पंजाब का ‘‘मान’’ केजरीवाल को देश का नेता बनाएाा या डुबाएगा? 18 मार्च.

Category : मेरी बात - ओमप्रकाश गौड़ | Sub Category : सभी Posted on 2022-03-18 02:33:48


पंजाब का ‘‘मान’’ केजरीवाल को देश का नेता बनाएाा या डुबाएगा? 18 मार्च.

केजरीवाल की पार्टी आप ने पंजाब में चमत्कारी जीत हासिल कर केजरीवाल को देश के पटल पर चमका दिया है. केन्द्रशासित राज्य दिल्ली के माध्यम से केजरीवाल ने जो अपनी शानदार छवि बनाई थी उसमें आसमानी वादों का तड़का लगा कर पंजाब को जीत लिया. पर वहां अगर भगवंतसिंह मान की सरकार सफलता के झंडे नहीं गाड़ सकी तो केजरीवाल का सितारा गर्दिश में चला जाएगा. अगर सफलता मिली तो वे मोदी और भाजपा के लिये एक बड़ी चुनौती साबित होंगे. इतना ही नहीं विपक्ष में ममता जैसे उभरते विपक्षी सितारों के लिये भी वे परेशानी का कारण बनेंगे. 2024 में विपक्षी एकता के माध्यम से मोदी को चुनौती देने का विपक्ष जो सपना देख रहा है उसके रंग में भंग का कारण भी वे बन सकते हैं.
पर यह सब तो भगवंतसिंह मान और पंजाब पर टिका है. इसलिये बात को यहीं तक सीमित रखते हुए कहना होगा कि भ्रष्टाचार और नशा समाज में गहराई तक जड़े जमा चुका है. इसे कानून से खत्म करना असंभव सा है. फिर जितना भी इसे कम करना संभव है वह भी प्रशासकीय कुशलता पर टिका है जिसका मान सरकार और उनकी पार्टी के पास भारी कमी है. इसलिये यह मान के लिये सबसे बड़ी और पहली चुनौती बनने वाला है.  इसमें भी उन्हें दो चार माह में ही आशाजनक परिणाम देने होंगे. इससे मान कैसे निपटते हैं इस पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी. इसमें ज्यादा तीखी नजर तो मोदी और भाजपा की रहेगी.
मान सरकार की एक और बड़ी चुनौती आर्थिक रहने वाली है. केजरीवाल ने आसमान छूने के सपने दिखाने के वादे तो कर लिये पर पंजाब की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि उसके बारे  में जानकार बताते हैं कि छह लाख करोड़ का कर्जा है. इस पर जो ब्याज सरकार को देना पड़ता  है वही पंजाब की जीडीपी का 45 प्रतिशत है. यानि सरकार को अपना काम 55 फीसदी में से ही चलाना पड़ेगा. पंजाब के कृषि प्रधान होने के कारण यहां जीएसटी कलेक्शन की गुंजाइश कम होती है. क्योंकि प्रमुख फसल धान और गेंहू तो बेचा जाता है. जबकि जीएसटी तो बिक्री पर आधारित है.
पंजाब सरकार ने आय बढ़ाने के लिये एक अनूठा तरीका अपना रखा है. उसने गेंहू और धान की बिक्री पर पांच प्रतिशत टेक्स लगा रखा है जो देश में और कहीं नहीं लगता है. इस टेक्स पर भी साढे़ तीन प्रतिशत सरचार्ज है. यानि कृषि उपज की बिक्री पर लगने वाला यह कर ही पंजाब सरकार को भारी रकम उपलब्ध करवा देता है.  स्वाभाविक है कि इसका ज्यादा भार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया को उठाना पड़ता है जो गेंहू और धान की करीब करीब पूरी फसल खरीदता है वह भी एमएसपी पर.
पर जैसा की चुनाव के समय केजरीवाल और मान कहते रहें हैं कि भ्रष्टाचार खत्म करने से ही सरकार की आय में इतना ज्यादा इजाफा हो जाएगा कि पंजाब के सारे कष्टों से निपटा जा सकेगा. इसलिये किसी को इस की चिंता करने की जरूरत नहीं है. अब देखना यही होगा कि मान सरकार भ्रष्टाचार से कैसे निपटती है. याद रखने की बात है कि भ्रष्टाचार कानूनी चुनौती मात्र नहीं है बल्कि सामजिक बीमारी जैसी है. इसस केवल कानून से नहीं निपटा जा सकता है. इसके खिलाफ जब भी पंजाब में कार्यवाही होगी तो धनी वर्ग, नेताओं के साथ साथ अफसरों पर भी गाज गिरेगी. समाज के छोटे तबके को भी नई नई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इसके लिये कुशल राजनीतिक नेतृत्व के साथ साथ आला दर्जे के प्रशासकीय हुनर की जरूरत पड़ेगी जिसका मान सरकार और उनकी पार्टी के पास बड़ा अभाव है. अगर भ्रटाचार को नहीं खत्म किया जा सका और प्रारंभिक दो चार माह में ही भ्रष्टाचार पर तीखी चोट कर परिणाम नही दिये जा सके तो मान के साथ साथ केजरीवाल का भी भगवान ही मालिक होगा.
