बच्चे मन के सच्चे

Category : आजाद अभिव्यक्ति | Sub Category : सभी Posted on 2021-02-16 06:37:52


बच्चे मन के सच्चे

बच्चे मन के सच्चे
- अंजु पांडे, समाजसेवी
कोरोना काल में जब सारे स्कूल बंद हो गए, एवं बच्चों को घर से बाहर जाकर खेलने की अनुमति भी नहीं मिली, तब मोबाइल पर बैठकर व्यर्थ समय गंवाने के बजाय दिल्ली के कुछ बच्चों ने अपने समय का सदुपयोग की जो राह निकाली, उसने उन्हें आजीवन एक अनोखे बंधन में बांध दिया. लॉकडाउन के समय शुरू हुए दिल्ली सेवा भारती के “ईच वन टीच वन?’’ कार्यक्रम से जोड़कर डीपीएस, जीडी गोयंका, मॉडर्न स्कूल जैसे प्रतिष्ठित स्कूलों के 12 सौ से अधिक बच्चों ने अंबेडकर बस्ती, बाल्मीकि बस्ती, रविदास कैंप, कालकाजी संजय कैंप बस्ती, के बच्चों  को ऑनलाइन पढ़ाया, सुंदर-सुंदर कहानियां सुनाई, नृत्य सिखाया, आर्ट एंड क्राफ्ट में पेपर मेड गुलदस्ते, पेन स्टैंड, जैसी कई खूबसूरत चीजें बनाना भी सिखाई. यह सेवा यात्रा थी, संभ्रांत परिवारों के सर्व सुविधा संपन्न बच्चों की झोपड़ी में रहने वाले अभावग्रस्त बालकों से जोड़ने की. जिसने इनके बीच की दूरी को तय कर, दोनों ही के जीवन को अद्भुत दिशा दी. दिल्ली सेवा भारती के प्रांत प्रचार मंत्री, भूपेंद्र जी बताते हैं कोरोना काल बीतने के बाद “ईच वन टीच वन?’’ कार्यक्रम ने अब “टीन  सेवा?’’ का रूप धारण कर लिया है, जिसमें अब सेवा के बाद राष्ट्र भाव भी जुड़ चुका है.
यह बात है मार्च 2020 की जब कोरोना ने भारत में दस्तक दी व सारे स्कूल अनिश्चित काल के लिए बंद हो गए, तब  दिल्ली सेवा भारती की प्रांत संपर्क प्रमुख, निधि आहूजा को उन 50 बच्चों ने फोन कर, सेवा के काम से जुडने की  इच्छा जाहिर की जो पहले से सेवा भारती द्वारा आयोजित समर एंड विंटर कैंपों में सेवा बस्तियों के बच्चों से जुड़ चुके थे. यह वह दौर था, जब स्वयं प्रधानमंत्री मोदी बच्चों, बुजुर्गों को घर से बाहर नहीं निकलने का आह्वान कर रहे थे. माता-पिता डरे हुए थे व कार्यकर्ता चिंतित कैसे इन बच्चों को इस नेक काम से जोड़े. तब निधि जी ने ‘‘ईच वन टीच वन’’ कार्यक्रम के तहत गूगल फॉर्म के जरिए बच्चों से आवेदन मंगवाए, कि कौन सेवा बस्ती के बच्चों को ऑनलाइन पाढाएगा? निधिजी की खुशी का ठिकाना ना रहा, जब 1000 से अधिक बच्चे खुशी-खुशी इस कार्य के लिए राजी हो गए. अब सेवा भारती ने संस्कार केंद्रों की निरीक्षकाओं एवं शिक्षिकाओं के सहयोग से बस्ती में रह रहे एंड्राइड फोन यूज कर बस्ती के एक बच्चे को एक संभ्रांत बच्चे से ऑनलाइन जोड़ा. सिखाने वाले को वॉलिंटियर व सीखने वाले को बडी नाम दिया गया. सप्ताह में एक बार चलने वाली इस क्लास ने ऐसे सार्थक मित्र बनाएं जिसने सारे भेद मिटा दिए.
अब इस कार्यक्रम का संचालन संभाल रही दीप्ति दीदी बताती हैं कि यह सत्र चार चरणों में चला. बडी, स्टोरीटेलिंग, हॉबी एवं बुक बैंक. बडी का मतलब था आपस में मित्रता कायम करना. स्टोरी टेलिंग में वॉलिंटियर बच्चे कुछ नैतिक व विज्ञान कथाएं अपने बडी को सुनाया करते थे. हॉबी सत्र में ड्रॉइंग पेंटिंग कढ़ाई जैसी कई विधाएं ऑनलाइन सिखाई गई व बुक बैंक में बच्चों को अच्छी किताबें भेजी गई. इस अभियान में 11 से 19 वर्ष के इन ढाई हजार बच्चों को प्रेरित करने व इनका मनोबल बढ़ाने के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली, प्रसिद्ध बल्लेबाज शिखर धवन, मोटिवेशनल स्पीकर शिव खेड़ा समेत कई जानी-मानी हस्तियों ने वीडियो बनाकर इन्हें शुभकामनाएं दी. कोरोना काल में शुरू हुआ दिल्ली सेवा भारती का यह शिक्षण अभियान, अब इन बच्चों के लिए जीवन भर का साथ बन चुका है. दिसंबर में जब पहली बार यह बच्चे रूबरू मिले तो यह दृश्य राम- भरत मिलाप की तरह सभी को भावविह्ल कर गया. आरके पुरम सेवा बस्ती के नीरज का वाक्य अभी भी सेवा भारती कार्यकर्ताओं के मनो में गूंज रहा है, जिस ने कहा अब हमारा साथ एलआईसी की तरह है, जिंदगी के साथ भी व जिंदगी के बाद भी.


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