मराठी के वरिष्ठ पत्रकार भाऊ तोरसेकर मराठी और हिंदी में यूट्यब चैनल चलाते हैं प्रतिपक्ष. उसमें उन्होंने रवि राणा और नवनीत राणा को गिरफ्तार कर जेल भेजने को लेकर एक इतिहास का पुट लिये हुए शनिवार को ऐसा वीडियो डाला था जो बिना कुछ कहे उद्धव ठाकरे को आईना दिखा रहा है. कहीं उसमें आजादी के पहले धारा 153 ए के अंग्रेजों द्वारा लोकमान्य तिलक का उल्लेख है तो कहीं इसी धारा का तत्कालीन शरद पवार की सरकार द्वारा बाला साहेब के खिलाफ उपयोग किये गये मामले का जिक्र है. तब लोकमान्य तिलक ने क्या कहा था और बाला साहेब ने क्या कहा था इसका व्यौरा है. यही नहीं बाला साहेब के खिलाफ इस धारा के तहत मामला दर्ज करने के बाद पत्रकारवार्ता में तत्कालीन पुलिस कमीश्नर से पूछे गये इस सवाल का भी उल्लेख है कि क्या भारत में इस मामले में किसाी को आज तक सजा हुई है? उन्हें न तब जवाब मिला न आज तक मिला है. हां उन्होंने स्वयं लोकमान्य तिलक के मामले का उल्लेख कर नवनीत राणा और रवि राणा को जरूर काफी ज्यादा महत्वपूर्ण बना दिया है. क्योंकि आज ये दोनों कह रहे हैं कि वे निर्दोष हैं और सजा के बाद लोकमान्य तिलक ने भी कहा था कि वे निर्दोष हैं. उनके इस बयान को आजाद भारत में मुंबई हाईकोर्ट में एक शिलालेख के रूप में लगाया भी गया है. याद रहे कि लोकमान्य तिलक को मई 1908 को केसरी में लिखे गये एक अग्रलेख को लेकर सजा सुनाई गई थी. तीन पारसी और सात यूरोपीयन की जूरी ने सात के विरूद्ध तीन मत के बहुमत से यह सजा तय की थी. बाला साहेब पर भी सामना में एक अग्रलेख के लिये मामला दर्ज कर छोड़ दिया गया था. अचानक तीन साल बाद मामला उठाकर गिरफ्तारी की कोशिश की गई थी तब बाला साहेब ने कहा था कि मैं अपने निवास मातोश्री से मेयर आवास पर आ जाऊंगा वहां गिरफ्तार कर लेना लेकिन तीन साल गुजर जाने के कारण प्रकरण अपने आप समय सीमा खत्म होने के कारण निष्प्रभावी हो चुका था इसलिये गिरफ्तारी की नौबत ही नहीं आई. वैसे तब भी बाला साहेब ने यही कहा था कि वे निर्दोष हैं.
जेल में बंद नवनीत राणा और रवि राणा भी यही कह रहे हैं कि वे निर्दोष हैं.
दिलचस्प बात यह है कि इस प्रकार भाऊ तोरसेकर एक तरह से नवनीत राणा और रवि राणा को काफी उंचा दर्जा देते प्रतीत हो रहे हैं. यह भले ही सही नहीं हो, लेकिन जिसके माध्यम से वह उद्धव ठाकरे जो वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं और बाला साहेब के पुत्र हैं, उन्हें किस प्रकार से भाऊ पेश कर रहे हैं यह जरा दिलचस्प हो जाता है.
एक और मजेदार बात तो यह भी है कि सांसद नवनीत राणा और विधायक रवि राणा ने घोषणा की थी कि वे शनिवार को मातोश्री के सामने हनुमान चालीसा पढ़ेंगे. इसके लिये वे मुंबई आकर अपने निवास में रूक भी गये थे. पर मातोश्री और मुंबई स्थित नवनीत राणा और रवि राणा के सामने सैकड़ों उग्र शिवसैनिकों का जमावड़ा था. वे तो बाहर निकल ही नहीं पाए. दोपहर बाद उन्होंने अपनी घोषणा को वापस ले लिया. पर शिवसैनिक माफी मांगने पर अड़े थे इसलिये वे आवास में ही रहे. शाम को पुलिस उन्हें थाने ले गई और धारा 153 ए के साथ देश द्रोह की धारा भी जोड़ दी गई. अन्य कई धाराएं भी लगाई गई. उनकी शनिवार की रात थाने में ही कटी. रविवार को अवकाश कालीन अदालत में उन्हें पेश किया गया. जहां उन्हें पुलिस रिमांड में देने की बजाय 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. रविवार की रात जेल में कटी. हो सकता है सोमवार को जमानत आदि के लिये मामला मुंबई हाईकोर्ट में आए.
हिजाब की तरह हनुमान चालीस और मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों की आवाज कम करने या उन्हें उतारने के विवाद ने देशव्यापी स्वरूप ले लिया है. हमारी राय में ये सारे मामले पूर्वाग्रहों से हट कर चर्चा से सुलझाए जा सकते हैं. यही सबके हित में रहेगा.