पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दिल्ली आकर पहली मुलाकात की और बताया कि पंजाब पर तीन लाख करोड़ का कर्ज है. आर्थिक हालात नाजुक है इसलिये एक लाख करोड़ की विशेष सहायता दे. उनकी मांग पचास पचास हजार की दो वार्षिक किस्तों में पूरा किये जाने का आग्रह है. उनके हिसाब से वह दो साल में राज्य की आर्थिक स्थिति को पटरी पर ले आएंगे और आगे इस प्रकार की मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी. प्रधानमंत्री ने उनको ध्यान से सुना होगा. पर जवाब में क्या कहा यह न मान ने बताया न केन्द्र सरकार ने.
पर पंजाब में इसकी मिश्रित प्रतिक्रिया रही है. ज्यादातर ने कहा कि हम तो पहले से ही कह रहे थे कि सरकार की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. आप पार्टी यह भी फ्री और वह भी फ्री का लालच देकर मतदाताओं को लुभा रही है. यह उचित नहीं है. कांग्रेस ने जरा सा ही सही पर आप का पक्ष लिया और कहा कि पंजाब ने देश के लिये बहुत शहादतें दी हैं. इस प्रकार की मदद पाने का उसका हक तो बनता है. पर मान को सबसे पहले भ्रष्टाचार खत्म करने और फिजूलखर्ची को खत्म करने का वादा निभाने पर जोर देना चाहिये. मान और केजरीवाल कह रहे थे कि वे इन फ्री देने के वादों को पूरा करने के लिये भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे. रेत माफिया, ड्रब माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया को खत्म कर सरकार का खजाना इतना भर देंगे कि सब वादों को पूरा करने के लिये पैसे की कमी नहीं रहेगी.
कुछ तो केजरीवाल का मजाक भी इस मांग की आड़ में उड़ा रहे हैं कि दिल्ली में केजरीवाल ने कुछ नहीं किया बस केन्द्र सरकार से लड़ते रहे और जनता को मूर्ख बनाते रहे कि केन्द्र सरकार काम करने नहीं दे रही है. पर पंजाब में ये बहाने नहीं चलेंगे. यहां तो काम करना पड़ेगा वह भी अपनी दम पर नहीं तो जनता माफ नहीं करेगी. यह भी कहा जा रहा है कि मुफ्त की चीजें और सेवाएं देने का वादा आप करो और उन को पूरा करने के लिये पैसा केन्द्र से मांगों यह क्या बात हुई. क्या केन्द्र के भरोसे वादे किये थे? बहानेबाजी से बाज आओ केजरीवाल. अब खुद पैसा जुटाओ और वादे पूरे करो.