पत्रकार भी बेपटरी होकर कथा वाचक, ठेकेदार, व्यवसायी हो गए हैं. 3 मार्च. - राममोहन चौकसे, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल

Category : आजाद अभिव्यक्ति | Sub Category : सभी Posted on 2022-03-03 00:44:44


पत्रकार भी बेपटरी होकर कथा वाचक, ठेकेदार, व्यवसायी हो गए हैं. 3 मार्च. - राममोहन चौकसे, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल

आजकल कहा जाने लगा है कि पत्रकारिता बेपटरी हो गई है. सुनने में अजीब सा लगता है. कुछ हद तक सच्चाई है. अगर यह कहा जाए पत्रकार भी पत्रकारिता से बेपटरी होकर कथा वाचक, ठेकेदार, व्यवसायी हो गए हैं, आश्चर्य लगता है.
मप्र, छग सहित अन्य प्रांतों में ऐसे मामले सामने आए है, जब पत्रकारों ने राजनीति की राह भी पकड़ी. इसी तरह कुछ पत्रकारों ने पत्रकारिता छोड़कर धंधा, समाज सेवा, ठेकेदारी, शुरू कर दी। कुछ सफल, कुछ असफल रहे.
मप्र में वार्ता के संवाददाता रहे वरिष्ठ पत्रकार स्व. राजेन्द्र नूतन ने आइसक्रीम की दुकान खोली थी, घाटे के कारण बंद कर दी थी. नई दुनिया के सम्पादक रहे स्व. मदन मोहन जोशी कैंसर अस्पताल के संचालक रहे. जागरण के प्रमुख रहे रमेश शर्मा अब भगवान परशुराम की कथा कर रहे हैं.
भास्कर के वरिष्ठ सहयोगी रहे रमेश तिवारी अध्यात्म की राह पर चल पड़े हैं. तीन धार्मिक पुस्तक लिख चुके है. जनसम्पर्क में अधिकारी रहे दिनेश मालवीय बेहतर गीतकार, गजलकार हो गए हैं.
दैनिक आलोक के पत्रकार प्रेम नारायण प्रेमी मप्र राज्य विद्युत मंडल के पंजीकृत ठेकेदार, जागरण के पत्रकार भूपेंद्र निगम ज्योतिषाचार्य हो गए हैं. राष्ट्रीय हिंदी मेल के सम्पादक रहे सूरज पाठक, सांध्य प्रकाश के वैभव भटेले भागवत की कथा सुना रहे हैं. सांध्य प्रकाश के संजय सक्सेना योग सिखा रहे हैं.
सागर की पत्रकार ममता यादव भोपाल में रसायन मुक्त प्राकृतिक खाद्य सामग्री की निर्माता, विक्रेता हो गई है. जागरण में रहे रवि खरे भजन गा रहे हैं. राजस्थान पत्रिका के संवाददाता रहे रमेश ठाकुर ने इस्कान से जुड़कर कृष्ण भक्ति की राह पकड़ ली है. पाश्चत्य वस्त्र भी त्याग दिए है.
नवभारत के व्यापार संवाददाता सुभाष दुबे वस्त्र व्यवसायी हो गए हैं. जागरण के रवि चौधरी पुस्तक, लेखन सामग्री विक्रेता हो गए हैं. जागरण और भास्कर में रहे राजीव सक्सेना मुम्बई में टी वी सीरियल निर्माता हो गए है. भास्कर में रहे देवकांत शुक्ला बड़ोदरा में बड़े नाट्य निर्देशक हो गए हैं. बुजुर्ग पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया छापाखाना चला रहे है. मनोहर पाठक नोटरी हो गए हैं.
रायसेन के आर. के. सोनी ज्वेलर्स, संजय जैन किराना व्यापारी , विजय खत्री भवन निर्माण सामग्री के वितरक हो गए हैं. देशबंधु भोपाल में रहे सागर के विजेंद्र ठाकुर दाल बाफले बेच रहे हैं। रजनीश जैन बुक स्टॉल चला रहे हैं.
जागरण में रहे सागर के भूपेंद्र भुप्पी अमेरिका में टैक्सी चला रहे हैं. नवभारत सागर के प्रमुख रहे दीनदयाल बिलगैया फोटोकॉपी की दुकान चला रहे हैं. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में नवभारत के दिनेश ठक्कर ने मिठाई की दुकान खोल कर बंद कर दी और बंगलुरु में बस गए.
नवभारत की रत्ना वर्मा रायपुर में ग्रीटिंग कार्ड की दुकान चला रही हैं. हिमांशु द्विवेदी रायपुर हरीभूमि के प्रमुख हो गए हैं. जबलपुर के राजेश द्विवेदी ठेकेदार हो गए हैं. भोपाल भास्कर में रहे राधेश्याम अग्रवाल संस्था बनाकर लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर, भूखों को भोजन कराकर समाज सेवा कर रहे है.
पत्रकारिता छोड़कर राजनीति करने वालों की बात करें तो सबसे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे स्वर्गीय मोतीलाल वोरा का नाम आता है. बोरा जी नव भारत के संवाददाता थे. छत्तीसगढ़ विभाजन के पूर्व मध्य प्रदेश के मंत्री रहे लीलाराम भोजवानी नवभारत के संवाददाता थे.
छत्तीसगढ़ के सांसद चंदूलाल चंद्राकर, मंत्री रहे चंद्रशेखर साहू, जसराज जी जैन पत्रकार थे. नवभारत भोपाल के संपादक स्वर्गीय त्रिभुवन यादव पिपरिया के विधायक थे. नवभारत के सीहोर प्रमुख शंकर लाल साबू विधायक थे. वे ऊनी बंडी के निर्माता भी थे.
परिवर्तन प्रकृति का नियम है, आने वाली पीढ़ी के भविष्य को संवारने के लिए पत्रकारों ने पत्रकारिता से बेपटरी होने का निर्णय लिया है। पत्रकारिता के गिरते स्तर से व्यथित होकर मूल्यपरक पत्रकारिता करने वालों को इस तरह के निर्णय लेने को मजबूर किया है.

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