हिंदुओं को मंदिर जाने का मन जरूर बनाना चाहिये. चाहें तो दिन में एक या दो अथवा तीन बार जाएं. सुबह शाम और रात को जाएं. संभव न हो तो सप्ताह में एक या दो अथवा तीन दिन जाएं. या माह में कम से कम एक बार जरूर जाएं. हर त्यौहार को अपने हिसाब से उत्साह के साथ मनाएं. वह भी अकेले नहीं दोस्तों और समाज के साथ मनाने को प्राथमिकता दें. इसके लिये अनौपचारिक संगठन बनाएं. कानून का पालन करते हुए यह सब करें.
मेरी इस बात पर गहरी आपत्ति है कि हिंदू मंदिर भले ही न जाएं. पर भागवतजी और सुंदरकांड करवाने वाले भी तो दो दो, चार चार लाउडस्पीकर लगाकर दूसरों को सुनवाते हैं. सबको न सही, ढेर सारे लोगों को तो परेशानी होती ही है. इनमें दूसरे धर्म के लोग भी तो शामिल रहते हैं. पहले हिंदुओं खुद सुधरो. दिन में एक बार मंदिर जाओ. खुद लाउडस्पीकर बंद करो या आवाज कानून के मुताबिक कम करो. फिर दूसरों को उपदेश दो कि वे लाउडस्पीकर के साथ कैसा सलूक करें.