प्रशांतकिशोर और कांग्रेस दोनों के दोनों हाथों में लड्डू हैं. 23 अप्रैल.

Category : मेरी बात - ओमप्रकाश गौड़ | Sub Category : सभी Posted on 2022-04-23 01:27:09


प्रशांतकिशोर और कांग्रेस दोनों के दोनों हाथों में लड्डू हैं. 23 अप्रैल.

प्रशांतकिशोर औ कांग्रेस दोनों के दोनों हाथों में लड्डू हैं ऐसा मैंने क्यों कहा? वो इसलिये कि इसके लिये मेरे पास आधार है. कांग्रेस इतने चुनाव हार चुकी है कि अब उसके पास खोने के लिये ऐसा कुछ नहीं बचा. उत्तरप्रदेश में प्रियंका भी एक्सपोज हो गई. सारी कोशिशों के बाद भी मात्र दो सीटें मिली. राहुल तो पहले से ही असफल राजकुमार बाबा की बदनामी झेल रहे हैं. सोनिया जी का स्वास्थ्य अब ज्यादा साथ देता नहीं है. इसलिये 2024 के चुनाव में हार हाथ लग भी गई तो क्या जाएगा. प्रशांतकिशोर की विदाई कर देंगे और जैसी लुंज पुंज कांग्रेस अभी है वैसी फिर मिल जाएगी.
प्रशांतकिशोर की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हिलोरे मार रही हैं. उन्हें बिहारी दोस्त नीतीशकुमार ने अपना बिहारी भाई मान कर उपाध्यक्ष का पद नवाजा. राज्यसभा में भेजने तक की बात चलाई. पर नीतीश के घाघ साथियों ने चलने नहीं दिया. प्रशांत किशोर को खुद ही अलविदा कहना पड़ा. या हो सकता हो दबाव में आकर नीतीशकुमार ने तौबा की हो. दोनों का क्या फर्क पड़ा? कुछ नहीं.
नीतीश फिर राजनीतिक चालों में व्यस्त हो गये और प्रशांतकिशोर अपने नये क्लाइंट की तलाश में निकल पड़े. ममता बनर्जी उनकी नवीनतम क्लाइंट थी जिनके यहां उन्होंने झंडे गाड़े. पर ममता ने राजनीति में सेवा का मौका नहीं दिया. मौका दिया तो बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा  को. भाई प्रशांत भाई की बेज्जती है या नहीं. गोवा में पानी की तहर पैसा बहाया लेकिन कुछ नहीं कर पाए. फिलहाल प्रशांत भैया की कीमत जीरो के आसपास चल रही है.
कांग्रेस क्या कह रही है? सारे राजनीतिक संबंध तोड़ने होंगे. सिर्फ कांग्रेस में रहोगे. सीधे सोनिया जी, राहुल जी और प्रियंका जी को रिपोर्ट करोगे. तृणमूल में भी तो ममता के अलाव अभिषेक बनर्जी को रिपोर्ट करते थे या नहीं. जब ममता से काम नहीं बनता तो अभिषेक ही उनकी बात मनवाते थे. यहां कांग्रेस में भी ऐसा ही करेंगे.
अगर 2024 में बाजी हार भी गये तो क्या होगा. कांग्रेस निकाल देगी. प्रशांत महाराज का अनुभव तो नहीं छीन लेगी. उनकी टेलेंट तो उनके पास बनी रहेगी. वे फिर अपनी कंपनी को मजबूत बना लेंगे. इतनी प्रतिभा तो उनके पास है ही.
हुई ना विन विन सेच्युवेशन. न हम जीते न तुम जीते. न हम हारे न तुम हारे.
कांग्रेस क्या करेगी यह तो नहीं पता पर राजनीतिक अनुभव से लबालब प्रशांत किशोर हो सकता है बिहार में अपनी पार्टी खड़ी कर लें. नरेन्द्र  मोदी, अमित शाह, भाजपा, अखिलेश यादव, नीतीशकुमार तथा ममता बनर्जी से सीखे राजनीति के गुर आजमाते हुए बिहार में मुख्यमंत्री बन जाएं.
हो सकता है यह विन विन सेच्युएशन प्रशांतकिशोर आनली विनर में बदल जाए.
यह बात अंत में कि 2024 जीत गये तो? आज भले ही जरा गड़बड़ स्थिति लग रही हो. पर जी राजनीति तो संभावनाओं का खेल है. हो भी सकता है. फिर तो ओनली विन विन ही रहेगा ना.


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बातचीत अभी बाकी है कांग्रेस और प्रशांत किशोर की, अभी इंटरवल है, फिल्म अभी बाकी है.

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