22 अप्रैल. देश में अभिव्यक्ति की आजादी है. इसमें फिल्में, गीत, चुनावी भाषण आदि सभी कवर होते हैं. पर पता नहीं अचानक कैसी राजनीति निकली कि बात देश के एक कोने में या जगह हो रही होती है, भावनाएं सुदूर कहीं आहत हो जाती है. शुरू हो जाती है अदालती लड़ाई. कुमार विश्वास ने कहा दिल्ली में और घेरने आ गई केजरीवाल के मार्गदर्शन में पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई में चल रही पंजाब सरकार की पुलिस. कुमार विश्वास तो खैर सक्षम हैं निपट लेंगे. पर ऐसे सभी तो नहीं होते हैं. सुदूर मुकदमा करवा दो. फिर जरा सी मुट्ठी गरम कर दो. पुलिस अदालत में पेश करने ले जाते वक्त ऐसी सुताई कर देगी कि जो पुलिस के चंगुल में है उसकी पहले की और आने वाली सात सात पीढ़ियां कांप जाएगी. जिसकी सुताई होगी उसकी तो बात पूछो ही मत.
देश की संसद को कोई कानून बनाना चाहिये जिससे जिससे यह कानूनी अराजकता खत्म हो सके. जब तक संसद कानून न बनाए तब तक सुप्रीम कोर्ट अपनी तरफ से निर्देश जारी कर सकता है. भारत में सुप्रीम कोर्ट पता नहीं संसद से कुछ ज्यादा ही क्यों डरता है. अमेरिका में तो वहां की संसद ने जितने संशोधन नहीं किये उससे कहीं ज्यादा तो कानून ने सुधार वहां की सुप्रीम कोर्ट ने कर दिये है और कह दिया है कि जब तक संसद इस बारे में कानून नहीं बनाती तब तक ये निर्देश ही कानून के तौर पर प्रभावी माने जाएं.