अब 2024 तक तो चलेगा मोदी का जादू
मुस्लिम वोट बैंक पर चली धर्मनिरपेक्ष राजनीति को भाजपा ने ऐसा जवाब 2014 में दिया कि 2024 तक का एजेंडा सेट हो गया. पर इसके खतरे को मोदीजी ने 2019 में ही भांप लिया और सबका साथ सबका विकास के साथ सबका विश्वास भी जोड़ लिया. बंगाल में तो भाजपा का वर्तमान एजेंडा चल गया है और जैसा की पूर्व में कहा उसका जादू 2024 तक कायम रहने वाला है. जादू की तोड़ इस बीच या इसके बाद विपक्ष निकाल पाएगा फिलहाल संभव नहीं लगता है. पर मोदीजी तोड़ न सही नया स्वरुप जरूर निकालोंगे जो विश्वास को बेहतर सजीव स्वरूप देगा. वैसे अभी भी प्रशासन में, सरकारी लाभों में भाजपा की सरकारों का शासन प्रशासन कोई भेदभाव नहीं करता है बल्कि मुस्लमानों को बेहतर हिस्सेदारी देता है. हां इससे तुष्टिकरण जैसी हवा नहीं बनती है और मुस्लिम वोटों के राजनीतिक ठेकेदारों और सारे लाभ कार्नर करने वाले मौलवियों की एकदम अनदेखी हो जाती है जिसका नतीजा भाजपा को वोट खोकर भुगतना पड़ता है. न माने तो नंदीग्राम के चुनाव की समीक्षा सत्य ंिहंदी डाॅट काम और ऐसी ही वेबसाइटों, यूट्यूब न्यूज चैनलों पर हुई चुनावी चर्चाओं को देख लें. उसमें साफ कहा गया कि नंदीग्राम के 62 हजार मुसलमान वोट तो ममता बनर्जी को मिल ही जाएंगे. करीब सवा लाख हिंदूं वोटर्स में सारे हिंदू मुस्लमान केन्द्रीय करण के बाद भी होने वाले बिखराव के कारण से करीब 40 फीसदी हिदू वोट ममता बनर्जी को मिल जाएंगे. इस कारण जीत पक्की है. परिणाम क्या होगा यह तो 2 मई को पता चलेगा लेकिन हिंदू वोटर्स का केन्द्रीकरण साम्प्रदायिकता है और मुसलमान वोटर्स की एकजुटता धर्मनिरपेक्षता इसी दोहरे मापदंड ने भाजपा की हिंदू वोटर्स को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई है. इसका जवाब राहुल गांधी और ममता बनर्जी का साफ्ट हिंदूत्व नहीं दे पाएगा. इसीलिये ओबेसी की पार्टी आगे बढ रही है जो कट्टरता के आधार पर तर्क कुतर्को के सहारे मुसलमान वोटर्स को एकजुट कर रही है जो कथित धर्मनिरपेक्ष दलों के लिये नया खतरा बनकर उबरी है. यह दुबले पर दो असाढ साबित हो रही है.