कांग्रेस को लेकर एक बार और चिंतन किया जा रहा है कि उसे मजबूत कैसे बनाएं. प्रशांतकिशोर समझा रहे है कि क्या करना चाहिये. समझने वाले वे लोग हैं जिन्होंने जिंदगी के कई शानदार साल राजनीति को करने और यमझने में लगाए हैं. उन्हें प्रशांतकिशोर क्या धरती पर उतरा कोई ईश्वर भी राजनीति नहीं समझा सकता. इसलिये कांग्रेस को प्रियंका या राहुल गांधी को कांग्रेस की बागडोर संभला कर सब भूल जाना चाहिये. जो सत्तर साल से ज्यादा उम्र के हैं उन्हें मार्गदर्शक बना कर कार्यालय में बैठने को कह देना चाहिये. साठ साल की उम्र के लोगों को उनके प्रदेशों के अहम शहरों में तैनात कर पार्टी को मजबूत करने के जमीनी काम में लगा देना चाहिये. उन्हें चुनाव लड़ने की राजनीति से दूर कर देना चाहिये. चालीस साल से ज्यादा की उम्र के लोगोंको लोकसभा और राज्य सभा में भेजना चाहिये. लोकसभा में दो बार से ज्यादा नहीं और राज्य सभा में एक बार से ज्यादा नहीं लड़वाना चाहिये. एक परिवार में से एक को ही जनप्रतिनिधि बनने का अवसर देना चाहिये या संगठन में पदाधिकारी बनाना चाहिये. इस प्रकार से कार्यकर्ताओं और नेताओं की एक अच्छी संख्या तैयार कर संगठन बनाना चाहिये.
तब प्रशांतकिशोर परिणाम दे पाएंगे. वे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नब्ज पर हाथ रख पार्टी को सही रिपोर्ट दे पाएंगे. पार्टी कहां कमजोर है इस बारे में बता पाएंगे. कौन किस पद के लिये ज्यादा उपयुक्त है यह बता पाएंगे. चुनाव की तैयारी से लेकर मतदान के दिन तक कहां क्या चल रहा है यह बता पाएंगे. किस बूथ पर जोर देना है यहां तक रिपोर्ट दे सकेंगे.
पर यह सब तो तब फलदायी होगा जब नेताओं और कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या के साथ संगठन होगा. नहीं तो प्रशांतकिशोर भी कुछ समय बात मौका मिलते ही कांग्रेस में जो हाथ लगेगा उसे बटोर कर दूसरा क्लाइंट तलाशने निकल जाएंगे.