21 जनवरी. पंजाब का ताजा ओपिनियन सर्वे बता रहा है कि पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा बनने जा रही है. यही नहीं वहां आप, कांग्रेस और अकाली दल में से किसी के पास भी स्पष्ट बहुमत तो होगा ही नहीं वे उससे काफी दूर रहेंगे. यही नहीं तीनों के पास करीब करीब बराबर सीटें रहेंगी. तीस से चालीस के बीच. पहले स्थान पर आप, दूसरे पर कांग्रेस और तीसरे पर अकाली दल के रहने की संभावना है. ऐसे में सरकार तभी बनेगी जब तीन कट्टर विरोधियों में से कोई दो हाथ मिला लें नहीं तो राष्ट्रपति शासन लगेगा. यही स्थिति कभी उत्त्रप्रदेश में तब बनी थी जब पहले स्थान पर भाजपा, दूसरे पर सपा और तीसरे पर बसपा आई थी. काफी समय बाद भाजपा और बसपा ने छह छह माह मुख्यमं.ी बनाने की शर्त पर समझौता कर सरकार बनाई थी. पहले सरकार बसपा को बनानी थी और मायावती ने सरकार बनाई पर छह माह बाद उन्होंने सरकार छोड़ने से इंकार कर दिया था.
कांग्रेस को पता है कि वह सिद्धू के रहते न आप के साथ जा सकती है न अकाली दल के. यही नहीं आप से डर है कि वह कांग्रेस को उसी प्रकार खत्म कर देगी जिस प्रकार से दिल्ली में किया.
किसान संगठनों के दो दल और अमरिंदरसिंह ने भाजपा के साथ जो गठबंधन बनाया है उन्हें ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है. न निर्दलियों ज्यादा सीटें मिलने की संभावना है. यानी इन सबकी भूमिका सरकार बनाने में नहीं दिख रही है.
वहीं किसान संगठन तो वोट कटवा ज्यादा साबित हो रहे हैं. वे कांग्रेस और आप दोनों के वोट काटेंगे और तीसरे स्थान पर दिख रहे अकाली दल को फायदा पहुंचांगे. पर इतना भी नहीं कि अकाली दूसरे स्थान पर आ जाए.
चुनाव के बाद आया राम गया, राम का खेल दिखेगा.