राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू ने मरोड़े न्यायपालिका और कार्यपालिका के कान
प्रधानमंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के सामने मार्मिक स्वर में राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मू ने जो सवाल दागे उनका जवाब आज देश मांग रहा है और उपर से नीचे तक सब चुप हैं. न हिंदी में निष्णांत लोग बोेल रहे हैं न वे जिनको सपने भी अ्रंग्रेजी में आते हैं. एक कहता है कि हमारी प्रगति इतनी तेज है कि दुनिया भारत की तरफ आशाभरी नजरों से देख रही है. तो दूसरा कह रहा है कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जो विकास की दृष्टि संविधान के माध्यम से दी उस पर हम चल रहे हैं.
वहीं राष्ट्रपति मूर्मू पूछ रही है कि यह कैसा विकास है जहां जेलों की संख्या बढ़ रही है. यह कैसी स्थिति है कि जहां एक दरोगा किसी गरीब को जेल में बंद करवा देता है और फिर उस गरीब की पूरी जिंदगी जेल में ही कट जाती है क्योंकि उसके घर के लोग जमानत करवाने नहीं आते. क्यों? क्योंकि वकील आदि का खर्च इतना है कि वे जमानत करवाने के चक्कर में पड़ेंगे तो पूरा परिवार ही भूखों मर जाएगा. यह कैसा विकास और कैसा न्याय है.