सुप्रीम कोर्ट करे अंतरिम कानूनों की पहल
धर्मान्तरण पर सुप्रीम कोर्ट गहरे सवाल उठाता है और संसद की और उछाल देता है. उसने हेट स्पीच पर भी इसी प्रकार के जजबाती सवाल उठाए. फिर संसद की तरफ उछाल दिया. सब जानते हैं संसद इन दिनों हंगामों में डूबी है. कमजोर विपक्ष को यही हंगामा प्रभावी हथियार लगता है. सरकार और सत्तारूढ पार्टी को भी हंगामा अपने लिये फायदेमंद नजर आता है. उसे जो विधेयक पारित करवाने होते हैं उन्हें हंगामे के बीच पारित करवा लेती है. कम से कम सुप्रीम कोर्ट को तो यह चाहिये कि वह अमेरिकी कोर्टो की तरह इस प्रकार के मुद्दों व सवालों पर मार्गदर्शी बिंदु तय कर दे. जब संसद को हंगामों से वक्त मिलेगा वह कानून बना लेगी. नहीं तो ये बिंदु ही अस्थाई कानून के तौर पर मौजूद हैं ही. कम से कम इससे देश और समाज में अराजकता तो नहीं आएगी.