राहुल गांधी क्या संसद के नियमों से उपर हैं राहुल गांधी 16 फरवरी 2023

Category : मेरी बात - ओमप्रकाश गौड़ | Sub Category : सभी Posted on 2023-02-15 22:56:24


राहुल गांधी क्या संसद के नियमों से उपर हैं राहुल गांधी 16 फरवरी  2023

राहुल गांधी क्या संसद के नियमों से उपर हैं राहुल गांधी 16 फरवरी  2023
अडाणी  मामले  में कांग्रेस  और  राहुल गांधी का  विरोध जगजाहिर  है. इन  सबका मानना  है कि गौतम  अडाणी की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से  से मित्रता के चलते  अडाणी समूह को  सरकारी नियमों  में फेरबदल कर  सरकारी खजाना  लुटाने  के आरोपों का  प्रचार मोदीजी की ईमानदार छवि  को भ्रष्टाचार  में लिप्त  नेता  के  रूप में बदल देगा और 2024 के  लोकसभा  चुनाव  में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी  पर आसीन करवा देगा. उससे कांग्रेस  की सत्ता में वापसी हो जाएगी.
पूरी भारत जोड़ो  यात्रा इसी अडाणी - मोदी के नारे से गूंजायमान रही. इसी का रिकार्ड राहुल गांधी बजाते  रहे. साथ ही आरएसएस के विरोध का स्वर भी धीमा नहीं पड़ने  दिया. यह सब  मुस्लिम  वोट  बैंक की खातिर किया. यहां तक  कि  महाराष्ट  में सर्वमान्य  पूज्यनीय कहे जाने वाले वीर सावरकर के उपर  आरोप लगाने तक  से  नहीं चूके,  जिसे शरद पवार और उद्धव  ठाकरे तक बिना  उफ् किये गटक गये. वैसे यह सही भी है. दिल्ली महा नगर  पालिका चुनाव  में कांग्रेस को मुस्लिम  वोटबैंक ने केजरीवाल को  चोट  पहुंचाते  हुए संजीवनी देकर  उसके  पार्षद  बढ़ाए  हैं. लेकर चुनावों को लेकर  किये जा  रहे सर्वेक्षण  कम  से अडाणी मामले का  कोई खासअसर कांग्रेस  के लिये नहीं बता  रहे  हैं. पर राफेल जैसे  ही राहुल गांधी की सुई अडाणी पर अटक गई है. राफेल में तो माफी मांग  कर  छूट   गये पर अब  संसद में अडाणी को  लेकर  उसी प्रकार से फंसते दिख रहे हैं. होगा क्या  यह तो समय  बताएगा.  
बात  इतनी सी है कि  संसद के बजट सत्र में भारी हंगामे  के बाद संसद  के दोनों  सदनों  लोकसभा और  राज्य  सभा को  नहीं  चलने दिया.  पर जब जनता   के  मूड  का फीडबैक विरोध में आया तो  रणनीति बदल कर  सदन  चलाने को राजी हो  गये और राष्ट्रपति  के  अभिभाषण  पर चर्चा में  भाग लेने  को राजी हो गये.  
पर  चर्चा  में अभिभाषण  को  छोड़कर राहुल  गांधी ने सारी ताकत अडाणी मामले  पर लगा  दी और  गौतम अडाणी  और प्रधानमंत्री मोदी पर आरोपों  की बौछार करने पर लगा   दी. थोड़ा शोर हुआ  उसके बाद राहुल गांधी लोकसभा  अध्यक्ष  के  रोकने के बाद भी बोलते  गये. लोकसभा अध्यक्ष ने  भी कहा कि वे  भाषण को  दिखवा लेंगे और कुछ  भी नियमों  के खिलाफ होगा  तो  वे  उसे  कार्यवाही से हटवा देंगे. राज्य  सभा में भी वहां  नेता प्रतिपक्ष  खड़गे सहित सबने अडाणी  मामले पर ही सारी ताकत लगा  दी. वहां  भी अध्यक्ष ने  यही रवैया  अपनाया.  उनकी खड़गे के  साथ तीखी   बहस तक  हुई.  अगले  दिन लोकसभा  अध्यक्ष  ने नियमों का हवाला देकर  अडाणी मामले  की करीब करीब करीब सारी बाते सदन की कार्यवाही से  हटा दी. वैसा  ही राज्यसभा के अध्यक्ष  ने भी किया.
