मप्र में भी कॉमन सिविल कोड की दस्तक...(राघवेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल) 30 मार्च.

Category : आजाद अभिव्यक्ति | Sub Category : सभी Posted on 2022-03-30 00:55:32


मप्र में भी कॉमन सिविल कोड की दस्तक...(राघवेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल) 30 मार्च.

राजनीति- चुनाव और फिर सत्ता पाने के लिए चुनावी वादे बहुत खास होते हैं.  पार्टी सत्ता में है तो फिर किए कामों को गिनाने, अहसास कराने, रिपोर्ट कार्ड बताने के साथ चुनाव जीतने का नया रोड मैप भी जरुरी होता है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दोबारा सरकार में आई भाजपा ने दो बड़े संकेत दिए हैं. उत्तर प्रदेश में मदरसों में राष्ट्रगान कराने का निर्णय और उत्तराखंड में कॉमन सिविल कोड के लिए कमेटी का ऐलान कर दिया गया है. गुजरात सरकार हाल ही में पहली कक्षा से 12 तक श्रीमद भागवत गीता पढ़ाने का फैसला कर ही चुकी है. गुजरात में इसी साल दिसंबर 2022 में चुनाव होना है. इसके अगले साल 2023 दिसंबर में मध्यप्रदेश समेत राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी चुनाव होना है. ऐसे में एमपी से भाजपा के सांसद (राज्य सभा ) अजय प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कॉमन सिविल कोड लागू करने के लिए एक पत्र लिख हलचल पैदा कर दी है.
मुख्यमंत्री चौहान को लिखे पत्र में सांसद सिंह ने कहा है कि कॉमन सिविल कोड लागू करने के मामले में उत्तराखंड सरकार के निर्णय को स्वागत योग्य बताते हुए आग्रह किया है कि अपने प्रदेश में समान नागरिक संहिता के पहल आवश्यक है. इसके लिए उन्होंने विधि विशेषज्ञ, न्यायविद, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक और भाषीय समूह के प्रतिनिधियों आदि की समिति बनाने का भी आग्रह किया है. उनके इस पत्र को पार्टी नेतृत्व की तरफ से संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है. अजय प्रताप सिंह की खास बात यह है कि वे मुख्यमंत्री चौहान के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से बेहद करीबी हैं. जानकार इसका यह भी निकाल रहे हैं कि प्रदेश की चौहान सरकार गुजरात, उप्र और उत्तराखंड की तर्ज पर कोई बड़े निर्णय कर सकती है. वैसे भी जनता से जुड़े और जनकल्याण वाले फैसले लेने में मुख्यमंत्री तेजी से काम कर रहे हैं. प्रदेश के विधानसभा चुनाव डेढ़ साल में होना हैं लेकिन कर्मचारियों के हित में डी ए बढ़ाने का निर्णय कर सीएम शिवराज ने सबको चकित कर दिया था। उम्मीद की जा रही है कि मप्र में कॉमन सिविल कोड से लेकर मदरसों में राष्ट्रगान और गुजरात की भांति स्कूली पाठ्यक्रम में श्रीमद्भागवत को पढ़ाए जाने पर निर्णय लिए जा सकते हैं. सबको पता है कि चौथी बार के सीएम शिवराज आक्रमक हैं और फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं.  
इसके साथ ही भाजपा ने अपने लोकसभा चुनाव के एजेंडे भी तय कर दिए हैं. जाहिर है कि ये पार्टी लाइन जिन प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें उभर कर सामने आएगी. लोकसभा चुनाव के लिए भी  उप्र- उत्तराखंड की सरकारों ने इस पर काम शुरू कर दिया है। मतलब आने वाले समय में कॉमन सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण बिल चुनाव के मुख्य मुद्दे होंगे.
पचमढ़ी में चिंतन...
गर्मी के मौसम हो तो पहाड़ों की रानी पचमढ़ी में विधानसभा की बैठकें भी हुआ करती थी जो बाद में बंद कर दी गई. लेकिन चिंतन बैठकों के लिए पहाड़ों की रानी कांग्रेस और भाजपा दोनों की पसंदीदा है. इस बार भी जिन मंत्रियों का विभागीय कामकाज और कार्यकर्ताओं व जनता से सम्पर्क के साथ संबन्धों को लेकर प्रदर्शन अच्छा नही समझाईश दी गई है. पार्टी का प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व भी विधायक- मंत्रियों के कामकाज पर फीड ले रहा है. इस काम में सीएम के अपने सूत्र भी खबरों का आदानप्रदान करते रहते हैं. कई दफा सीएम निजी चर्चा में भी उनका जिक्र मंत्री विधायकों से कर देते है. अब चूंकि चुनावी मूड माहौल शुरू हो चुका है तो ऐसे में जिनका रिकार्ड सुधर नही रहा हैं उन्हें अगली बैठकों में टिकट कटने और बचने की फाइनल एडवाइजरी भी निजी स्तर पर दी जा सकती है. कुल मिलाकर कुछ मंत्रियों के लिए पचमढ़ी चिंतन कम चिंता बैठक ज्यादा साबित हो रही है. मंत्रियों व विधायकों के लिए अगले छह से आठ महीने बहुत अहम होने वाले हैं.
साभार - नया इंडिया /भोपाल


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