बीबीसी की कर चोरी की क्यों न हो पड़ताल 15 फरवरी
15 फरवरी को दूसरे दिन भी बीबीसी लंदन के दिल्ली और मुंबई कार्यालयों की जांच इंकमटैक्स डिपार्टमेंट एक सर्वे के तहत तहत कर रहा है. इस सर्वे की शुरूआत 14 फरवरी को दोपहर 12 बजे शुरू हुइ थी.
उसी के साथ इस कार्यवाही के विरोध में विपक्षी दलों, पत्रकारों और उनके संगठनों सहित कई ने मोर्चा संभाल लिया है. लेकिर सरकार इसे रुटीन काम बता रही है. उसका कहना है कि कर चोरी से संबंधित कई शिकायतें उसे मिल रही थी. उसे नोटिस भी दिये गये, पर जवाब नहीं मिला. इसलिये उसने इंकमटैक्स एक्ट की धारा 133 ए के तहम सर्वे की कार्यवाही की जा रही है जिसमें कार्यालयीन समय में आयकर विभाग पूछताछ कर सकता है और दस्तावेज तलब कर उन्हें जांच के लिये ले जा भी सकता है. बीबीसी ने भी जांच पर आपत्ति नहीं जताई है बल्कि सहयोग करने का वादा किया है. पर विरोधियों का कहना है कि गुजरात दंगों पर बीबीसी की डाक्यूमेंट्री से नाराज होकर सरकार की तरफ से यह कार्यवाही की गई है जो प्रेस की आजादी पर हमला है. कई पत्रकारों ने इसका विरोध तो नही किया पर कार्यवाही के समय को गलत बताया है. कहा है कि इससे गलत संदेश जाने का आशंका है.
बताया जा रहा है मुनाफे के डायवर्सन का मामलों की शिकायत बीबीसी के संदर्भ में आयकर को मिल रही थी. मुनाफे के डायवर्सन का मतलब है कि भारत से किसी संस्था का विदेशी संस्था के सेवा व अन्य खरीद आदि के बारे में लेनदेन से होता है. यह तब भी संभव होता है जब भारत की संस्था का कार्यालय विदेश में हो या विदेशी संस्था का कार्यालय भारत में हो. इसमें होता यह है कि किसी वस्तु की खरीद या सेवा को विदेश स्थित कार्यालय भारत के कार्यालय के लिये करे तो उसे भारत स्थित संस्था के लिये बिलिंग करनी होती है. वह वास्तविक से ज्यादा राशि की बिलिंग कर भारत में स्थित संस्था को टैक्स देनदारी से बचा लेती है या कम करदेयता बनवा देती है. जांच में यह आरोप सही पाया जाए जो यह आयकर कानून के तहत अपराध है.
सरकार समर्थक यही तो कह रहे हैं कि अगर आरोप हैं तो जांच में कोई बुराई नहीं है.