मान के सामने एक बड़ी चुनौती वादों की पूर्ति की रहेगी. केजरीवाल की तर्ज पर मान और उनकी पार्टी ने आसमान से तारे तोड़ लेने वाले वादे तो कर दिये लेकिन वे पूरे कैसे होंगे. सभी वयस्क महिलाओं को एक हजार रूपया माहवार देने के वादे ने सबको लुभाया है. मोदी सरकार की तरह मान सरकार भी जनधन खातों में या ऐसी ही किसी व्यवस्था के तहत बैंक खातों में पैसा डालने की तरकीब अपना सकती है. इसमें भ्रष्टाचार नहीं होगा और हितग्राही महिलाओं तक पूरा पैसा भी पहुंच जाएगा. लेकिन उसके लिये आधार नंबर लगेगा. देश में मोदी विरोधी दलों ने तो आधार के खिलाफ मुहिम चला रखी है. अब केजरीवाल को अपना नेता कहने  वाले मान क्या करेंगे. फिर महिला हितग्राही मद में तीस लाख महिला हितगाहियों को करीब तीन सौ करोड़ रूपया बांटना होगा. यदि यह लागू हुआ तो सबसे पहले केजरीवाल की दिल्ली सरकार में आवाज उठेगी कि जब पंजाब दे सकता है तो दिल्ली क्यों नहीं? धीरे धीरे ही सही  यह बात पूरे देश  में उठेगी और देश गंभीर आर्थिक संकट की ओर एक और कदम बढ़ा देगा. इसके अलावा आशा कार्यकर्ता और ऐसे ही कम पैसा पाने वालों के मानदेय में भारी भरकम बढ़ोतरी का वादा किया गया है. नियमितिकरण की मांग तो पहले से ही उठ रही है. ऐसे में वेतन और पेंशन बिल राकेट की तरह कहां तक उपर जाएगा ंयह देखने की बात होगी. बिजली भी चार सौ यूनिट हर माह फ्री देने का वादा भी कर रखा है. अब तो यह देखना होगा कि आर्थिक संकट में फंसे पंजाब की डगमगाती नैया को कैसे पार लगाएंगे.
एक और बड़ी चुनौती किसान बनने वाले हैं. उनकी धान और गेंहूं की फसल तो खैर एफसीआई खरीद लेता है पर बीज, कीटनाशक आदि की कीमतें लगातार बढ़ रही है. मजदूरी भी बढ़ रही है. डीजल के दाम भी आसमान की तरफ है यानि खेती किसानी लगातार महंगी होती जा रही है. इससे किसान का लाभ कम हो रहा है. इससे किसानों में असंतोष भी बढ़ रहा है. इसका रास्ता आसान नहीं है. एमएसपी के चलते निचले दर्जे के धान और गेंहू के दाम पहले ही ज्यादा है. इसी दर्जे का धान और गेंहूं पंजाब में होता है. इसलिये इसकी एमएसपी भी ज्यादा बढ़ने की उम्मीद नहीं है. जबकि मध्यप्रदेश व अन्य कई राज्य जो पंजाब से ज्यादा धान और गेंहू उपजाते हैं और एफसीआई को ज्यादा गेंहूं देते भी नहीं है क्योंकि उनकी उपज की क्वालिटी शानदार होती है तो दाम भी उंचे रहते हैं इससे किसान ज्यादा तनाव में नहीं रहते हैं. पंजाब के किसान इस सुधार की ओर बढ़ने का खतरा उठाने को राजी नहीं है जबकि उनकी खेती उन्हें कैंसर  और उसके जैसी अन्य जानलेवा बीतारी का शिकार तैजी से बना रही है. जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो रही है. जमीन में पानी का स्तर खतरनाक गति से नीचे जा रहा है. एक तरह से पंजाब की खेती किसानी आत्महत्या       की ओर बढ़ रही है. ऐसे में किसान की क्या हालत होगी आसानी से समझा जा सकता है.
फिर नशा तो पंजाब की नसों में दौड़ ही रहा है. उससे पैसा बनाने में नेता हों या अफसर कोई पीछे नहीं हैं. नशे से मुकाबला तो मान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में आते हैं. इस पर कैसे प्रहार किया जाता है, यह देखना दिलचस्प होगा. मान ने भष्टाचार के वीडियो और आडियो भेजने के लिये अपना खास नंबर व्हाट्सएप नंबर देने का वादा किया है. हो सकता है इसी प्रकार का मुख्यमंत्री नंबर नशे के लिये भी जारी हो जाए. यह फार्मूला चलता नहीं है यह दिल्ली में देखा जा चुका है.
पंजाब की एक अनूठी समस्या बेअदबी की है. यह दूसरे राज्यों में भी होती है पर वहां लोग कानून हाथ में लेने से बचते हैं और संदिग्ध को पुलिस को सौंप देते हैं जबकि पंजाब में तो लोग हाथों हाथ मामला निपटाने में यकीन रखते हैं. संदिग्ध की मार पीट कर ऐसी गंभीर दशा कर देते हैं कि संदिग्ध मरने से बच गया तो उसकी किस्मत. फिर पीटने वालों पर प्रभावी कार्यवाही और सजा दिलवाना तो असंभव सी बात है. मानवाधिकार से जुड़ी इस समस्या से निपटना मान के लिये लोहे के चने  चबाने जैसा होगा. 

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