उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 55 सीटों के लिये वोट डाले गये. मतदान करीब 60 फीसदी से ज्यादा रहा जो पिछले चुनाव से कम ही है. वोटिंग की यही दिशा पहले चरण में दिखी थी तो पहले चरण की तरह दूसरा चरण भी अखिलेश यादव ने लुट लिया है. उन्हें पचपन में से तीस से चालीस सीटें मिल सकती हैं. कांग्रेस को एक दो सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है. यही स्थिति अन्य की रहेगी. वहीं बसपा को दो चार सीटों का लाभ मिल सकता है. बाकी भाजपा की झोली में आएंगी. ये बीस के आसपास होगी.
इसका श्रेय वोटों का धार्मिक और जातीय घु्रवीकरण के साथ अखिलेश की सोशल इंजीनियरिंग और पिछली भूलों से मिले अनुभव से उपजी राजनीतिक समझ को जाता है. अखिलेश को यादव और मुस्लिम वोटों पर पूरा भरोसा था. दोनों की करीब करीब शतप्रतिशत वोटिंग के साथ शतप्रतिशत वोट भी मिले हैं. अखिलेश ने लोकदल को साध कर जिद्दी और जागरूक कहे जाने वाले जाट वोट भी मुसलमान और यादव वोटों की तरह ही जुटाएं हैं. इसके अलावा भी उन्होंने सोशल इंजीनियरिंग कर दूसरी जातियों के वोट काफी सारे अपनी झोली में डाले हैं. राजनीतिक चतुराई यह की कि यादव. मुस्लिम और जाटों को टिकट देने में चतुराई की और कम से कम इनके उम्मीदवार वही खड़े किये जिन्हें टिकट देना जरूरी के साथ अनिवार्य सा था ताकि बगावत न जन्म ले ले. कम टिकट इसलिये दिये ताकि इनसे कोई प्रतिक्रिया से उलटा धु्रवीकरण नहीं हो. इसलिये जहां मुस्लिम ज्यादा थे वहां भी कुर्मी, गुर्जर आदि को टिकट दिये. उन्हें उनकी जाति के वोट तो मिले ही यादव, जाट मुस्लिम के साथ सोशल इंजीनियरिंग के वोट भी मिले.
वहीं भाजपा को भी इस सारी राजनीति का अंदाज था उसे नुकसान का भी अहसास था इसलिये वह क्षति को कम करने की राजनीति करने को बाध्य हो गई. बची खुची कसर उसके सीटिंग विधायक रहते असंतोष का शिकार उम्मीदवारों ने भी बढ़ा दी जिससे भाजपा के वोटरों में उत्साह एकदम नजर नहीं आया. फिर भी उन्होंने या तो मन मार कर भाजपा को वोट दिये या फिर भाजपा के वोट मैनेजमेंट में फंस कर वोट देने गये और भाजपा को वोट दे आए. ये वोटर ही भाजपा की आशा हैं जिससे भाजपा को बीस के आसपास सीटें मिल सकती है.
दोनो चरण मिलाकर 113 सीटों के लिये मतदान हो गया है. इनमें से भाजपा को बीस से चालीस तक सीटे ही मिल पाएगी जो एक बड़ा नुकसान है.
इसके बाद भी मेरा मानना है कि भाजपा परिश्रम कर इस क्षति की पूर्ति आने वाले चरणों में कर लेगी और 15 से 50 के बीच का बहुमत लेकर सरकार बना लेगी. यानि आयेंगे तो योगीजी ही. यह भी कह सकते हैं कि करीब सौ पचास सीटों का नुकसान तय है. बल्कि उससे ज्यादा भी हो सकता है पर सरकार योगी जी की ही रहेगी.