशिक गांगुली और डॉ. नंदिनी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई। संगीत वार्ता में दोनों मेहमानों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और उसके वैश्विक प्रभाव पर चर्चा की. यूएई और भारत के सांस्कृतिक संबंध काफी पुराने रहे हैं और यूएई में भी भारतीय शास्त्रीय संगीत काफी लोकप्रिय है. इस कार्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भी बात हुई और संगीत में इसका क्या महत्व है इस विषय पर भी मेहमानों ने अपने विचार रखे. भारतीय शास्त्रीय संगीत की कुछ मनमोहक धुनों के साथ विश्वरंग यूएई का दूसरा दिन खत्म हुआ.
यूके में विश्वरंग रू टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव के पूर्वगामी कार्यक्रम विश्वरंग यूके की शुरुआत दिव्या शर्मा और पुलकित शर्मा ने वंदना डांस के साथ की. इस दौरान पुलकित शर्मा ने तबला वादन किया और दिव्या शर्मा ने कथक नृत्य की प्रस्तुति दी. वंदना डांस के बाद वातायन की चेयरमैन मीरा कौशिक ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया. स्वागत भाषण के बाद डॉ. कौशिक ने वातायन पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की. वातायन, यूके हिंदी समिति के सहयोग से विश्वरंग यूके का आयोजन कर रही है. इस कार्यक्रम में कला और साहित्य से जुड़ी 50 बड़ी हस्तियां शामिल हुई.
कार्यक्रम की नींव रखने वाले भोपाल के टैगोर विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. संतोष चैबे ने औपचारिक स्वागत भाषण दिया. उन्होंने विश्वरंग कार्यक्रम के उद्देश्य और उसकी विशेषताओं के बारे में सबको बताया. विश्वरंग का उद्देश्य दुनियाभर में हिंदी भाषा और उसके साहित्यकारों का उत्थान करना है और उन्हें नई पहचान दिलाना है. उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिए ओबी सम्मान से सम्मानित मीरा कौशिक, पद्मेश गुप्त, दिव्या माथुर और सुरेखा चैफला जी का आभार जताया. इस कार्यक्रम में लगभग 1 लाख लोगों के ऑनलाइन जुड़ने की संभावना है.
विश्वरंग यूके में आगे भारत के हाई कमिश्नर, यूके सांसद वीरेन्द्र शर्मा, भारतीय विद्या भवन के डायरेक्टर एम. एन. नंदा और डॉ. राधिका चोपड़ा का वक्तव्य सभी ने सुना. शिवाई सेठिया ने सोहन राही की गजल में मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी. इस गजल को राधिका चोपड़ा ने गाया.
विश्वरंग यूके का यह सत्र हिंदी कवियों के नाम रहा. आशीष मिश्रा ने इस सत्र का संचालन किया. कवयित्री तिथि दानी ने ‘हां मैं मुकम्मल होना चाहती हूं’ कविता से सभी का मन मोह लिया. उनके बाद डॉ. अजय त्रिपाठी वाकिफ ने ‘कुछ मायूसों की बस्ती में मैं ख्वाब बेंचने आया हूं’ कविता का पाठ किया. डॉ. निखिल कौशिक, जाकिया जुबेरी, डॉ. वंदना मुकेश और डॉ. पद्मेश गुप्ता ने भी अपनी कविताओं से सभी को आनंदित किया.
विश्वरंग यूके में ओबीई सम्मान से सम्मानित मीरा कौशिक, प्याली रे और कृति यूके की संस्थापिका तितिक्शा शाह ने ब्रिटेन में कला और संस्कृति पर चर्चा की. ब्रिटेन में पिछले तीस सालों में कला और साहित्य का विकास कैसे हुआ है और भारत के साथ ब्रिटेन के सांस्कृतिक संबंध कितने पुराने हैं, इस विषय पर तीनों बड़ी हस्तियों ने चर्चा की. मीरा कौशिक ने बताया कि भारत और ब्रिटेन का संबंध 16 वीं सदी से रहा है. समय के साथ इस रिश्ते में बदलाव आया है और दोनों देशों ने एक दूसरे को सांस्कृतिक रूप से काफी प्रभावित किया है. कार्यक्रम के अंत में एश्वर्य कुमार ने सभी का आभार जताया.
