तीन चरण के मतदान के बाद यह साफ नजर आने लगा है कि पहले दो चरणों में अखिलेश यादव के गढ़बंधन को जो बढ़त मिली थी वह तीसरे चरण में करीब करीब साफ हो चुकी है. अगर कुछ लोगों को संशय है भी तो वे यह नोट कर लें कि चौथे चरण के बाद यह संशय भी खत्म हो जाएगा और भाजपा की झौली में एक प्रभावी और बड़ी बढ़त होगी. यह अगले सात चरण तक चलेगी. हां यह बात स्वीकार की जा सकती है कि आखरी के दो चरणों में उतनी बढ़त नहीं मिल पाएगी जितनी चार और पांचवें चरण में मिलने वाली है. छह और सात में बढ़त तो मिलेगी पर ऐसी नहीं जैसा बार बार कहा जा रहा है. उसका परिणाम यह होगा कि योगी की वापसी तो सुनिश्चित रहेगी पर जीत का अंतर बदलता रहेगा. यह आठ दस सीटों से लेकर पचास सीटों तक जा सकता है. यह जीत भाजपा समर्थकों के लिये राहत की सांस होगी तो कई समर्थकों के लिये भारी जश्न का कारण. लेकिन यह भाजपा विरोधियों के लिये भी कम राहत की बात नहीं रहेगी. वे कह सकेंगे की अच्छी टक्कर दी. और जो पानी पी पीकर भाजपा को गरियाते हैं वे कह सकेंगे कि इससे मोदी के लिये 2024 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. वे सब चुप हो जाएंगे जो यह कह रहे हैं कि इस बार योगी जीते तो यह लोकतंत्र के लिये आखिरी चुनाव जैसा होगा. बल्कि वे इस कमजोर हार पर भी जश्न जैसा मना सकेंगे. इनमें से कुछ सभी विपक्षी दलों का मोदी विरोधी मोर्चा बनाने के लिये सक्रिय हो जाएंगे तो कुछ गैर कांग्रेस विपक्षी गठबंधन की कोशिश करेंगे. इसमें दिलचस्प बात यह है कि उसमें शिवसेना की अगुआई वाली उद्धव ठाकरे की सरकार भी रहेगी जो बिना कांग्रेस के समर्थन के एक सांस भी नहीं ले सकती है. ये लोग भूल जाते हैं कि अमरिंदर सिंह को हटाने का क्रांतिकारी कदम उठाने वाले राहुल-प्रियंका के सामूहिक नेतृत्व में चल रही कांग्रेस कब समर्थन वापसी का क्रांतिकारी कदम उठा लेगी इसकी किसी को भनक तक नहीं लग पाएगी. क्योंकि सोनिया गांधी प्रारंभ से ही इस बात के खिलाफ रही है कि कांग्रेस शिवसेना को समर्थन दे. वो तो युवा नेताओं की जोड़ी इको मौका देने की खातिर इसकी इजाजत दे बैठीं अन्यथा वे तो आज भी इस समर्थन के खिलाफ हैं.