मंदिरों सहित सभी धर्म स्थलों के खर्च की व्यवस्था समाज को करनी चाहिये. उनकी आय भी उसी समाज के हित में खर्च की जानी चाहिये. मदिंर हो या अन्य धर्मस्थल सभी से सरकार को अपना संबंध तोड़ लेना चाहिये. मानदेय, वेतन परीश्रमिक आदि सब बंद होना चाहिये. बस निगरानी समिति होनी चाहिये. उसमें सरकार और उस समाज के लोग रहें.