यूएसए में विश्वरंग  में दिखा कला और संस्कृति का सौंदर्य
विश्वरंग यूएसए 2020 का पहला दिन भारतीय कांसुलेट के स्वागत और अर्चना जोगलेकर की श्रीराम स्तुति के साथ शुरू हुआ. दिन का पहला सत्र भारतीय संगीत के बारे में रहा, जिसमें गीतकार शैलेन्द्र के जीवन और रचना पर चर्चा हुई. कार्यक्रम में गीतकार शैलेन्द्र के पुत्र मनोज शैलेन्द्र ने तेजेन्द्र शर्मा के साथ अपने पिता से जुड़ी यादें साझा की.
तेजेन्द्र शर्मा ने भी शैलेन्द्र के साथ अपनी यादें साझा करते हुए बताया कि भारतीय संगीत में सुर और ताल का ज्यादा महत्व होता है क्योंकि संगीत हमारी संस्कृति और हमारी धरती से आता है. प्रांजल सिरसा ने मंच का संचालन किया. कार्यक्रम के अंत में कलाकार आस्था शुक्ला शास्त्रीय संगीत की शानदार प्रस्तुति दी.
विश्वरंग यूएसए के अगले सत्र में प्रतिध्वनि ग्रुप ने अपनी प्रस्तुति ‘बॉलीवुड से परे नृत्य’ के जरिए सभी का मन मोह लिया. इन कलाकारों ने अपने नृत्य से दिखाया कि कैसे डांस सिर्फ बॉलीवुड का एक हिस्सा नहीं है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा है. अगस्त्य कोहली ने इस नृत्य का निर्देशन किया. इस कार्यक्रम में बॉलीवुड और हॉलीवुड गानों के साथ ओड़िसी, कत्थक, कंटेम्प्ररी, भांगड़ा आदि तरह के नृत्यों की प्रस्तुति हुई.
कार्यक्रम में आगे रत्नाकर मतकरी की मराठी स्क्रिप्ट पर नाटक प्रस्तुत किया गया. दिन का आखिरी कार्यक्रम ‘रसरंग कविता के झिलमिल सितारे’ रहा. इस कार्यक्रम में हिंदी कवियों ने अपनी रचनाओं से सभी का मन मोह लिया. प्रीति गोविंदराज ने अपनी पहली कविता में दिवाली के ऊपर एक मां और बच्चे का संवाद प्रस्तुत किया. इसके बाद उन्होंने कुछ मनमोहक गजलें भी सुनाई. गीतांजली गेरा ने कविताओं के प्रति अपने प्रेम के लिए अपनी मां और अपनी किताबों को श्रेय दिया. अनूप भार्गव ने भी अपनी कुछ कविताएं सुनाकर दर्शकों का मनोरंजन किया.
नीदरलैंड में विश्वरंग रू उत्सव गीत के साथ शुरू हुआ नारंगी नीदरलैंड कार्यक्रम
विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2020 के नीदरलैंड मंच (नारंगी नीदरलैंड) की शुरुआत उत्सव गीत के साथ हुई. श्री रामा तक्षक ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया. उन्होंने नीदरलैंड के बारे में कुछ रोचक जानकारियां सभी के साथ साझा की. इस बीच बल्गेरिया 16 वें साथी के रूप में विश्वरंग का हिस्सा बना. नारंगी नीदरलैंड की टोली ने अपने देश पर सामूहिक गान भी पेश किया, जो नीदरलैंड की विशेषताओं का बखान कर रहा था.
कार्यक्रम में आगे नीदरलैंड की टेक्निकल यूनिवर्सिटी की मैनेजर हर्षिता वाजपेयी ने लखनवी अंदाज में नीदरलैंड के दो शहरों से सभी को परिचित कराया. उन्होंने बताया कि नीदरलैंड एक साइकिल प्रधान देश है. यहां लगभग जगह साइकिल के लिए विशेष मार्ग हैं. उनके इस परिचय के बाद एन फ्रैंक की डायरी के बारे में जानकारी दी गई. निलनी पाठक की रचना ‘कागज पर आजाद’ ने भी सभी का मनोरंजन किया.
