कांग्रेस ने फाड़़ दिये विपक्षी एकता के नेताओं का मुखौटे 21 फरवरी 2023
नीतीशकुमार ने कांग्रेस को याद दिलाया कि वह विपक्षी एकता के लिये पहल करे. पर यह बात कांग्रेस को नागवार गुजरी. उसका जवाब जयराम रमेश ने बड़ी तल्खी से दिया कि दोहरे चेहरे वाले हमें पाठ नहीं पढ़ाये. उनका हमला नीतीश पर था. उनका इशारा था कि नीतीश ने भाजपा के साथ बिहार में सरकार चलाई है. उनका राजनीतिक चरित्र पल्टूराम का और दोगला. वैसे भी सोनिया गांधी नीतीशकुमार को ज्यादा पसंद नही करती हैं. जब वे विपक्षी नेताओं से मिलने दिल्ली पहंचे थे तो सोनिया गांधी ने उन्हें मुलाकात के लिये समय नहीं दे रही थीं. लालू यादव ने उसके लिये सोनिया गांधी को राजी किया और कुछ देर की मुलाकात हो पाई. लेकिन तब भी सोनिया गांधी ने नीतीश कुमार के साथ मुलाकात का फोटो सोशल मीडिया में जारी नहीं होने दिया.
जयराम रमेश ने तो यहां तक याद दिलाया कि भारत जोड़ो यात्रा में विपक्ष के नेताओं को शामिल होने का निमंत्रण दिया. पर कई विपक्षी नेताओं ने तवज्जों नहीं दी. यहां तक कि नीतीश और तेजस्वी तक नहीं पहुंचे. याद रहे कि यात्रा के समापन के समय भी विपक्षी नेताओं को बुलाकर विपक्षी एकता का परिचय देने का कार्यक्रम रखा गया था पर सही जवाब नहीं मिलने पर उसे निरस्त करना पड़ा.
वैसे भी कांग्रेस को समझ में आ गया है कि राहुल गांधी की अगुआई को लेकर विपक्षी नेताओं में ज्यादा उत्साह नहीं हे. बल्कि विरोध ही कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और बाकी विपक्षी दल क्षेत्रीय दल मात्र. इसलिये कांग्रेस के बगैर देशव्यापी विपक्षी एकता संभव नहीं है.
कांग्रेस को यह भी समझ में आ गया है कि उसे पहले अपनी ताकत का प्रदर्शन करना होगा. जब चुनाव में उसकी ठीकठाक संख्या आ जाएगी तो चुनाव बाद मजबूत विपक्षी गठबंधन संभव हो जाएगा. यही नहीं वह उससे सत्ता में भी पहुंच सकती है जैसे यूपीए एक में पहुंची थी. यहां एक बात और समझने की है कि राजनीति के पंडित मानते हैं कि 2024 में कांग्रेस करीब 100 सीटें निकाल लें तो वह चुनाव बाद ऐसा मजबूत गठबंधन खड़ा कर सकती है जो मोदी की जगह लेने की सोच सके. लेकिन सवाल यह है कि बिना संगठन के कांग्रेस कहां से ऐसा चमत्कार कर पाएगी. खासकर राहुल गांधी जैसे नेताओं की अगुआई के चलते तो इसकी उम्मीद कांग्रेसियों तक को ज्यादा नहीं है जिसे वह निजी बातचीत में छिपाते भी नहीं हैं.
यहां यह बात ध्यान देने की है कि सोनिया गांधी कभी ममता बनर्जी को काफी पसंद करती थी पर ममता ने जब से कांग्रेस नेतृत्व के लिये राहुल गांधी को लेकर नापसंद जाहिर की तभी से सोनिया ने उन्हें सख्त नापसंद करना शुरू कर दिया है. केजरीवाल तो खैर कांग्रेस की जगह ही ले रहे हैं या कांग्रेस को कमजोर कर रहे हैं. इसलिये वह भी सोनिया गांधी की नापसंद में सबसे उपर हैं. जगनमोहन रेड्डी और के. चन्द्रशेखर राव भी समय समय पर लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा की नैया पार लगाने में मदद करते रहे हैं. नवीन पटनायक की बीजू जनता दल तो मोदीजी का साथ देते ही रहते हैं. केरल के विजयन की कांग्रेस से लड़ाई है.
ओमप्रकाश गौड़, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल, मो. 9926453700
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