कोरोना का पलटवार हमारी लापरवाही का नतीजा

Category : आजाद अभिव्यक्ति | Sub Category : सभी Posted on 2021-02-25 06:46:14


कोरोना का पलटवार हमारी लापरवाही का नतीजा

कोरोना का पलटवार हमारी लापरवाही का नतीजा
भोपाल के अस्पतालों में मरीजों का आंकड़ा फिर बढने लगा है, बीते कल अस्पतालों में भर्ती मरीजों का आंकड़ा 620 था. पडौसी राज्यों से आ रही खबरे भी अच्छी नहीं हैं. विदेश की खबरें भयावह है. ये कोरोना का पलटवार है. इसकी अब वापसी में सबसे बड़ा योगदान हमारी लापरवाही का है. हमें अब फिर से वो सारी कवायद दोहराने के लिए तैयार रहना चाहिए, जो हमने पिछले साल भोगी है.
भारत में फिर से बढ़ते नये मामले बताते हैं कि बार-बार आगाह किये जाने के बावजूद बढ़ती लापरवाही भारी पड़ रही है. पिछला साल जानलेवा कोरोना की दहशत के साये में गुजारने के बाद नये साल के साथ, जरूरी सावधानी तथा वैक्सीन की उपलब्धता के चलते, सकारात्मक संकेत मिले थे. घटते दैनिक कोरोना मामलों ने इन संकेतों को उत्साहवर्धक बनाया. केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कोरोना नियंत्रण के लिए लागू कड़े प्रतिबंध भी इस बीच धीरे-धीरे हटाये जाते रहे. इसे सबने कोरोना दुष्काल की समाप्ति मान लिया था, यह गलत था और है.
हालांकि यूरोप समेत विदेशों में कोरोना के नये स्ट्रेन मिलने के चलते बार-बार विश्व स्वास्थ्य संगठन और सरकार द्वारा लोगों को आगाह किया जाता रहा कि मास्क पहनने, बार-बार हाथ धोने और दो गज की दूरी के मामले में लापरवाही बरतना अभी भी भारी पड़ सकता है. लगातार कम होते नये कोरोना मामलों में अब पिछले कुछ दिनों से फिर वृद्धि का रुख बता रहा है कि इन चेतावनियों को लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया. केरल और महाराष्ट्र में मुश्किल से कोरोना पर काबू पाया जा सका था, अब देश भर के नये कोरोना मामलों में 75 प्रतिशत फिर वहीं से आ रहे हैं. पंजाब में भी नये कोरोना मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी नये कोरोना मामलों में वृद्धि के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सावधानी बरतने में लापरवाही बढ़ रही है, वरना लगातार गिरते नये मामलों में दोबारा से उछाल का और कोई कारण नजर नहीं आता. यह वाकई चिंताजनक है कि जिस महामारी की दहशत के साये में लगभग पूरे विश्व को ही पिछला साल गुजारना पड़ा, अब हम उससे बचाव के लिए सहज-सुलभ सामान्य उपाय भी करने में कोताही बरत रहे हैं.
 वैसे कोरोना काल में ध्वस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था के मद्देनजर सरकारी तंत्र और आम आदमी की अपनी बाध्यताएं हैं कि घर से निकल कर जीवन को फिर से पटरी पर लाया जाये, लेकिन जान है तो जहान है इसे भी याद रखना जरूरी है. लंबे लॉकडाउन के बाद खुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि जान के साथ जहान बचाना भी जरूरी है, लेकिन उसका अर्थ यह हरगिज नहीं था कि कोरोना से बचाव के सामान्य, मगर जरूरी उपायों में असावधानी बरती जाये. कटु सत्य यही है कि अनलॉक प्रक्रिया के समय से ही कोरोना प्रोटोकॉल के पालन में हर स्तर पर लापरवाही दिखायी पड़ती रही है. आम आदमी दिनचर्या में कोरोना से बचाव के उपायों के प्रति लापरवाह हुआ है तो हमारे राजनेता, खासकर चुनावी सक्रियता में, कोरोना के खतरे को धता बताते हुए जनसाधारण के समक्ष बेहद गैर जिम्मेदार और नकारात्मक उदाहरण पेश करने के दोषी हैं.
मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन से लेकर बिहार में चुनाव और अब बंगाल में चुनाव की तैयारियों में जुटे राजनेताओं-कार्यकर्ताओं को देख कर नहीं लगता कि उन्हें कोरोना संकट के मद्देनजर अपनी जिम्मेदारियों का तनिक भी अहसास है. प्रभावशाली लोगों के निजी और सार्वजनिक आयोजनों में कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के प्रति सरकारी तंत्र भी आंखें मूंद लेता है. यह भी लापरवाही का ही नतीजा है कि दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और ब्रिटेन में मिले नये कोरोना स्ट्रेन से संक्रमित लोग भारत पहुंच चुके हैं. ब्रिटेन में मिले नये स्ट्रेन से प्रभावित मरीजों की संख्या तो भारत में लगभग 200 है. माना कि कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन आ गयी है और वैक्सीनेशन भी तेजी से चल रहा है, लेकिन वैक्सीन के असर और उसकी अवधि की बाबत अभी भी कुछ दावे से नहीं कहा जा सकता. उधर साइड इफेक्ट्स की आशंकाएं स्वास्थ्यकर्मियों में भी देखी जा सकती हैं.
आज भी  सबसे आसान और कारगर उपाय यही है कि हम मास्क पहनें, बार-बार हाथ धोयें तथा दो गज की दूरी का पालन करें, वरना लॉकडाउन की वापसी के लिए तैयार रहें। फैसला हमें खुद करना है.

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