भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में दो सौ सीटों पर तैयारी की घोषणा जब से की है तब से बिहार की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है.
शायद पहली बार भाजपा को समझ में आया है कि 242 की विधानसभा में और लोगसभा की 80 सीटों जदयू के साथ आधी आधी सीटों पर चुनाव लड़कर वह चुनाव लड़ने से पहले ही आधी बाजी हार जाती है. उसकी स्ट्राइक रेट चाहे जितनी अच्दी रहे वह आधे से नीचे तो पहले ही रह जाती है. नीतीशकुमार की चालबाजी भरी राजनीति के चलते जदयू और उसके साथ जुड़ी पार्टियां चाहे जितनी सीटें जीतें उनका बर्ताव तो भाजपा विरोधियों जैसा ही रहता है. जो ये हार जाती हैं वे तो विरोधी होती ही हैं. इसलिये हमेशा माहौल भाजपा विरोध का ही बना रहता है.
इस भाजपा विरोधी माहौल को खत्म करना है तो भाजपा को विधानसभा में कम से कम 200 और लोकसभा के लिये 30 सीटों पर लड़ना होगा. जदयू के लिये विधानसभा की 142 लोकसभा की 10 सीटें ही छोड़नी होगी.