लेकिन लोकसभा में भाजपा  सांसद  निशिकांत  दुबे  ने विशेषाधिकार  हनन का मामला लाकर  राहुल गांधी को  उलझा दिया  है. उन्होंने कहा है कि सदन  के सदस्य  और  प्रधानमंत्री मोदी पर राहुल गांधी ने जो आरोप लगाए  हैं वे गंभीर हैं. आरोपों से संबंधित दस्तावेज  राहुल गांधी सदन में रखें या विशेषाधिकार हनन  के  प्रस्ताव  का सामना  करें. राहुल गांधी को  इस इस  मामले लोकसभा सचिवालय  से जवाब  देने  के लिये नोटिस  दिया जा चुका  है. जवाब देने की बजाय राहुल गांधी और कांग्रेस शोरशराबे का रास्ता  अपनाने पर  उतारू हैं.  वे  इसे  अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला और  सदन में भी विपक्ष  को नहीं बोलने देने,  उसकी आवाज दबाने का  मामला बनाने की पूरजोर कोशिश  कर रहे हैं.  
पर यहां सवाल यही पूछा जा रहा है कि लंबे समय  से  चले आ  रहे लोकसभा और राज्यसभा  के  नियम  और  परंपरा क्या राहुल गांधी ने जो किया उसकी इजाजत देते  हैं.
नियम  साफ है कि जो  व्यक्ति सदन का सदस्य  नहीं है उसके  नाम  का  उल्लेख सदन में नहीं हो सकता.  यदि  उल्लेख करना जरूरी हो तो इसकी इजाजत संबंधित  सदन के  अध्यक्ष  से  पहले से लेनी होती है और दस्तावेज बता कर  अध्यक्ष  को संतुष्ट  करना होता है  कि आरोपो  में  दम  है और  प्रथमदृष्टया  सही प्रतीत होते  हैं. बाद में सदन में आरोपों का उल्लेख  करने  के बाद  उससे  संबंधित कागजात  जो अध्यक्ष  को दिखाए गये थे  सदन के  पटल पर रखने होते हैं.
पर  यदि आरोप  सदन के किसी सदस्य पर हो तो  भी अध्यक्ष की इजाजत तो  लगती ही है  और  संबंधित  दस्तावेज पटल पर रखने  होते हैं.  साथ ही संबंधित सदस्य  को अपनी बात  कहने  का  अवसर भी दिया  जाता है.
लेकिन अगर दस्तावेज  नहीं रखें जाएं तो मामला  विशेषाधिकार  हनन के तहत  आ  जाता  है. यह बात और है कि इस  बारे  में किसी सदस्य  को नोटिस  देना होता है.  अघ्यक्ष आरोप लगाने वाले  से  जवाब  मांगता है. जवाब पर  चर्चा तक  हो  सकती है.  उसके बाद अध्यक्ष  प्रस्ताव  को  निरस्त  कर  सकता है  या उसे सदन  की विशेषाधिकार समिति को सौंप   सकता  है.   
यहां अभी मामला राहुल गांधी के  जवाब पर ही अटका है. 13  मार्च को जब लोकसभा की बैठक होगी तब ही पता चलेगा कि क्या  हो रहा  है.  वैसे लगता  यही हे कि राहुल गांधी कुछ ज्यादा  ही फंस गये हैं.
वैसे यह राजनीति है बाॅस,  इसमें दो और दो चार  कभी नहीं होते  और  कुछ भी हो  सकता है.
- ओमप्रकाश   गौड़  वरिष्ठ  पत्रकार भोपाल, 16  फरवरी  2023 

Contact:
Editor
ओमप्रकाश गौड़ (वरिष्ठ पत्रकार)
Mobile: +91 9926453700
Whatsapp: +91 7999619895
Email:gaur.omprakash@gmail.com
प्रकाशन
Latest Videos
जम्मू कश्मीर में भाजपा की वापसी

बातचीत अभी बाकी है कांग्रेस और प्रशांत किशोर की, अभी इंटरवल है, फिल्म अभी बाकी है.

Search
Recent News
Leave a Comment: