योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर से लड़ेंगे, सही फैसला.15 जनवरी. योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर सीट से विधानसभा चुनाव लड़वाने का फैसला कर भाजपा ने एक सही फैसला लिया है. वह 18 साल में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले पहले सीएम उम्मीदवार होंगे. अभी तक योगी सहित सारे सीएम विधानपरिषद से आते हैं. जबकि विधानसभा को ही सही मायने में जनप्रतिनिधि का स्थान माना जाता है. अभी तक अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं की है. उनके लड़ने पर संशय है क्योंकि वे अपनी पार्टी के अकेले स्टार प्रचारक हैं. वे एक ही सीट पर ज्यादा नहीं उलझना चाहते हैं. वे अपनी ताकत पूरे प्रदेश में लगाना चाहते हैं. वहीं मायावती पहले ही चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं.
योगी के लिये पहले मथुरा से बात चली फिर अयोध्या भी उसमें जुड़ा, समय के साथ गोरखपुर भी जुड़ा. पर अंत में बात तय हुई अयोध्या की.
पर अयोध्या सही फैसला क्यों है. इसे समझने के लिये पहले मथुरा लें. कहा गया कि मथुरा हिंदू वोटों के लिये नया टारगेट है. क्योंकि राम मंदिर का काम शुरू हो चुका है. उसके रूकने की आशंका नहीं है. इसलिये मथुरा सही रहेगा. लेकिन भाजपा इस प्रकार का संकेत अभी नहीं देना चाहती क्योंकि कोई भी विवाद कब क्या रूख ले और चुनाव पर क्या असर बताए शर्तिया नहीं कहा जा सकता. इसलिये मथुरा को छोड़ना सही रहता और वही किया.
बात अयोध्या की तो वह पहले से ही हिंदू भावनाओं का केन्द्र है और कहा गया यहां से योगी लड़े तो ये भावनाएं और प्रभावी तरीके से आगे बढ़ाई जा सकेगी. इससे राजनीतिक रस्साकसी का सामना कर रहे उत्तरी उत्तरप्रदेश पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा. यह सही है पर उत्तरप्रदेश के चुनाव में धर्म से ज्यादा जातियां हावी है. यह कड़वी सच्चाई है यहां का हिंदू भी वोट के लिये हिंदू धर्म से ज्यादा अपनी जाति को अहमियत देता है. और अयोध्या का जातीय गणित दलित और ओबीसी की ओर झुका हुआ है. ऐसे में योगी जी यहां से चुनाव लड़ते जिन्हें राजपूत कहा जा रहा है, तो कहा जाता भाजपा ने दलितों और ओबीसी की सीट छीनकर उंची जाति के हिंदुओं यानि राजपूत को दे दी. योगी यहां से भले ही हारते नहीं पर इससे गलत संदेश जाने की आशंका थी. इसलिये भाजपा ने इसे छोड़ दिया.
अब बचा गोरखपुर. यहां गोरखनाथ की सीट है. गोरखनाथ की दलितों में भारी प्रतिष्ठिा है. उस समय जब उंची जातियों की चलती थी तब भी भगवान गोरखनाथ ने कंठी माला देकर दलितों और पिछड़ों को हिंदू धर्म के साथ जोड़े रखा. इस पीठ का असर नेपाल तक है. यहां से योगी आदित्यनाथ की जीत तो इस मठ का महंत होने के कारण सुनिश्चित है ही वे पूर्वी उत्तरप्रदेश को और ज्यादा अच्छी तरह से भाजपा के साथ ला सकेंगे. भाजपा के स्टार प्रचारक वह पहले से ही हैं इसलिये वह पूरे उत्तरप्रदेश को तो देखेंगे ही उत्तराखंड को भी भाजपा की झोली में बनाये रखने में निर्णायक भूमिका निभा सकेंगे. याद रहे उत्त्राखंड योगी आदित्यनाथ की जन्मस्थली है. इस लिहाज से योगी आदित्यनाथ पर भाजपा का एक सोचा समझा सही फैसला है.