भाजपा और कॉग्रेस को विधायकों के टूटने का डर सता रहा है?
- अवधेश भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल
12 तारीख को उज्जैन में भाजपा विधायकों का प्रशिक्षण शिविर लगा रही है और कॉग्रेस ने भी ऐसी अन्दरखाने खबर आ रही है, कि खजुराहो (बुन्देलखंड) में अपना प्रशिक्षण शिविर लगाने की तैयारी गुपचुप कर ली है. न अभी कोई चुनाव है और न ही ऐसे शिविर की आवश्यकता? तो फिर इन शिविरों का राज क्या है?
शायद पार्टियॉ बदलने के अभ्यस्त श्री नारायण त्रिपाठी विधायक मैहर ने एक पॉसा फेंका है, पृथक विन्ध्य का, कुछ तो है जो पतीले में उबल रहा है, विन्ध्य से लगभग 24 विधायक सत्ता-सुख से वंचित हैं और उनके मन में विन्ध्य प्रदेश के गठन की ललक जाग उठी है, कहीं कुछ .... न हो जावे इसलिये सत्तापक्ष प्रशिक्षण शिविर लगाकर इन्हें साधे रहने की कोशिस कर रहा है और न सधने में हुई क्षतिपूर्ति के लिये कहीं बुन्देलखंड और विन्ध्य के कॉग्रेसी विधायक लुढ़क न जायें इसलिये कॉग्रेस भी सधने साधने की कवायद कर रही है. खैर आने वाले दिनों में कुछ न कुछ नया करिश्मा दिखने वाला है.
इधर 12 फरवरी को ही राज्य सरकार चार हजार करोड़ का करोड़ का कर्ज ले रही है, कहने को तो सरकार विकास कार्यों में लगाने की बात कर रही है, पर यह सारी पैसा वेतन एलाउंस व किसानों में बंट जायेगा? वर्तमान सरकार इन नौ महीनों के कार्यकाल में लगभग 15 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है. इसी तरह कमलनाथ सरकार पन्द्रह महीने के कार्यकाल में लगभग 27 हजार करोड़ का कर्ज लेकर बोझ जनता पर लाद गई.
एक बात समझ में नहीं आ रही कि सरकार के खजाने में टैक्स की आवक भी निर्वाध रूप से बनी हुई है. केंद्र से मदद भी मिल रही है और जीएसटी का हिस्सा भी, फिर सरकार को कर्जा लेकर घी पीने की जरूरत क्यों पड़ रही है?
इसका मुख्य कारण है,सरकारी स्थापना में बेतहासा वृद्धि? उसमें सुधार सरकार कर नहीं रही और न ही कटौती कर रही. बस धड़ाधड़ कर्जा ले लेकर काम चला रही है, ऐसे में विकास कार्य भी बाधित हो रहे हैं और जन हित की योजनायें भी. कर्ज पर कर्ज लेने का परिणाम यह होता है, कि निरीह जनता पर नये नये टैक्स लगाकर मंहगाई बढ़ने का कारण बनाया जाता है.