एक लोकसभा और चार विधानसभाओं के उपचाुनावों में भाजपा का सुपड़ा साफ हो गया. बड़बोले नेता शत्रुघ्न सिन्हा को टीएमसी ने लोकसभा में भेजकर भाजपा की परेशानी को बढ़ा दिया है. बिहार के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार ने उसकी काफी किरकिरी करवा दी है. महाराष्ट्र में कांग्रेस की जीत से शिवसेना के लिये एक बड़ा गड्ढा बन गया है. यह जरूर है कि बिहार में राजद को एक सीट का फायदा हुआ. यहां भाजपा को नुकसान भले ही नहीं हुआ हो पर जीत की उसे काफी उम्मीद थी. उसने ताकत भी खूब लगाई थी. बाकी जगह जिस पार्टी की सीट खाली हुई थी उसी के प्रत्याशी जीत कर वापस आए हैं.
पश्चिम बंगाल के आसनसोल संसदीय क्षेत्र से टीएमसी के शत्रुघ्न सिन्हा तीन लाख से ज्यादा से जीते. उन्होंने भाजपा की अग्निमित्रा पाल को हराया. वह सांसद भी हैं. यह सीट बाबुल सुप्रियो ने भाजपा छोडकर टीएमसी में आने के बाद खाली हुई थी. ममता दीदी की खूब सेवा के बाद भी यशवंत सिन्हां टापते रह गये.
पश्चिम बंगाल के ही बालीगंज विधानसभा क्षेत्र से बाबुल सुप्रियो बीस हजार वोटों से ज्यादा से जीते. उन्होंने भाजपा की केन्या घोष को हराया. यह सीट एक मंत्री सुब्रत मुखर्जी के निधन से खाली हुई थी.
बिहार के बोचहां विधानसभा क्षेत्र से राजद के अमर पासवान 36 हजार से ज्यादा से जीते. सीट मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी के मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुई थी. अमर पासवान उन्हीं के पुत्र हैं. अमर पासवान ने भाजपा की बेबी कुमारी हो हराया. मुसाफिर पासवान की जीत का अंतर भाजपा की बेबीकुमारी और वीआईपी पार्टी की गीता कुमारी को मिले वोटों कुल वोटों से ज्यादा है. बेबीकुमारी इससे पहले यहां से निर्दलीय चुनाव जीती थी. वहीं गीता कुमारी यहां से जीत चुके रमईराम की बेटी हैं. इसी सीट को लेकर भाजपा का मुकेश सहनी से विवाद हुआ था. इससे साफ है कि मुकेश सहनी भाजपा से अपना बदला निकालने में नाकाम रहे हैं.
महाराष्ट्र में कांग्रेस की जयश्री जाधव ने कोल्हापुर उत्तर विधानसभा सीट से भाजपा के सत्यजीत कदम को 19 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. यह शिवसेना का गढ रहा है पर यहां कांग्रेस का लड़ने का मौका मिला. कांग्रेस विधायक चन्द्रकांत जाधव के निधन से खाली हुई थी. जयश्री जाधव उन्हीं की धर्मपत्नी हैं.
घत्तीसगढ़ में खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की यशोदा वर्मा ने बीस हजार से ज्यादा वोट से भाजपा प्रत्याशी कोमलसिंह जंघेल को हराया. यह सीट जनता कांग्रेस के विधायक देवव्रत सिंह के निधन से खाली हुई थी.