भारतीय मूल के ब्रिटेन की संसद में सांसद और पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक की प्रधानमंत्री पद की दौड़ में हार से भारतीय निराश हैं. वह लेबर पार्टी के श्रेष्टी वर्ग की वोटिंग में तो आगे रहे पर लेबर पार्टी के आम कार्यकर्ताओं की वोटिंग में वे नहीं जीत पाए. यह वास्तव में अपनी मिट्टी से जुड़ाव और राष्ट्रवाद की भावना से जुड़ाव के कारण ऐसा हो गया है. ऋषि सुनक के साथ भारतीय मूल शब्द को इतनी ज्यादा अहमियत दी गई कि वे वहां से आम आदमी को शायद विदेशी प्रतीत होने लगे. जैसे सोनियाजी के मामले में हुआ था. सोनिया जी उतनी ही हिंदुस्तानी हैं जितनी दूसरे भारतीय. इसी प्रकार ऋषि सुनक भी उनते ही ब्रिटिस नागरिक हैं जितने दूसरे ब्रिटिश नागरिक. भारत मे ं सोनिया जी के नाम पर तूफान खड़ा हो गया था उससे सबक नहीं लिया. उसी का यह नतीजा है.