इस पर तो “मंथन” की पहले जरूरत है

Category : आजाद अभिव्यक्ति | Sub Category : सभी Posted on 2021-02-10 02:58:18


इस पर तो “मंथन” की पहले जरूरत है

इस पर तो “मंथन” की पहले जरूरत है
- राकेश दुबे, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल
 7 फरवरी की रात सेवाग्राम से जैसे ही केरला एक्सप्रेस की बोगी बी-6 में चढ़ा, एक आर्तनाद ने मुझे हिला दिया. एक 75 वर्षीय माँ जोर-जोर से रो रही थी. कारण मालूम होने और घटना का विवरण सुनने के बाद मैं आज तक सामान्य नहीं हो सका हूँ. केरल के किसी नगर में इस माँ के एकमात्र बेटे, उसकी पत्नी और 6 वर्ष के पोते को ट्रक ने रौंद दिया. अपनी दो पीढ़ी की दर्दनाक मौत पर तो इतनी तेज  चीख और रुदन  पर सवाल उठाना  सही नहीं है. कारण पर विचार करना और हल खोजना जरूरी है. वैसे भी  मै वर्धा मंथन से लौट रहा था. देश की बहुत से समस्याओं पर विचार करके, जिन विभूतियों को नमन करके लौटा हूँ, उनमे से किसी ने कभी भारत में ऐसी अकाल मौतों की कल्पना नहीं की होगी.
किसी ने भी कल्पना नहीं की होगी कि एक दिन सड़कों पर आपको इतनी बाइक और कारें नजर आयेंगी. भीड़ भाड़ भरे स्थानों पर भी तेजी से वाहन चलाते लोग मिलेंगे. ट्रैफिक नियमों की अनदेखी हमारे समाज में रच-बस रही है. महिलाओं, नाबालिगों का वाहन चलाना और उल्टी दिशा में वाहन चलाना आम बात है. रात में तो ट्रैफिक नियमों का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है. उस पर सुरापान के बाद वाहन चलाना देश में सम्भ्रांत होने की निशानी बन रहा है. इस माँ के परिवार की भांति हर साल डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं के शिकार होकर जान गंवा देते हैं. दुनियाभर में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं.
देश में वर्ष 2019 में लगभग 4.81 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 1.51 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई और 4.39 लाख लोग घायल हुए. देश में प्रतिदिन औसतन 415 लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवा देते हैं. दुनियाभर में सबसे अधिक सड़क हादसे भारत में होते हैं, उसके बाद चीन और अमेरिका का स्थान है. यहाँ सवाल यह कि रोकथाम के लिए हम कितने उपाय कर रहे हैं? सड़क दुर्घटनाओं की ओर हमारा ध्यान नहीं है. हम समुचित उपाय नहीं कर रहे हैं. सबसे अधिक दोपहिया वाहन दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं और जान गंवाने वालों में सबसे अधिक युवा हैं. किसी युवा और इकलौते बेटे का हादसे में चला जाना परिवार पर कितना भारी पड़ता है, वो आर्तनाद, उस रात रेल में सुनने को मिला.
इस बार बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए नयी स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा की है. इसके बाद यह विषय विमर्श में आया है. नयी नीति के मुताबिक, 20 साल से पुराने लाखों वाहनों को स्क्रैप किया जायेगा. पुराने वाहन  विशेष कर वाणिज्यिक वाहन अनेक बार दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं.
उम्मीद है कि नयी स्क्रैप पॉलिसी के आने से ऐसे वाहनों के उपयोग में कमी आयेगी, जो पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. पूरे देश में ऐसे सड़क हादसे होते हैं. हाइवे और अन्य सड़कों पर जहां-तहां सड़क किनारे खड़े वाहनों की वजह से भी अक्सर हादसे होते हैं. दूर से यह पता नहीं चल पाता है कि वाहन चल रहा है कि रुका है? सर्दी के मौसम में जब दिखाई देना कम हो जाता है, तो यह समस्या और गंभीर हो जाती है.
कई बातों का समाधान नहीं हम ढूंढ पाये हैं, जैसे तेज गति से वाहन चलाना, सीट बेल्ट का इस्तेमाल न करना, वाहन चलाने के दौरान मोबाइल पर बात करना, शराब पीकर वाहन चलाना, मोटर साइकिल चालक और सवारी का हेलमेट नहीं लगाना शामिल हैं. हादसे की एक अन्य वजह है - गलत दिशा में वाहन चलाना. यह समस्या आम है. कई बार  इन से भी सड़क हादसों में वाहन सवार लोगों की दुर्घटना स्थल पर ही मौत हो जाती है.

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