डॉ. सोनी वर्मा ने नीदरलैंड में साइकिल के महत्व पर प्रकाश डाला। यहां की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए सरकार ने साइकिल के उपयोग को खासा बढ़ावा भी दिया है। सोनी वर्मा ने बताया ‘वल्र्ड वॉर 2 के समय नीदरलैंड सरकार ने यातायात के साधन के रूप में साइकिल की अहमियत पहचानी और पूरे शहर को दोबारा बसाया. यहां रोजाना कतारों में लोग साइकिल चलाकर ऑफिस जाते नजर आते हैं. इसी वजह से यहां के लोग स्वस्थ रहते हैं.’
पानी की अहमियत को समझाने के लिए ममता मिश्रा ने लोगों को कई तथ्यों से अवगत कराया और पानी से जुड़ी समस्याओं की ओर भी सभी का ध्यान खींचा. पानी नीदरलैंड की बड़ी समस्याओं में से एक है और यहां की सरकार ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है. इसके बाद पुस्तक विमोचन किया गया और कवि कार्यक्रम कवि सम्मेलन की ओर बढ़ चला. कवि सम्मेलन में एक बार फिर हिंदी कवियों ने सभी का मन मोह लिया. अध्यक्षीय उद्बोधन और साधुवाद के साथ नारंगी नीदरलैंड महोत्सव के दूसरे दिन का समापन हुआ.
विश्वरंग के तहत भोपाल में रही दीवाली क्राफ्ट मेला और संगीत की गूंज
भोपाल में संस्कृति के विभिन्न रंगों से गुलजार विश्वरंग के अंतर्गत स्कोप कैंपस में शिल्पकला मेला गीत-संगीत की स्वर लहरियों के बीच अपनी अनूठी बानगियां बिखेरता रहा. त्यौहारी मौसम के साथ जुड़ी परंपरागत कलात्मक और सजावटी वस्तुओं की एक वृहद श्रृंखला विश्वरंग का अलहदा आयाम बना, वहीं दूसरी ओर शैडो ग्रुप के कलाकारों ने सुरों में छलकती बच्चन की मधुशाला और अन्य तरानों ने माहौल को रोमांचकारी अहसास दिया.
गौरतलब है कि रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा साहित्य और कला के अंतरराष्ट्रीय महोत्सव विश्वरंग 2020 के तहत अनेक रंगारंग गतिविधियों का सिलसिला इन दिनों जारी है. शनिवार, 7 नवंबर की सुबह आईसेक्ट के चेयरमैन और विश्वरंग के निदेशक संतोष चैबे ने शिल्पकला मेले का शुभारंभ किया. इस मेले में सुप्रीति चतुर्वेदी के निर्देशन में बी. एड. के विद्यार्थियों द्वारा तरह-तरह के दीवाली के दिए बनाए गये और विद्यार्थियों द्वारा मधुवनी पेंटिंग, साड़ियां, चादर, ज्वैलरी, सूट, काष्ठ शिल्प के साथ काष्ठ को अलग-अलग रूप में कैनवास पर उकेरा गया. इस मौके पर सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के डॉ. सतेन्द्र खरे और सेक्ट बी.एड. कॉलेज की प्राचार्या डॉ. नीलम सिंह मौजूद रहीं. कार्यक्रम का संयोजन टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय ने किया.
मनोज नायर के निर्देशन में स्कोप कैम्पस के मुक्ताकाश परिसर में शैडो ग्रुप के कलाकारों ने अपनी महफिल सजाई तो उनके कद्रदानों ने भी ताल पर ताल मिलाई. शुरुआत हरिवंश राय बच्चन की लोकप्रिय मधुशाला की रूबाईयों से हुई. उसके बाद इन कलाकारों ने संतोष चैबे द्वारा लिखित नाटक सुकरात पर गीत गुनगुनाया. प्रस्तुति का समापन रोचक ढंग से करते हुए शैडो ग्रुप के कलाकारों ने “साइकिल की चैैन....” गाकर किया.


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