18 जनवरी. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने तत्कालीन यूपीए सरकार के एक और घोटाले का पर्दाफाश किया है वह है ‘‘एंट्रिक्स-देवस डील’’.
2005 में एक डील हुई थी.. एंट्रिक्स-देवस डील जो देश की सुरक्षा के साथ एक बड़ा खिलवाड़ था. साथ ही यह एक बड़ा घोटाला भी था. यूपीए सरकार ने इसे रद्द करने में छह साल लगा दिए. इतना ही नहीं इस सौदे के बारे में तब की कैबिनेट को भी खबर नहीं थी.
इस डील में रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रयोग किए जाने वाले बैंड को निजी कंपनी को बेचा गया था. सैटेलाइट लॉन्च होने के पहले ही इसके इस्तेमाल का अधिकार निजी कंपनी को बेच दिया गया था.
देवस, इसरो के पूर्व सेक्रेटरी की कंपनी थी और इसमें कई विदेशी निवेशकों ने निवेश किया था. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बैंड को सस्ते भाव में निजी कंपनी को बेचा गया. 6 साल बाद 2011 में जब यूपीए सरकार ने ही डील रद्द की तब देवस कम्पनी अंतरराष्ट्रीय कोर्ट चली गई, जहां भारत सरकार को केस लड़ने के लिये आर्बिट्रेटर की नियुक्ति करने को कहा गया, लेकिन तब की सरकार ने कभी आर्बिट्रेटर की नियुक्ति नहीं की.
यदि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में यह केस हार जाती तो उसे एक मोटी रकम देवस कम्पनी को हर्जाने के रूप में भुगतान करना पड़ता. तत्कालीन सरकार में बैठे हुए जिम्मेदार उन लोगों की लालच और घोटाले वाली प्रवत्ति के कारण वर्तमान सरकार आज भी कई अंतरराष्ट्रीय अदालतों में केस लड़ रही है.
प्राइमरी वेवलेंथ, सैटेलाइट या स्पेक्ट्रम बैंड की बिक्री करके इसे निजी पार्टियों को देना और निजी पार्टियों से पैसा कमाना कांग्रेसनीत यूपीए सरकार की विशेषता रही है..
कल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भारत सरकार के पक्ष में निर्णय दिया है.. तत्कालीन यूपीए सरकार में बैठे जिम्मेदार लोगों को इस मक्कारी का जवाब देना ही चाहिए.
सहयोग - कृष्णकांत अग्निहोत्री