वाहन चालकों की सड़क दुर्घनाओं का करण बनने वाली गलतियों का भारी नुकसान निरअपराध लोगों को उठाना पड़ता है. इन लापरवाह वाहन चालकों को लेकर कई नियम हैं. उन्हें लागू करने की कोशिश का नाटक भी होता है. इस कारण इन नियमों और इन्हें लागू करने की कोशिशों का कोई प्रभावी लाभ वाहन दुर्घटना के शिकार बने निरअपराध लोगों को नहीं मिलता. क्योंकि हेलमेट चालान को प्राथमिकता दी जाती है जो लापरवाह वाहन चालकों के लिये उपयोगी हो सकता है, वाहन दुर्घटना के शिकार निरअपराध लोगों के लिये नहीं. हेलमेट का असली लाभ तो लापरवाह वाहन चालकों को और वाहन निर्माता उद्योगपतियों और विक्रेताओं को मिलता है.
वाहन दुर्घटनाओं में कमी लानी हो तो जुर्माना राशि बढ़ाना निश्चित ही एक प्रभावी उपाय है. पर उससे ज्यादा प्रभावी उपाय नियमों का पालन सुनिश्चित करना है. इसके लिये वाहन चालकों में नियम पालन की आदत बनानी होगी. यह तभी संभव होगा जब छोटे छोटे नियमों को तोड़ने पर भी सख्ती से बड़े जुर्माने हों. खासकर उन नियमों पर तोड़ने पर कार्यवाही पर जोर दिया जाए जो दूर से ही नजर आ जाते हैं, जिनकी जांच और प्रमाण तलाशने की जरूरत तक नहीं होती है. जैसे दोपहिया वाहन पर तीन सवारी, नबर प्लेट के साथ छेड़छाड़, बिना लाइट के रात को वाहन चलाना, चौराहे पर वाहन रोकने का संकेत देने वाली सफेद लाइन का उल्लंघन, जेब्रा क्रासिंग पर वाहन लेजाकर लाइट हरी होने का इंतजार करना, आदि.
याद रखिए, छोटे अपराधों पर सख्त कार्यवाही और सजा देने से अपराध ही कम नहीं होते हैं, अपराधियों की संख्या भी कम होती है. इसका असर आदनत अपराधियों और गंभीर अपराधों में लिप्त अपराधियों की संख्या पर भी पड़ता है. कानून व्यवस्था का माहौल सुधरता है. अपराधियों में भय का माहौल बनता है.