इमेनुएल मैक्रों के सिर पर एक बार फिर राष्टपति का ताज जनता ने रख दिया है. 2002 के बाद वह दूसरी बार बनने वाले फ्रांसीसी नेता हैं. इसका जश्न तो खैर वह मना सकते हैं पर उनकी राह कितनी कठिन है यह इसी बात से समझ लें कि वह दो चरण वाली फ्रांस की राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में दूसरे चरण में मामूली सी बढ़त से जीते हैं. उनके वोट पहली बार की तुलना में घटे हैं. और लगातार उन्होंने मुसलमान शरणार्थियों का विरोध झेला है क्योंकि ये लोग मैक्रों की राष्ट्रवादी और मुस्लिम विरोधी नीतियों से भारी नाराज थे. लेकिन उन्हीं के वोटों ने मैक्रों को राष्ट्रपति बनाया है. उनकी नजर में मैक्रों उनकी प्रतिद्वंदी पेन की तुलना में ‘‘छोटे शैतान’’ थे.
मौटेतौर पर मैं उनकी तुलना योगीजी से करना चाहता जिन्होंने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद जीत कर रिकार्ड बनाया है. पर सीटों की संख्या कम हो गई है. अंतर इतना है कि मैक्रों शरणार्थी मुसलमानों की गोलबंदी से जीते हैं और योगी जी उत्तरप्रदेश में बताई जा रही मुसलमान वोटों की गोलबंदी के विरोध का सामना कर जीते हैं. मेक्रों को जून में संसद के चुनाव में ताकतवर विपक्ष का सामना करना है. अगर उन्हें विरोधी बहुमत वाला विपक्ष मिला तो बस भगवान ही सहायता करेगा. हां ताकतवर विपक्ष का सामना तो उन्होंने पहले कार्यकाल में किया ही है.
योगी जी की मैक्रों से तुलना में यह दिलचस्प बात जान लें कि फ्रांस की आबादी 6 करोड़ 70 लाख है और उत्तरप्रदेश की करीब बीस करोड़ (2011 की जनगणना के मुताबिक 19 करोड़ 95 लाख). फ्रांस की आबादी हमारे राजस्थान के लगभग बराबर सी है. लेकिन फ्रांस दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. संयुक्त राष्ट्रसंघ के पांच स्थाई सदस्यों में से एक है. दुनिया की तीसरी बड़ी परमाणु शक्ति है. और उत्तरप्रदेश आप खुद समझ लें.
अब फिर से बात मैक्रों की तो उन्हें पहले चरण में मात्र 22 प्रतिशत वोट मिले थे. बाकी वोट निकटतम प्रतिद्वंदी मरीन ले पेन के साथ जीन लुएक मेलेकोन को मिले. वामपंथी झुकाव वाले मैक्रों दक्षिणपंथी झुकाव वाले विरोधियों के बीच वोट बंट जाने के कारण दूसरे चरण में प्रवेश कर पाए. दूसरे चरण में उनका मुकाबला मरीन ले पेन से हुआ. मैक्रों को 58.2 प्रतिशत और पेन को 41.8 प्रतिशत वोट मिले. 2017 के चुनाव में भी इन्हीं दोनों के बीच मुकाबला हुआ था तब दूसरे चरण में मैक्रों को 66 प्रतिशत और पेन को 33 प्रतिशत वोट मिले थे. मैक्रों को वामपंथी माना जाता है. पर उन्हें उदारवादी दक्षिणपंथी भी लोग कहते हैं. उन्होंने भी फ्रांस में कभी हिजाब पर बैन लगाया तो कभी बुर्के पर आपत्ति की. और भी मामलों में उनका शरणार्थी मुसलमान वोटरों से हिंसक टकराव चलता ही रहा. उनकी तुलना में पेन ज्यादा दक्षिणपंथी हैं. उन्होंने तो उनकी पार्टी के संस्थापक रहे अपने पिता को ही कमजोर तेवरों के चलते पार्टी से निकाल दिया था.
मैक्रों सबसे युवा राष्ट्रपति हैं. उन्होंने केरियर की शुरूआत सिविल सर्विस के की. फिर राष्ट्रपति फ्रांसिस आलांद के सलाहकार बने. उनके मंत्रिमंडल में मंत्री भी बनें. कालांतर में राष्ट्रपति बनने में कामयाब रहे.